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    UP Board Toppers: सोशल मीडिया से रहे दूर... टॉपर मयंक ने बताई अपनी स्ट्रैटजी, कोचिंग का नहीं लिया सहारा

    By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Fri, 25 Apr 2025 07:51 PM (IST)

    मुरादाबाद के मयंक सिंह ने इंटरमीडिएट परीक्षा में जिले में टॉप किया और प्रदेश में छठा स्थान प्राप्त किया। उनके पिता गैस सिलेंडर डिलीवरी का काम करते हैं। मयंक अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को देते हैं। उनका लक्ष्य साइंस एंड टेक्नोलॉजी में इंजीनियर बनकर देश सेवा करना है। उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी और नियमित स्वाध्याय पर ध्यान केंद्रित किया।

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    पिता करते हैं गैस सिलिंडर की डिलीवरी, बेटा मयंक टापर

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो संसाधन मायने नहीं रखते। मेहनत और प्रतिभा उनके सिर का ताज बन ताजी है। ऐसी ही कहानी है इंटरमीडिएट में जिले में टाप करने वाले मयंक सिंह की। जिनके पिता पिता गैस सिलिंडर की डिलीवरी करते हैं।

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    मयंक ने ना सिर्फ जिले में टाप किया है वरन प्रदेश की टाप टेन सूची में छठा स्थान हासिल कर जिले का मान भी बढ़ाया है। सफलता का श्रेय माता-पिता व शिक्षकों को देते हुए मयंक कहते हैं कि अभी सफर शुरू हुआ है। बहुत दूर तलक जाना है। साइंस एंड टेक्नोलाजी क्षेत्र में इंजीनियर बन देश के लिए कुछ करना है।

    छोटे भाई के भी आए अच्छे नंबर्स

    23वीं वाहिनी स्थित नया गांव गौतमनगर निवासी मयंक सिंह के परिवार में पिता देवेंद्र सिंह, मां रीना देवी व छोटा भाई नितिन है। दो भाईयों में मयंक बड़े हैं। वह इंटरमीडिएट में थे जबकि छोटे भाई नितिन हाईस्कूल में। नितिन ने हाईस्कूल में 93 प्रतिशत अंक हासिल किये हैं।

    चित्रगुप्त इंटर कालेज के छात्र मयंक की सफलता से हर कोई खुश है। दैनिक जागरण ने सफलता की इस बेला पर मयंक से विशेष बातचीत की। मयंक कहते हैं कि टापर बनकर बहुत अच्छा लग रहा है। सफलता के मंत्र के सवाल पर कहा कि पूरे साल अपनी कमियों पर काम किया। रोजाना आठ घंटे पढ़ाई की।

    सोशल मीडिया से रहे दूर

    सोशल मीडिया से दूर रहे। ताकि, मन में कोई भटकाव ना आए। बेहतर नंबर के लिए कोचिंग की अनिवार्यता के सवाल पर कहा कि बिल्कुल नहीं। पढ़ाई के समय कोचिंग का सहारा नहीं लिया। स्वाध्याय से यह मुकाम हासिल किया। नियमित पढ़ाई का मंत्र ही हमें आगे ले जाता है।

    आगे के लक्ष्य के सवाल पर कहते हैं कि साइंस एंड टेक्नोलाजी क्षेत्र में इंजीनियर बनना है। अब सपने को पूरा करने के लिए तैयारियों में जुटेंगे। युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि मोबाइल का अधिक प्रयोग पढ़ाई पर प्रभाव डालता है। इसलिए फोन का इस्तेमाल बहुत जरूरत होने पर ही करें।

    इधर, पिता व मां बेटे की इस सफलता पर गौरान्वित हैं। पिता कहते हैं कि बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़े। इससे ज्यादा एक पिता को और क्या चाहिए? हमें कभी भी अपने काम से शर्माना नहीं चाहिए। यही वजह है कि बेटे ने जिले और प्रदेश में नाम रोशन किया। मयंक के गणित में 92, भौतिक विज्ञान में 99, रसायन विज्ञान में 99 अंक हासिल किये।