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    Narak Chaturdashi 2022: नरकासुर दैत्‍य के वध की खुशी में मनाई जाती है नरक चतुर्दशी, ऐसा है पूजा का विधान

    Narak Chaturdashi 2022 नरकासुर एक पापी राजा था। उसे वर मिला हुआ था कि वो सिर्फ मां भूदेवी के हाथों ही मारा जाएगा। इसलिये नरकासुर ने स्वर्ग लोक पर अत्याचार करना शुरू कर दिये। सभी देवता भगवान कृष्ण के पास गए।

    By Jagran NewsEdited By: Vivek BajpaiUpdated: Sun, 23 Oct 2022 08:18 AM (IST)
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    Chhoti Diwali: भगवान श्रीकृष्‍ण ने नरकासुर का वध करके लोगों की रक्षा की थी। जागरण

    मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Narak Chaturdashi 2022:  छोटी दीपावली धनतेरस के के दिन पश्चात एवं मुख्य दीपावली से एक दिन पूर्व मनाई जाती है। भारतीय सनातन धर्म शास्त्र के अनुसार से कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इसे हम नरक चतुर्दशी भी कहते हैं इस दिन घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। साथ ही खरीदारी भी धूमधाम से की जाती है। आज नरक चतुर्दशी का त्‍योहार है। 

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    ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया था। जैसा कि इसका नाम ही छोटी दीपावली है तो इस दिन दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है, लेकिन छोटे स्तर पर। छोटी दिवाली के दिन घर को फूलों माला फूल से सजाया जाता है और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है।

    नरक चतुर्दशी कथा

    नरकासुर एक पापी राजा था। उसे वर मिला हुआ था कि वो सिर्फ मां भूदेवी के हाथों ही मारा जाएगा। इसलिये नरकासुर ने स्वर्ग लोक पर अत्याचार करना शुरू कर दिये। सभी देवता भगवान कृष्ण के पास गए। भगवान कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा जो कि भूदेवी का पुनर्जन्म थीं उन्हें रथ में लेकर नरकासुर से युद्ध करने जा पहुंचीं। नरकासुर ने एक तीर मारा जो कि श्रीकृष्ण को लगा। सत्यभामा इससे गुस्से में आ गईं। सत्यभामा ने तीर से नरकासुर का वध कर दिया। असुर के मारे जाने पर सभी लोगों ने खुशियां मनाईं। भगवान श्रीकृष्‍ण ने नरकासुर की गिरफ्त से 16,108 कन्‍याओं को मुक्‍त कराया था। बाद में उन्‍हें सम्‍मान दिलाने केे लिए अपनी पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया था। तभी से नरकासुर के वध की खुशी में नरक चतुर्दशी का त्‍योहार मनाया जाता है।

    नरक चतुर्दशी पूजा

    सूर्य किरण निकलने से पूर्व उठ कर शरीर पर तेल या उबटन लगाएं। इसके बाद स्नान करें। स्नान करने के बाद दक्षिण की ओर मुंह करके हाथ जोड़ें और यमराज जी से प्रार्थना करें। पूरा दिन भगवान का आचरण करें और शुभ कार्य करें। शाम के वक्त सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना के बाद तेल के दीपक जलाकर मुख्य दरवाजे की चौखट पर रखें। अपने कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर भी दीपक जलाएं। ऐसा करने से एक तो पाप नष्ट होते जाता है माता लक्ष्मी की अति कृपा होती है