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    थानाभवन सीट का इतिहास: विधायकों की होती है हार

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    Updated: Wed, 07 Mar 2012 11:36 PM (IST)

    थानाभवन (प्रबुद्धनगर)। थानाभवन विधानसभा ने इस बार भी अपनी परंपरा बरकरार रखी है। यहां का रिकार्ड रहा है कि निवर्तमान विधायक को दोबारा चुनाव लड़ने पर हार का स्वाद चखना पड़ता है। इस बार भी यहां से सीटिंग एमएलए के हार का मुंह देखने की परम्परा कायम रही। हांलाकि सीट पर एकमात्र ठा. रामचंद्र सिंह ने यहां लगातार दो बार विधायक बन अपवाद रहे हैं।

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    थानाभवन विधानसभा सीट पर प्रदेश की सत्ता के खिलाफ ही यहां विधायक बनते रहे हैं, तो दूसरी तरफ एक बार चुनाव जीतकर विधानसभा का मुंह देखने वालों को दोबारा यहां से विधायकी नसीब नहीं होती है। वर्ष 2007 में विधायक रहे राव अब्दुल वारिस वर्ष 2012 में चुनाव हार गए है। सीट पर सर्वप्रथम 1952 के चुनाव में केशोराम गुप्ता विजयी हुए, लेकिन 1957 में वे चुनाव हार गए। 1957 में जीते गय्यूर अली खान विजयी हुए, मगर 1962 चुनाव हार गए। वर्ष 1974 में मलखान सिंह सैनी चुनाव जीत गए, लेकिन इससे पहले वे 1967 में चुनाव हार गए थे। हालांकि इसके खिलाफ वे हाईकोर्ट गए और याचिका दायर की। कोर्ट से जीतकर आए लेकिन तब तक असेंबली भंग हो गई। ठाकुर मूलचंद 1977 में चुनाव जीते, लेकिन 1993 में हार गए। वर्ष 1969 में राव राफे खां विधायक हुए और 1974 के हार गए। 1980 में सोमांश प्रकाश विधायक बने लेकिन 1985 में वे चुनाव हार गए। 1985 में विधायक बने अमीर आलम खान 1993 में यहां से चुनाव हार गए। 1989 में विधायक बने ठाकुर नकली सिंह 1991 में चुनाव हार गए थे। 1991 में सोमांश प्रकाश एक बार फिर विधायक बने, लेकिन वर्ष 2007 में चुनाव हार गए। 1993 में व उपचुनाव 2000 में विधायक बने ठाकुर जगत सिंह वर्ष 2002 में चुनाव हार गए। केवल ठाकुर रामचंद्र सिंह ऐसे रहे, जो वर्ष 1962 व 1967 में यहां से लगातार दो बार विधायक बने और उन्हें हार का मुंह नहीं देखना पड़ा। मतगणना के दौरान थानाभवन सीट पर काफी कांटे का मुकाबला रहा। भाजपा प्रत्याशी सुरेश राणा ने कांटे की टक्कर में चुनाव जीत गए।

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