अयोध्या की तर्ज पर होगा श्रीमद्भागवत महोत्सव और मोक्ष कुंभ...जगमगाएगा गंगा-तट, बहेगी आस्था की बयार
Bhagwat Mahotsav and Moksha Kumbh: मुजफ्फरनगर के शुकतीर्थ में पहली बार अयोध्या की तर्ज पर भागवत महोत्सव और मोक्ष कुंभ का आयोजन होगा। कार्तिक गंगा स्नान पर्व पर होने वाले इस आयोजन में लेजर लाइट और दीपोत्सव के साथ धार्मिक कार्यक्रम होंगे। प्रसिद्ध कथावाचक और भजन गायक श्रद्धालुओं को रसपान कराएंगे। बाणगंगा के तट पर मां गंगा की मूर्ति स्थापित की जाएगी।

मुजफ्फरनगर में गंगा तट पर होगा अयोध्या की तर्ज पर भागवत महोत्सव और मोक्ष कुंभ। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। भागवत भूमि शुकतीर्थ में पहली बार अयोध्या की तर्ज पर भागवत महोत्सव और मोक्ष कुंभ का आयोजन किया जाएगा। बाण गंगा के तट पर भव्य लाइटिंग की जाएगी, साथ ही पारंपरिक रूप से दीये भी जलाए जाएंगे। इस आयोजन की तैयारियों में मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण, प्रशासन और यूपी पर्यटन निगम जुटे हुए हैं। यह वृहद आयोजन कार्तिक गंगा स्नान पर्व एवं मेले के दौरान होगा, जिसमें प्रसिद्ध कथावाचक और धार्मिक भजन गायक श्रद्धालुओं को रसपान कराएंगे। मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण (एमडीए) ने शुकतीर्थ में भागवत महोत्सव एवं मोक्ष कुंभ के आयोजन की योजना बनाई है।
यह विशेष धार्मिक आयोजन एक से तीन नवंबर तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें यूपी पर्यटन निगम भी सहयोग कर रहा है। यह आयोजन काशी और अयोध्या की तर्ज पर दिव्य और भव्य होगा। लेजर लाइट, दीपोत्सव के साथ पौराणिक और ऐतिहासिक थीम के संग मोक्ष कुंभ महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। पांच नवंबर को कार्तिक गंगा स्नान के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। उद्घाटन समारोह में देश-प्रदेश के मंत्रियों और प्रमुख संतों को आमंत्रित किया जा सकता है। चर्चा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी बुलाने की तैयारी है, हालांकि प्रशासनिक स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
दो नवंबर को विशेष भजन संध्या का आयोजन होगा, जिसमें मां गंगा की आरती का कार्यक्रम भी शामिल है। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध भजन गायक अपनी प्रस्तुति देंगे। इसके लिए लगभग 10,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है। सीडीओ कंडारकर कमलकिशोर देशभूषण ने बताया कि शुकतीर्थ में कार्यक्रमों की चर्चा की गई है, लेकिन कार्यक्रमों का शेड्यूल अभी तैयार नहीं किया गया है। मां गंगा की मूर्ति का अनावरण भी इस अवसर पर किया जाएगा। एमडीए उपाध्यक्ष कविता मीणा ने बताया कि शुकतीर्थ का इतिहास साढ़े पांच हजार वर्ष पुराना है। यहीं पर वेदव्यास जी के पुत्र शुकदेव मुनि महाराज ने पांडव वंशज राजा परीक्षित को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए वट वृक्ष के नीचे बैठकर भागवत कथा का रसपान कराया था। इसके चलते शुकतीर्थ की दीवारों और प्रवेशद्वार पर भारतीय धार्मिक संस्कृति और सभ्यता का आलौकिक दृश्य प्रदर्शित किया जाएगा। बाणगंगा के किनारों पर लाइट के साथ मां गंगा की मूर्ति स्थापित की जाएगी, जिसका अनावरण मोक्ष कुंभ में होगा। शुकतीर्थ का महत्व अत्यधिक है। यहां ज्येष्ठ गंगा दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान, पितृ विसर्जन अमावस्या और वट सावित्री जैसे चार विशेष मेले आयोजित होते हैं। यह महाभारत कालीन स्थल, भागवत की आदि उद्गम स्थली और 68 तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ मोक्षदायक तीर्थ माना जाता है।
यह हैं प्रमुख स्थल
-श्री शुकदेव आश्रम
-हनुमतधाम
-दंडी आश्रम
-संत रविदास
-संत समनदास आश्रम
-अखंडधाम
-ब्रह्मा विद्यापीठ
-शिव व दुर्गाधाम
-गणेशधाम
-सच्चाधाम
-शनिधाम
-गौड़ीय मठ
-माता पीतांबरा धाम
-नक्षत्र वाटिका

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