रामपुर नवाब खानदान के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप, चांदी के पलंग पर सोते थे, सोने के बर्तन में खाते थे
रामपुर नवाब परिवार के लोगों के जीने का अंदाज काफी सुर्खियों में रहा था। आज भी इनकी चर्चा होती है तो लोग उत्साहित हो जाते हैं। कोठी खासबाग से लेकर च ...और पढ़ें

मुरादाबाद [मुस्लेमीन]। रामपुर नवाब परिवार की 26 सौ करोड़ की संपत्ति का बंटवारा हो चुका है। 49 साल तक चले मुकदमे के बाद रामपुर जिला जज ने आदेश जारी कर इसे सुप्रीम कोर्ट को भेज दिया गया। ऐसे में एक बार फिर से नवाब परिवार सुर्खियों में है। नवाब परिवार का अपना रुतबा रहा है, जितना इस परिवार के बारे में लोग जानते हैं, उससे कई ज्यादा चीजें अभी लोगों के सामने ही नहीं आ पाई हैं। एक वक्त था जब नवाब परिवार का अपना रेलवे स्टेशन होता था, नवाब चांदी के पलंग पर सोते थे, इसके अलावा सोने के बर्तन में खाना भी खाते थे।
आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का जलवा कायम था। उनके जीने का अंदाज निराला था। चांदी के बर्तनों के साथ ही उगलदान, पानदान और खासदा मेंन सबके सब चांदी के थे। उनके सोने के लिए बने छह पलंग भी चांदी जडि़त थे। नवाब खानदान की बड़ी तादाद में संपत्तियां हैं। 1073 एकड़ जमीन है। कोठी खासबाग, कोठी बेनजीर, लक्खीबाग, कुंडा और नवाब रेलवे स्टेशन अचल संपत्ति में शामिल हैं। जबकि चल संपत्ति भी बहुतायत में हैं, जिनमें हथियार और दूसरे बेशकीमती सामान शामिल हैं। संपत्ति में नवाब के चांदी के छह पलंग के साथ ही चांदी के 20 पानदान, छह खासदान और 20 उगलदान, 20 सिगार बॉक्स और चार हुक्के भी शामिल हैं।

खास अंदाज में होता था स्वागत : पूर्व सांसद बेगम नूरबानो बताती हैं कि वह 1956 में दुल्हन बनकर खासबाग आईं। तब वे चांदी के पलंग पर सोती थीं। पानदान में पान रखे जाते थे। खासदान एक ट्रे नुमा होता था, जो खास मेहमानों के लिए होता था। सिंहासन में चांदी की छतर थी। ये सारी चीजें बंटवारे की सूची में शामिल हैं।

शाही दस्तरखान पर सजती थी महफिल : नवाबों के शाही दस्तरखान पर खास लोगों की महफिल सजती थी। जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन शाहिज एजाज खां भी लंबे समय तक नवाब खानदान से जुड़े रहे हैं और नवाबों की महफिलों में शामिल होते रहे हैं। उन्हें कई बार उनके दस्तरखान पर खाने का मौका भी मिला। रामपुर के नवाब मेहमाननबाजी के शौकीन थे। उनका दस्तरखान भी खास अंदाज में सजता था। करीब 20 लोग साथ बैठकर खाना खाते थे। देश के कई हिस्सों के खानसामा रसोई तैयार करते थे।

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