Updated: Fri, 29 Dec 2023 12:23 AM (IST)
कमेटी में शामिल पर्यावरण व मनुष्यों के साथ रहने वाले जीवों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले जय प्रकाश सक्सेना ने बताया कि बंदरों से शहरी क्षेत्र में समस्या को लेकर सांसदों ने संसद में भी उठाया है। जंगल धीरे-धीरे खत्म होने से बंदर भोजन-पानी के लिए शहर ठिकाना बन गया है। बंदरों के हमले में मृत्यु की भी घटनाएं होती रही हैं।
प्रकाश सैनी,मुरादाबाद: शहर का रामगंगा विहार,बुद्धि विहार या फिर पुराना शहर। कोई भी क्षेत्र हो, बंदरों के उत्पात से हर शहरवासी परेशान है। घर से निकलने से पहले भी बाहर देखना पड़ता है कि बंदर तो नहीं हैं। लेकिन, अब इस मुसीबत से छुटकारा मिल सकता है। नगर निगम, वन विभाग और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की 10 सदस्यीय कमेटी गठित कर ली गई है।
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नगर निगम ने मथुरा की एजेंसी से बंदर पक़ड़ने के लिए करार भी कर लिया है। एजेंसी जनवरी से काम शुरू कर देगी। वन विभाग बंदरों को जंगल में छुड़वाएगा। कमेटी पूरे काम की निगरानी करेगी। अब तक नगर निगम प्रशासन बंदरों के वन्य जीव की श्रेणी में आने के कारण पकड़ने से बचता रहा है। निगम के अधिकारी वन विभाग के अधिकारियों पर जिम्मेदारी डाल कर बच जाते थे। भारत सरकार ने बंदरों को वन्य जीव संरक्षण संशोधन विधेयक-2022 में बाहर करने का नोटिफिकेशन जारी करने के बाद यह पाबंदी खत्म हो गई है।
कमेटी में शामिल पर्यावरण व मनुष्यों के साथ रहने वाले जीवों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले जय प्रकाश सक्सेना ने बताया कि बंदरों से शहरी क्षेत्र में समस्या को लेकर सांसदों ने संसद में भी उठाया है। जंगल धीरे-धीरे खत्म होने से बंदर भोजन-पानी के लिए शहर ठिकाना बन गया है। बंदरों के हमले में लोगों के घायल होने और छत आदि से गिरकर मृत्यु की भी घटनाएं होती रही हैं। इस दिक्कत को देखते हुए जनहित में बंदर को वन्य जीव संरक्षण से बाहर किया गया है।
घरों की बालकनी व छत भी जाल से ढकीं
बंदरों के उत्पात से शहर में तमाम क्षेत्रों में लोगों ने घर को जाल से ढक लिया है। घर को पिंजरे की तरह बंद करके रहने को मजबूर हैं। साकेत कालोनी, चंद्र नगर, मंडी चौक, कचहरी परिसर, दौलत बाग, दसवां घाट, श्री राम कालोनी, रामगंगा विहार, आशियाना, हिमगिरी, हरथला समेत कई क्षेत्रों बंदरों के डर से आंगन, बालकनी को जाल से ढक लिया है।
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