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    Sanskarshala 2022 : इंटरनेट मीडिया से भी मिलते हैं अच्छे संस्कार, बस सीखने की है जरूरत

    By Samanvay PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2022 02:03 PM (IST)

    Sanskarshala 2022 अमरोहा में हसनपुर के किसान इंटर कालेज ताहरपुर के प्रधानाचार्य धर्मप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई करने से ही नहीं बल्कि इंटरनेट मीडिया से भी हमें डिजिटल संस्कार सीखने को मिलते हैं। हमें बहस करते समय सही और गलत बात पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।

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    Sanskarshala 2022 : अमरोहा में हसनपुर के किसान इंटर कालेज ताहरपुर के प्रधानाचार्य धर्मप्रकाश अग्रवाल।

    Sanskarshala 2022 : अमरोहा में हसनपुर के किसान इंटर कालेज ताहरपुर के प्रधानाचार्य धर्मप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई करने से ही नहीं बल्कि इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी हमें डिजिटल संस्कार सीखने को मिलते हैं। हमें इंटरनेट मीडिया पर बहस करते समय सही और गलत बात पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।

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    जानें कौन से बच्चे होते हैं संस्कारवान

    स्कूलों में भाषण तथा वाद विवाद प्रतियोगिता में पक्ष और विपक्ष दोनों की बातों पर ध्यान रखना चाहिए। बहस में सही बातों को चुनकर अपना मत स्पष्ट करना चाहिए। इंटरनेट मीडिया पर हर एक मुद्दे पर बहस हो सकती है। स्कूलों में भी बच्चे विभिन्न मुद्दे पर अपनी राय देते हैं। लेकिन संस्कारवान बच्चे वही होते हैं जिन्हें बुराई और अच्छाई की समझ होती है।

    इंटरनेट मीडिया की सभी बातें भरोसे लायक नहीं

    डिजिटल संस्कार सीखें, इंटरनेट मीडिया पर बहस करें परंतु आपकी समझ सही होनी चाहिए। क्योंकि इंटरनेट मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, टवीट् पर बहुत कुछ सीखने और समझने को मिल सकता है लेकिन इंटरनेट मीडिया की सारी बातें भरोसे लायक नहीं होती।

    पढ़ाई के दिनों में इंटरनेट मीडिया से रहें दूर

    जैसे समाज में अच्छे व बुरे सभी प्रकार के लोग रहते हैं। वैसे ही इंटरनेट मीडिया पर भी अच्छी व गलत मानसिकता के लोग हैं। इसलिए हमें पढ़ाई के दिनों में इंटरनेट मीडिया से जितना हो सके दूर रहना चाहिए। हां पढ़ाई में मदद के लिए इंटरनेट मीडिया पर विश्वसनीय सूत्रों के माध्यम से बहुत कुछ सीख सकते हैं। किसी भी विषय पर सही रास्ता चुनने के लिए लोगों से राय ले सकते हैं।

    इंटरनेट मीडिया पर नकारात्मक बातें भी होती हैं

    विद्यालय में एक दिन भाषण प्रतियोगिता थी। इसका विषय था कि हम घर के कामों में हाथ बटाएं। इसमें छात्रा स्वाति मंच पर बोलने आई तो उसे हाल में कुछ दादी बैठी दिखाई दी। इंटरनेट मीडिया पर उसकी पोस्ट पर निगेटिव बातें थी, लेकिन दादी को आडियंस में देखकर वह जोश में आ गई और कहने लगी कि हम बच्चे पढ़ाई लिखाई में ही इतने व्यस्त रहते हैं।

    घर पहुंचकर खाना भी खाते हैं, फिर थोड़ी देर आराम करते हैं। इसके बाद स्कूल का होमवर्क करते हैं, फिर स्कूल में होने वाले टेस्ट की तैयारी भी करते हैं। घर पर कोई आ जाए तो उससे बात करने तक की फुरसत नहीं मिलती। इंटरनेट से भी कुछ पढ़ाई करनी पड़ती है और अगली सुबह फिर स्कूल जाना पड़ता है।

    टाइम टेबल बनाकर करें सभी काम

    ऐसे में बताइए हम घर का काम कैसे कर सकते हैं। लेकिन हम अपनी जगह सही और आत्मविश्वास से भरें हुए हैं तो पढ़ाई से संबंधित अपने सभी कार्य करने के साथ ही अपने घर पर भी रोजमर्या के जरूरी काम में अपना सहयोग दे सकते हैं। इसके लिए हम अपने कामकाज का दैनिक चार्ट बना सकते हैंं कि हमें कितने घंटे पढ़ना और कितने घंटे आराम करना है।

    इसमें थोड़ा समय हम घर के कामों को निपटाने के लिए भी जरूर निकाल सकते हैं। हमारे मन में पढ़ाई के साथ घर के काम निपटाने का जज्बा होना चाहिए। समाज में रहकर वहीं लोग आगे बढ़ते हैं जो खुद के काम के साथ दूसरों के काम का भी ख्याल रखते हैं।