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    गले की गांठ से हो सकता है कैंसर

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 21 Oct 2017 02:09 AM (IST)

    मेहंदी अशरफी, मुरादाबाद : आयोडीन की कमी से सबसे अधिक लोग घेंघा रोग के शिकार होते

    गले की गांठ से हो सकता है कैंसर

    मेहंदी अशरफी, मुरादाबाद : आयोडीन की कमी से सबसे अधिक लोग घेंघा रोग के शिकार होते हैं। आम भाषा में इसे गलकंठ या कंठमाला भी कहा जाता है। थायराइड ग्रंथि में होने वाली कई तरह की वृद्धि में से यह एक है। इसमें थायराइड ग्रंथि असामान्य रूप से बढ़ जाती है। ये गले में सामने की तरफ, टेंटुए (कंठ) के नीचे स्थित तितली की तरह दिखाई देने वाली एक ग्रंथि होती है।

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    घेंघा रोग, शरीर में आयोडीन की कमी या थायराइड ग्रंथि के द्वारा अधिक या कम मात्रा में थायराइड हॉर्मोन के उत्पादन के कारण होता है। इसकी कमी से थायरायड ग्रंथि में सूजन आ जाती है। यह स्थिति गंभीर होती है जैसे ग्रंथि बढ़ती जाती है। उसी अनुपात में गला फूलता है। हालांकि इस रोग में व्यक्ति को दर्द तो नहीं होता, लेकिन यदि यह बहुत बढ़ जाए तो व्यक्ति को नियमित रूप से खांसी रहने लगती हैं। भोजन निगलने और सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। किसी व्यक्ति में गला फूलने वाले घेंघे के अलावा एक अन्य प्रकार का विषाक्त गांठ घेंघा हो सकता है। यह घेंघा तब होता है, जब थायराइड ग्रंथि में एक या एक से अधिक गांठे या गिल्टियां बन जाती हैं। इस तरह की स्थिति में थायराइड हॉर्मोन का अतिरिक्त उत्पादन होने लगता है। इससे घेंघा खतरनाक साबित होता है।

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    आयोडीन की कमी से ज्यादा फैल रही बीमारी

    घेंघा रोग के सबसे ज्यादा रोगी उन क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं जहां पानी में आयोडीन की कमी होती है। आयोडीन की कमी को पूरा करने के लिए लिए आयोडीनयुक्त नमक का इस्तेमाल करें। कंठमाला स्थायी परेशानी नहीं है। कई बार यह बिना चिकित्सकीय इलाज के आयोडीन पर्याप्त मात्रा में उपयोग करने पर भी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।

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    अनदेखी से कैंसर में बदलेगा घेंघा

    घेंघा दो-तीन साल से अधिक समय तक कम न हो तो इसे नजरअंदाज न करें। इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है। कई बार यह धीरे-धीरे डेवलप होकर गर्दन के कैंसर का रूप ले लेती है। इसका इलाज, आकार और लक्षण पर निर्भर करता है।

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    आयोडीन की कमी को ऐसे पूरा करें

    दिमागी विकास के लिए आयोडीन बहुत मदद करता है। वजन नियंत्रित रखने में सहायता के साथ आयोडीन का सबसे अच्छा स्रोत नमक होता है। नमक के अलावा खानपान किस पदार्थ से आयोडीन प्रचुर मात्रा में मिलेगा। इसका भी ख्याल रखें।

    - रोस्टेड आलू से मिलेगा पोषक तत्व

    भुने आलू प्रतिदिन खाने चाहिए। इससे आवश्यक पोषक तत्व मिलते है। आलू के छिलके में आयोडीन, पोटेशियम और विटामिन होता है। एक आलू में लगभग 40 माइक्रोग्राम आयोडीन मिलता है।

    - दूध में 56 माइक्रोग्राम आयोडीन

    एक कप दूध में 56 माइक्रोग्राम आयोडीन मिलता है। इसमें कैल्शियम और विटामिन डी भी शामिल है, जो हड्डियों को भी मजबूत बनाता है।

    - रोज खाएं तीन मुनक्का

    प्रतिदिन तीन मुनक्का खाने से 34 माइक्रोग्राम आयोडीन शरीर में पहुंचता है। पांच-छह मुनक्का खाने से आपको विटामिन ए, आयोडीन और फाइबर मिलता है।

    - दही करता है कमी को दूर

    दही में 80 माइक्रोग्राम आयोडीन, जो दिनभर की कमी को पूरा करता है। दही में अच्छे बैक्टीरिया भी पाये जाते है, जिससे पाचन तंत्र अच्छा रहता है।

    ब्राउन राइस में घुलनशील फाइबर

    ब्राउन राइस में पाये जाने वाले घुलनशील फाइबर रक्त में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते है। ब्राउन राइस आयोडीन का अच्छा स्रोत है।

    - सी फूड से बच्चे का दिमाग होगा तेज

    आपका बच्चा तेज दिमाग वाला बने तो उसे आयोडीन की भरपूर मात्रा देना जरूरी है। सी फूड आयोडीन का अच्छा स्त्रोत होता है, इसलिए भोजन में जरूर शामिल करें। मछली में मौजूद पोषक तत्व दिमाग को तेज करने का काम करते हैं। मछली में मौजूद फैटी एसिड स्मरण शक्ति बढ़ाता है। इसमें मौजूद प्रोटीन से दिमाग की नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।

    - स्वास्थ्यवर्धक है लहसुन

    लहसुन खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ कई स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर है। यह कम कैलोरी युक्त होने के साथ ही फाइटोंयूट्रिएंट एनिथॉल से भरपूर होता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ लहसुन में मौजूद आयोडीन का भी पूरा फायदा मिलता है।

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    चिकित्सक वर्जन कोट ::::

    इनका फोटो ::: 16 एसकेएच 239

    शरीर के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। खानपान में ऐसे ही पदार्थ का इस्तेमाल करें, जिसमें आयोडीन प्रचुर मात्रा में हो।

    डॉ. मोहित टंडन, फिजिशियन

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    आयोडीन की कमी से गले में घेंघा रोग की अधिक संभावना रहती है। गले में किसी तरह की गांठ हो तो उसे फौरन चिकित्सक को दिखाएं।

    डॉ. सौरभ अग्रवाल, ईएनटी सर्जन

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