आजादी के संग्राम में मुरादाबाद ने दी हजारों आहुतियां
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : आजादी के यज्ञ मुरादाबाद ने भी अपनी आहुति दी थी। आठ अप्रैल 1857
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद :
आजादी के यज्ञ मुरादाबाद ने भी अपनी आहुति दी थी। आठ अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी दिए जाने के बाद देश भर में विद्रोह की ज्वाला भड़क गई। स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कर रहे बहादुर शाह जफर ने मुरादाबाद में नवाब मज्जू खां को अपना हाकिम बनाया। नवाब मज्जू खां के युद्ध कौशल से अंग्रेजी फौज नैनीताल भाग खड़ी हुई। जेल तोड़कर सारे कैदी आजाद करा लिए, कोषागार पर भी कब्जा कर लिया गया। लगभग आठ माह नवाब का अधिकार रहा। अंग्रेजों ने इस क्रांति पर काबू करने के बाद हजारों क्रांतिकारियों को फांसी से लटकाया, गोली से उड़ाया और बड़ी संख्या में सिर कलम कर शहीदों के शव को कब्रिस्तान गलशहीद में इमली के पेड़ पर लटकाया। चार फांसी घर जिगर पार्क गलशहीद, कचहरी के पास, जेलखाने के पुश्त एवं शाह बुलाकी की जियारत के पास बनाए गए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने किस तरह कत्लेआम किया होगा। गंगा के पुल के पास हुए युद्ध में सैंकड़ों वीरों को मारकर गंगा में बहा दिया। नवाब मज्जू खां को पकड़ लिया और उन्हें बेहरमी से शहीद कर दिया गया। मौलाना बहाजउद्दीन उर्फ मन्नू को रमजान के महीने में गोली मार दी गई। मौलाना सैयद किफायती अली का़फी को जेल के सामने फांसी दी गई। दमदमा कोठी पर सैकड़ों सरफरोशों को कत्ल कर दिया गया। 29 अप्रैल 1858 को भी रफी उल्लाह व लाल गुलाब राय को तोप से उड़ाया गया।
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