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    यूपी का एक अनोखा गांव, जिसे लोग पहलवानों के गांव के नाम से जानते हैं, जानेंं इसकी वजह और कहां है गांव

    By Samanvay PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 08 Jul 2022 12:49 PM (IST)

    Unique Village of UP उत्तर प्रदेश का एक गांव ऐसा है जिसे यदि पहलवानों का गांव कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। इस गांव के हर एक युवा की पहली पसंद पहलवानी है। बच्चे के जन्म लेते ही मां-बाप उसके पहलवान बनने का ख्वाब देखने लगते हैं।

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    Unique Village of UP : पहलवानी में पपसरा के छोरे कर रहे अमरोहा का नाम रोशन

    अमरोहा, (आसिफ अली)। Unique Village of UP : उत्तर प्रदेश का एक गांव ऐसा है जिसे यदि पहलवानों का गांव कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। इस गांव के हर एक युवा की पहली पसंद पहलवानी है। बच्चे के जन्म लेते ही मां-बाप उसके पहलवान बनने का ख्वाब देखने लगते हैं। गांव में ऐसे कई पहलवान हैं, जो अपनी इसी कला के बूते दूसरे शहरों व राज्यों के अलावा विदेश में होने वाली कुश्ती-दंगल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर अपने गांव व जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं। बीते 70 साल से गांव में पहलवानी की परंपरा है। लगभग हर एक घर में पहलवान है। कुश्ती लडे़ या न लड़े, लेकिन पहलवानी के दांव-पेंच हर युवक सीखता है।

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    जानें किस जनपद में है पहलवानों का गांवः यह गांव उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा के गजरौला ब्लाक से करीब 10 किमी दूर है। गंगा तट के थोड़े फासले पर बसा यह गांव पपसरा खादर पहलवानों का गांव भी कहलाता है। आठ हजार की आबादी वाले इस गांव में कई बड़े पहलवान ऐसे हैं, जिनका नाम दूसरे राज्यों में भी है। गांव के सैयद उर्फ भूरा ने अभी 15 इस साल की उम्र में अखाड़े में दांवपेंच सीखना शुरू कर दिए। ऐसे ही यासीन पहलवान हैं। उनके चाचा दीनू भी नामी पहलवान रहे हैं।

    70 साल से दीनू गांव में जगा रहे पहलवानी की अलखः लगभग 70 साल पहले दीनू ने गांव में पहलवानी की अलख जगाई थी। चाचा के निधन के बाद गांव के अफसर व हिम्मत पहलवान से उन्होंने पहलवानी के गुर सीखे। अमरोहा केसरी का खिताब प्राप्त करने वाले यासीन व सैयद ने अपना दमखम दिखाते हुए दूसरे राज्यों के पहलवानों को भी धूल चटाई है।

    विदेश समेत देश के कई प्रदेशों में पहलवानों को मात दे रहे यहां के पहलवानः बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड और दिल्ली के अलावा नेपाल में भी विशाल कुश्ती आयोजनों के दौरान यासीन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पहलवानों को मात दी है। पपसरा के ही जावेद और कपिल भी कुश्ती में गांव ही नहीं जिले का नाम भी रोशन कर रहे हैं। आलम यह है कि शरीर का संतुलन संभालने की उम्र होते ही गांव के किशोर को अखाड़े में जाकर दांव-पेंच सीखने पड़ते हैं। यह मजबूरी नहीं बल्कि परंपरा है।

    मेरठ केसरी से भिड़ चुके हैं पपसरा के यासीन : गाव पपसरा खादर निवासी मोहम्मद यासीन मेरठ मंडल के सबसे बड़े पहलवान दिलशाद से भी भिड़ चुके हैं। हालांकि इस कुश्ती में दोनों पहलवान बराबर पर रहे थे। उनकी यह भिड़ंत चंदौसी में एक बड़े कुश्ती समारोह में हुई थी।

    हरियाणा के पहलवान को चटाई थी धूल : एक साल पूर्व चकनवाला रोड पर विराट एकता कुश्ती दंगल में हरियाणा के पहलवान मोनू ने पहले ही दिन अमरोहा के पहलवानों को चैलेंज किया था। इसके बाद पपसरा खादर के यासीन को उसके मुकाबले में उतारा गया। इसमें यासीन ने हरियाणा के पहलवान का गुरूर तोड़ते हुए उसे अपने निकाल दांव, लोड दांव, कला जंग, हिरानी दांव, कैंची दांव, धोबी पछाड़ दांव से धूल चटाई।