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कब से है Durga Puja 2022, क्या है सिंदूर खेला और धुनुची नृत्य, मां दुर्गा को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर

Durga Puja 2022 पितृ विसर्जन के बाद से त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। पितृ विसर्जन के तुरंत बाद सबसे पहले मां दुर्गा की आराधना का समय आता है। नौ दिन चलने वाले इस उत्सव में हर रोज माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा अर्चना होती है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 04:52 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 04:52 PM (IST)
कब से है Durga Puja 2022, क्या है सिंदूर खेला और धुनुची नृत्य, मां दुर्गा को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर
Durga Puja 2022 : दुर्गा पूजा बंगाली लोगों का सबसे बड़ा त्योहार होता है। फाइल फोटो

Durga Puja 2022 : पितृ विसर्जन के बाद से त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। पितृ विसर्जन के तुरंत बाद सबसे पहले मां दुर्गा की आराधना का समय आता है। नौ दिन चलने वाले इस उत्सव में हर रोज माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा अर्चना होती है। इसमें ही पांच दिन दुर्ग पूजा के होते हैं। बंगाली लोगों का यह सबसे बड़ा त्योहार होता है।

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महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखती है दुर्गा पूजा

विजयादशमी यानी दशहरा के दिन तक चलने वाली दुर्गा पूजा विवाहित महिलाओं के लिए विशेष रहती है। जो पूरे साल इस दिन का इंतजार करती हैं।विजयादशमी के दिन विवाहित महिलाएं सिंदूर खेला खेलती हैं। ये एक परंपरा है, जिसमें महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं। साथ ही एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और शुभकामनाएं देती हैं।

पहली अक्टूबर से शुरू होगी दुर्गा पूजा

आचार्य पंडित ऋषिकेश शुक्ल के अनुसार इस बार दुर्गा पूजा पहली अक्टूबर से शुरू होगी। जो पांच अक्टूबर विजयादशमी के दिन तक मनाई जाएगी। इसी दिन सिंदूर खेला होगा। बंगाली समुदाय में नवरात्र की पंचमी तिथि से मां दुर्गा की पूजा उपासना शुरू होती है।

जानिए क्या है सिंदूर खेला

मान्यता है मां दुर्गा 10 दिन के लिए अपने मायके आती हैं। बंगाली समुदाय में पंचमी तिथि से मां दुर्गा की पूजा-उपासना आरंभ होती है और अंत में यानी दशमी तिथि के दिन सिंदूर की होली खेलकर उन्हें विदा किया जाता है। बंगाली समुदाय में इसे सिंदूर खेला के नाम से जाना जाता है।

क्या है सिंदूर खेला का इतिहास 

इतिहास की बात करें तो सिंदूर खेला की परंपरा करीब 450 साल पुरानी है। बंगाली समुदाय में विजयादशमी के दिन सिंदूर खेल के साथ धुनुची नृत्य किया जाता है। यह भी प्राचीन परंपरा का एक हिस्सा है। मान्यता है कि धुनुची नृत्य से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। 

महिलाएं कैसे निभाती हैं सिंदूर खेला की रस्म

नवरात्र की दशमी यानी विजयादशमी के दिन सुहागिन महिलाएं पान के पत्ते में सिंदूर लेकर मां दुर्गा को अर्पित करती हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा जब मायके से विदा होकर ससुराल जाती हैं तो उनकी मांग सिंदूर से सजाई जाती है। इसके बाद सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर दुर्गा पूजा की शुभकामनाएं देती हैं। 


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