मोबाइल फोन के जीपीएस और इंटरनेट बंद करवा यूक्रेन से छात्रों को सुरक्षित निकालने के हो रहे प्रयास
Russia Ukraine News उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा के जोया कस्बे के गांव श्यामपुर निवासी छात्र मोहम्मद अजीम शनिवार को छात्र-छात्राओं के दल के साथ यूक्रेन के शहर किसोचिन से बार्डर के लिए रवाना हुए। किस देश के बार्डर जाएंगे यह नहीं बताया गया।

अमरोहा, जेएनएन। Russia Ukraine Crisis : उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा के जोया कस्बे के गांव श्यामपुर निवासी छात्र मोहम्मद अजीम शनिवार को छात्र-छात्राओं के दल के साथ यूक्रेन के शहर किसोचिन से बार्डर के लिए रवाना हुए। किस देश के बार्डर जाएंगे, यह नहीं बताया गया। हां, दूतावात के अधिकारियों ने सभी छात्र-छात्राओं से मोबाइल लोकेशन तथा इंटरनेट सेवा बंद करा दी थी। ताकि किसी प्रकार की दिक्कत न आए।
जोया के गांव श्यामपुर निवासी एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र मोहम्मद अजीम गुरुवार तक यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे हुए थे। गुरुवार को जब वह 600 छात्र-छात्राओं के साथ निकले थे तो उनके बेहद करीब धमाका हुआ था। किसी तरह से यूक्रेनी सैनिकों ने सभी छात्र-छात्राओं को वहां से निकाल कर पास के शहर किसोचिन में पहुंचाया था। हालांकि खतरा वहां भी नहीं टला था। परंतु सभी छात्र-छात्राओं को सुरक्षित निकालने के प्रयास जारी थे। शनिवार दोपहर मोहम्मद आजम ने दैनिक जागरण को बताया कि यहां भी खतरा बरकरार है।
पड़ोसी शहरों में हो रहे हमलों के धमाकों की आवाज सुनाई दे रही है। दोपहर बाद चार बजे बस उपलब्ध कराई गई है। यहां से बार्डर भेजा जा रहा है। बताया कि किस देश के बार्डर तक पहुंचाया जाएगा, इसके बारे में कुछ स्पष्ट नहीं है। परंतु दूतावास के अधिकारियों ने सभी छात्र-छात्राओं से मोबाइल की लोकेशन व इंटरनेट सेवा बंद करने को कहा है। परंतु स्वजन की काल आने की वजह से इंटरनेट खोलना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सभी छात्र-छात्राएं डरे हुए हैं। यहां हालात बेहद खराब हैं। बस किसी तरह से यूक्रेन पार कर जाएं यही प्राथमिकता है।
मारूफ व शाह कमाल भी यूक्रेन से घर लौटे : युद्ध ग्रस्त यूक्रेन से जिले के छात्र-छात्राओं का सकुशल घर वापस लौटने का सिलसिला जारी है। शनिवार को अमरोहा के शाह कमाल व मारूफ अली भी स्वजन के बीच पहुंच गए हैं। वहीं नौ छात्र-छात्राएं भी रविवार दोपहर तक घर पहुंच जाएंगे। अमरोहा के मुहल्ला दानिशमंदान निवासी शाह कमाल व मुहल्ला कल्याणपुरा निवासी मारूफ अली भी युद्ध ग्रस्त यूक्रेन में फंस गए थे। किसी तरह से वह स्लोवाकिया व रोमानिया के बार्डर पर पहुंचे थे। वहां से शुक्रवार रात दोनों छात्र सकुशल दिल्ली पहुंचे।
शनिवार दोनों छात्र स्वजन के बीच घर पहुंच गए हैं। स्वजन ने भी राहत की सांस ली है। उनका जोरदार स्वागत किया गया। वहीं स्लोवाकिया में ठहरे जोया निवासी फैज पाशा, नुरूल, हाशिम, उमर जहां, कमर जहां व अतरासी के महफूज समेत नौ छात्र-छात्राएं भी शनिवार शाम दिल्ली के लिए रवाना हो गए। देर रात वह दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे। रविवार दोपहर तक यह छात्र भी घर लौट आएंगे। स्लोवाकिया से फैज पाशा ने बताया कि वह घर लौटने को बेताब हैं। यहां बहुत परेशानी झेली है। युद्ध के वह छह दिन कभी नहीं भूले जाएंगे।
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