Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कवियों के कवि थे साहित्यकार केदारनाथ अग्रवाल

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 22 Jun 2018 02:35 AM (IST)

    मुरादाबाद : प्रख्यात साहित्यकार केदारनाथ अग्रवाल की आज पुण्यतिथि है। मूल रूप से बांदा जिले के कमा

    कवियों के कवि थे साहित्यकार केदारनाथ अग्रवाल

    मुरादाबाद :

    प्रख्यात साहित्यकार केदारनाथ अग्रवाल की आज पुण्यतिथि है। मूल रूप से बांदा जिले के कमासिन गांव में जन्मे केदारनाथ अग्रवाल को लोग 'बाबू जी' कहकर बुलाते थे। उनका जन्म 1 अप्रैल 1911 को हुआ, 22 जून सन् 2000 में उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रगतिशील रचनाकारों के रूप में उनका नाम शुमार है। मुरादाबाद से भी उनका गहरा नाता रहा है। यश भारती से सम्मानित नवगीतकार माहेश्वर तिवारी उनके साथ बिताए गए पलों के बारे में बताते हुए कहते है कि केदारनाथ अग्रवाल का नाम प्रगतिशील कविता के स्वर्ण युग की याद दिलाता है। वह कहते है कि एक छोटे से गांव से निकलकर साहित्य विधा में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई। वह एक विशुद्ध साहित्यिक कवि थे। वकालत भी करते थे। यही वजह थी कि वह अपनी रचनाओं पर लोगों से आसानी से बहस भी करते थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आपातकाल के समय के बारे में बताते हुए कहते है कि आपातकाल के समय भारतेन्दु हरिशचंद्र शताब्दी समारोह बनारस में आयोजित हुआ। वहां हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वह केदारनाथ जी कर रहे थे। मैंने रचना पढ़ी। उसके बाद उन्होंने मुझे बुलाया और हंसकर कहा कि तुम्हारी यह रचना किसी की नौकरी ले सकती है। वह मुक्त छंद में लिखते थे।

    ----------

    प्रमुख रचनाएं::

    केदारनाथ अग्रवाल ने फूल नहीं रंग बोलते है, नाम से पहली रचना लिखी। इसके बाद उन्होंने युग की गंगा, नींद के बादल, लोक और आलोक, आग का आइना, पंख और पतवार, बोले बोल अनमोल उनकी प्रमुख कृतियों में शुमार है।

    ----------

    बातचीत::

    उनकी रचनाओं में आम आदमी का दर्द है। उन्होंने आने वाली पीढ़ी के लिए सहेजने वाला साहित्य दिया। हर परिस्थिति में उनकी रचनाएं तर्कसंगत है। उन्हें कवियों का कवि कहा जाए तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि वह एक विशुद्ध साहित्यिक कवि थे।

    -जिया जमीर केदारनाथ अग्रवाल ¨हदी साहित्याकाश के ऐसे नक्षत्र है। जिन्होंने दो सदियों को प्रभावित किया। सच्चे साहित्य के द्वारा रचनाधर्मियों के साथ-साथ आम लोगों का भी मार्गदर्शन किया। उनकी रचनाओं में देश की मिट्टी की सोंधी सुगंध विद्यमान है।

    -कृष्ण कुमार नाज

    comedy show banner
    comedy show banner