डिजिटल व ऑनलाइन संचार में शिष्टाचार जरूरी
यदि हम आज से 25 वर्ष पहले की बात करें तो शायद यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि सूचना प्रौद्योगिकी
यदि हम आज से 25 वर्ष पहले की बात करें तो शायद यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि सूचना प्रौद्योगिकी हमारे दैनिक जीवन का इस कदर अभिन्न हिस्सा बन जाएगी। सचमुच, इसने दुनियां बदल दी है। कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टैबलेट, फैबलेट व लैपटॉप आदि आज मध्यमवर्ग के घरों में देखे जा सकते हैं। सूचना क्रांति की ही देन है कि अब सुदूर गांव का व्यक्ति भी 2जी-3जी ही नहीं 4जी कनेक्शन के साथ सूचना हाईवे पर दौड़ रहा है। इससे लोगों के जीवनचर्या, आचरण और कार्यप्रणाली में व्यापक बदलाव आ गया है। आलम यह है कि अब तो सुदूर गांव-कस्बे में बैठा युवा भी युवा मेरठ-दिल्ली तो क्या न्यूयार्क, लंदन, वाशिंगटन जैसे वैश्विक शहरों में बैठे व्यक्ति से न केवल संपर्क साध रहा है, बल्कि सूचना संसाधन के मामले में उनसे होड़ ले रहा है। पर इसके साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी का दुष्प्रभाव भी दिख रहा है। अत: संचार व्यवस्था में शिष्टाचार की महती आवश्यकता है।
शिष्टाचार का अर्थ होता है विनम्रता व शालीनतापूर्ण व्यवहार। आज हमें ऑनलाइन संचार में भी शिष्टाचार अपनाना अनिवार्य है। यह सेलफोन व वार्तालाप से लेकर सेलफोन या लैपटॉप पर सोशल साइट्स के जरिये संवाद स्थापित करने पर लागू होता है।
मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी शिष्टाचारपूर्वक करें। ¨रगटोन की आवाज मध्यम हो और लगाई गई धुन या गीत दूसरों की भावना को ठेस पहुंचाने वाले न हों। जब भी बात करें, आवाज हल्की हो। ¨रग टोन कर्कश या फौरी न हो। अमूमन कुछ लोग अपने किसी पसंदीदा फिल्मी गीत, किसी जानवर की आवाज, कोई तेज पिच वाले कव्वाली या देहाती गीत आदि को बना लेते हैं। इससे बचना चाहिए। कारण, यह दूसरे को नापसंद हो सकता है। फर्ज करिये आप मीटिंग में बैठे हैं और गंभीर चर्चा चल रही है। इसी बीच किसी साथी के फोन पर फुल वॉल्यूम में कोई चलताऊ बॉलीवुड गाना का ¨रग टोन बज जाए, तो उसकी बड़ी किरकिरी होगी। लिहाजा ¨रगटोन का चुनाव मर्यादित, बेहद सॉफ्ट व कम पिच वाले धुन का करें।
अब सोशल साइट्स मसलन फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि की बात करते हैं। इस पर अपनी अपनी प्रोफाइल बेहद मर्यादित व आकर्षक बनाएं। प्रोफाइल फोटो भी संजीदा किस्म की लगाएं। फोटो गैलरी में ऐसे फोटो लगाएं जो किरकिरी न कराएं। इसमें भी मर्यादित रहने की आवश्यकता है। कारण, इनदिनों लोग आपके व्यक्तित्व का आकलन आपके सोशल साइट्स पर दिए प्रोफाइल से करते हैं। शायद आपको पता न हो कई मल्टीनेशनल व अच्छे साख वाली कंपनियां सोशल साइट्स पर नौकरी मांगने को आने वाले आवेदकों के सोशल साइट्स के प्रोफाइल की छानबीन कर रही हैं। इसको देखकर उसके व्यक्तित्व व सोच के स्तर का आकलन कर रही हैं। शादी-ब्याह में भी अब दूल्हा या दूल्हन खोज रहे लोग हामी भरने से पहले सोशल साइट्स की आइडी मांगते हैं। इससे उनके वास्तविक लुक और व्यक्तित्व का अंदाजा लगाते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आप क्या पोस्ट डालते हैं, उसका स्तर क्या है? आपके व्यक्तिगत फोटो या अपलोडेड फोटो का बॉडी लेंग्वेज क्या है, इसका आपके निजी व प्रोफेशनल लाइफ पर काफी असर होता है।
एक बात और आपको बताऊं, शायद पता न हो। इनदिनों देश-विदेश के प्रभावशाली नेता, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या मंत्री, उद्योगपति, खिलाड़ी, कलाकार, प्रोफेशनल्स आदि फेसबुक या ट्यूटर पर क्या पोस्ट करते हैं? उनकी किसी बात को लेकर क्या प्रतिक्रिया है? इस पर सबसे ज्यादा चर्चा होती है। आजकल तो सूचना पहुंचाने का सबसे बड़ा प्लेटफार्म ही सोशल साइट्स बन गया है। आज कल तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई मुख्यमंत्री व स्टार अपनी बात ट्विटर के जरिये लोगों तक पहुंचा रहे हैं और यह उनका औपचारिक बयान माना जाता है। अब आप समझ गए होंगे कि सोशल साइट्स आज के युग में कितना महत्वपूर्ण हो गई है। तो जाहिर है इसमें अनुशासन की समझ होनी चाहिए।
कुछ जरूरी शिष्टाचार आपको बताना चाहूंगा कि कभी भी सोशल साइट्स पर असभ्य और घटिया दर्जे का मैसेज या पोस्ट न डालें, न शेयर करें। उदाहरण के लिए किसी मित्र ने आपको रोचक लेकिन निचले दर्जे का चुटकुला या फोटो भेजा। आपको अच्छा लगा, अपने उसे शेयर या पोस्ट कर दिया। इससे आपका सोशल इमेज प्रभावित हो सकता है। कई लोग निचले दर्जे के शेरो-शायरी, फिल्मी गीत, असभ्य किस्म के चुटकुले या फोटो पोस्ट करते रहते हैं, इस तरह के आचरण से बचें। इसी से सभ्य और असभ्य व्यक्ति का आकलन होता है। अगर किसी मित्र से गोपनीय या निजी बात करनी है तो सार्वजनिक प्लेटफार्म जैसे पोस्ट या कमेंट्स टूल का इस्तेमाल नहीं, बल्कि निजी प्लेटफार्म मसलन मैसेंजर मसलन फेसबुक मैसेंजर या वाट्सएप का प्रयोग करें। इससे निजता बनी रहती है। सोशल साइट्स पर असहिष्णु, अनुदार, कड़वे या ऐसे किसी तरह पोस्ट न डाले जिससे किसी व्यक्ति, समाज या संप्रदाय की भावना आहत होती हो।
अनुराग जैन, प्राचार्य, श्री कुंद कुंद जैन इंटर कालेज, खतौली।
नैतिक आचरण का प्रयोग करें
मनुष्य के दैनिक व्यवहार का एक नया नैतिक आचरण डिजिटल व ऑनलाइन संचार का प्रयोग है। हमें इसमें शिष्टाचार का समावेश रखना अत्यंत जरूरी है। जो लोग वाट्सएप के ग्रुप पर जुड़े होते हैं, वे ग्रुप पर कोई इस प्रकार की पोस्ट न डालें, जो किसी की धार्मिक या राजनैतिक भावना को क्षति पहुंचाती हो। ग्रुप पर यदि कोई बहस चल रही हो तो पहले उसका पूरा अध्ययन करें, फिर उसमें भाग लें। बीच में ही कूद पड़ने से हम केवल हंसी का पात्र बनते हैं। आपत्तिजनक वाट्सएप मैसेज पर भी मुकदमे भी दर्ज हो सकते हैं, सो सावधान रहें।
-विनोद त्यागी, प्रवक्ता अंग्रेजी
श्री कुंद कुंद जैन इंटर कालेज खतौली।
अनुमति लेकर करें ऑनलाइन संवाद
आज मैं देखती हूं कि यदि हमें किसी से बात करनी होती है तो हम डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। ऑनलाइन चर्चा को शिष्टाचारपूर्ण व संयमित रखें। भाषा में संयमित शब्दों का प्रयोग करें, दूसरों के समय का ध्यान रखें। यदि वह ऑनलाइन है तो इसका यह तात्पर्य यह नहीं कि वह आपसे बात करने का इच्छुक है। हो सकता है कि वह अन्य किसी विशेष कारण से ऑनलाइन हो। अत: चैट करने से पहले उसकी अनुमति लें। यदि हम डिजीटल व ऑनलाइन प्रणाली में शिष्टाचार का समावेश रखेंगे तो ये हमारे संबंध लंबे समय तक मधुर व स्वस्थ बने रहेंगे।
-एकता जैन, सहायक अध्यापिका
श्री कुंद कुंद जैन इंटर कालेज, खतौली।
कट-कॉपी-पेस्ट से होगी है चिढ़
संवाद करते समय शब्द सीमा, शिष्टाचार और समावेशी दृष्टिकोण का विशेष ख्याल रखें। हम देखते हैं कि बहुत से लोग एक ही तरह के पोस्ट व फोटो कई ग्रुप पर पोस्ट कर देते हैं, जो समय व डाटा का नुकसान करती है। इससे न केवल पोस्ट करने वाले व्यक्ति को समय व पैसे का नुकसान होता है, बल्कि पढ़ने वालों का भी समय व डाटा जाया होता है। कुछ लोग तो ऐसे हैं जो किसी ग्रुप पर फिजूल पोस्ट कॉपी-पेस्ट करते रहते हैं। इससे काफी चिढ़ होती है। इससे बचें।
राज कुमार जैन, प्रवक्ता रसायन
श्री कुंद कुंद जैन इंटर कालेज, खतौली।
मुफ्त डाटा खपाने में समय की बर्बादी न करें
आधुनिक समय में डिजीटल व ऑनलाइन संचार विद्यार्थियों के लिए वरदान है। आज अनेक प्रकार की शैक्षिक एप्स व ऑनलाइन साइट्स उपलब्ध हैं, जिसका सदुपयोग कर सकते हैं। पर दुरुपयोग से बचना चाहिए। यदि कहीं वाईफाई अथवा इंटरनेट फ्री उपलब्ध हो तो इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के चक्कर में अपना कीमती समय न गंवा दें। -श्रेया गोयल
कक्षा-12, श्री कुंद कुंद जैन इंटर कालेज, खतौली।
चैटिंग भी माहौल के अनुसार करें
कई लोग दाह संस्कार, शोक सभा, कक्षा, लाइब्रेरी या बैठक में भी अपने मोबाइल का दूसरे लोगों की नजर से बचा कर प्रयोग करते रहते हैं। ऐसे गंभीर स्थलों पर भी चैटिंग करते रहते हैं। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे वहां मौजूद लोगों की नजर में छवि खराब होती है और लोगों को भी परेशानी होती है। इससे बचना चाहिए।
-रूचि रानी
कक्षा-11
श्री कुंद कुंद जैन इंटर कालेज, खतौली।
ड्राइविंग के समय हेडफोन से बचें
बाइक चलाते समय या राह चले समय हेडफोन का प्रयोग न करें। इन दिनों इसके चलते काफी दुर्घटनाएं हो रही हैं। सूचनाक्रांति यह नहीं कहती कि इसके चक्कर में जान जोखिम में ले लिया जाए। यहीं पर सूचनाक्रांति अभिशाप लगती है।
रजत गर्ग
कक्षा- 11
श्री कुंद कुंद जैन इंटर कालेज, खतौली।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।