Moradabad News: पुलिस की ई-चालान वेबसाइट हैक करके सरकार को लगाया लाखों रुपये का चूना, दो हैकर गिरफ्तार
Police ID Hacked in Moradabad एसएसपी हेमंत कुटियाल ने एसपी सिटी कार्यालय में पत्रकारों को बताया कि शाने आलम निवासी ग्राम व थाना मैनाठेर के भाई की ट्रांसपोर्टनगर में बास डीजल इंजीनियरिंग के नाम से दुकान थी। वह इसी में बैठकर कंप्यूटर पर ई-चालान जमा करने का काम करने लगा।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Police ID Hacked in Moradabad: एसओजी ने साइबर सेल और मझोला थाने की टीम के साथ मिलकर पुलिस की ई-चालान वेबसाइट को हैक करके सरकार को लाखों रुपये का चूना लगाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह का नेटवर्क यूपी और उत्तराखंड के 53 जिलों में फैला हुआ है। गिरोह के सदस्य वेबसाइट से चालान को डिलीट कर देते हैं। ऐसे भी केस पकड़ में आए हैं, जिसमें दस हजार से चालान को 100 रुपये का करके भुगतान कर दिया गया। इस गिरोह में कई सरकारी कर्मचारियों के भी शामिल होने की संभावना है। अयोध्या के आरटीओ कार्यालय में संविदा पर तैनात एक कर्मचारी समेत तीन नाम पकड़े गए हैकरों ने पुलिस अधिकारियों को पूछताछ में बताए हैं। मुरादाबाद पुलिस की टीम गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर अन्य की तलाश में छापामारी कर रही है।
बुधवार को एसएसपी हेमंत कुटियाल ने एसपी सिटी कार्यालय में पत्रकारों को बताया कि शाने आलम निवासी ग्राम व थाना मैनाठेर के भाई की ट्रांसपोर्टनगर में बास डीजल इंजीनियरिंग के नाम से दुकान थी। वह इसी में बैठकर कंप्यूटर पर ई-चालान जमा करने का काम करने लगा। वह मुरादाबाद ही नहीं अन्य जनपदों के भी आनलाइन ई-चालान जमा करने लगा। दूसरे जिलों में जाकर भी चालान जमा करता था। इसलिए ई-चालान की पूरी प्रक्रिया से वाकिफ हो गया था।
कुशीनगर से मिला पुलिस विभाग की आइडी का पासवर्ड
आरोपित एक बार कुशीनगर में ई-चालान जमा करने गया तो वहां के कर्मचारी ने शाने आलम के सामने ही पुलिस विभाग की आइडी से वेबसाइट खोली। इस दौरान शानेआलम ने पासवर्ड देख लिया। इसके बाद उसने घर आकर अपने कंप्यूटर में आइडी खोली तो खुल गयी। इसके बाद आरोपित ने ई-चालान डिलीट करने और उसकी धनराशि को कम करके जमा करने का खेल शुरू कर दिया। आरोपित ग्राहक से रुपये लेकर वेबसाइट हैक कर उनके चालान जमा दिखा देते थे।
जनसेवा केंद्र संचालक है दूसरा आरोपित
पड़ोस के गांव असदपुर के रहने वाले जावेद अहमद को भी अपने साथ मिला लिया। जावेद जनसेवा केंद्र चलाता था। दोनों शातिर स्नातक हैं। उन्होंने कंप्यूटर का डिप्लोमा भी कर रखा है। उन्होंने अपना नेटवर्क यूपी के कानपुर, अयोध्या, फैजाबाद, कुशीनगर, लखनऊ, बाराबंकी, इटावा, एटा, मैनपुरी समेत 51 जिलों में नेटवर्क बना लिया। उत्तराखंड के दो जिलों में भी उनका नेटवर्क था।
एक साल चल रहा था ई-चालान डिलीट करने का काम
एसएसपी ने बताया कि आरोपित करीब एक साल से ईृ-चालान डिलीट करने और धनराशि कम करने का काम कर रहे थे। उनका कहना है कि हमने 15 लाख रुपये इससे कमाए हैं। लेकिन, इससे अधिक कमाए होंगे। आरोपितों ने अपने तीन साथियों का नाम बताया है। इनमें अभिकुमार लाल मिश्रा उर्फ आर्य कुमार मिश्रा आरटीओ कार्यालय अयोध्या में संविदा पर तैनात है।
एक आरोपित कानपुर कचहरी में तैनात बाबू भी
दूसरा अहमद रजा डींगरपुर, थाना मैनाठेर का ही रहने वाला है। तीसरा दीपक राज कानपुर कचहरी में संविदा पर तैनात बाबू है। पुलिस और एसओजी की टीम गिरोह के फरार सदस्यों को तलाश करने में संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी होने से इस गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी मिलेगी।
हैकरों से 15 फर्जी मोहरें बरामद
हैकरों के कब्जे से एक लैपटाप, दो एलसीडी, दो सीपीयू, पांच प्रिंटर, 15 मोहरें और बनाने की मशीन, पेन ड्राइव, छह क्यूआर कोड, सीजेएम की भुगतान रशीद की छाया प्रति, तीन मोबाइल फोन, नौ बैंक पासबुक, नौ क्रेडिट व डेविट कार्ड बरामद हुए हैं। एसपी क्राइम अशोक कुमार ने बताया कि आरोपितों के पास से 53 जिलों में चालान का भुगतान की रसीदें मिली हैं। छानबीन के दौरान पता लगा कि रसीद अपलोड करने के लिए आरोपितों ने फर्जी मोहरें भी बनवा लीं थीं। रसीद बनाने के बाद मोहरों को दुकान से हटा दिया करते थे।
ओटीपी का भी हल निकाल लिया
एसपी क्राइम ने बताया कि सरकार ने छह महीने पहले पुलिस की ई-चालान वेबसाइट पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) की व्यवस्था कर दी थी। इसके लिए उन्होंने वेबसाइट खोलकर अपना नंबर डालना शुरू कर दिया। उसी पर ओटीपी आ जाती थी। इसके बाद उनका ई-चालान को डिलीट करना और धनराशि कम करना आसान हो जाता था। आरोपितों ने कई जिलों के न्यायालयों की साइट पर भी ई-चालान को डिलीट करने का काम किया। वह धनराशि कम करके भुगतान की रसीद भी अपलोड किया करते थे।
इस तरह हैकरों तक पहुंची पुलिस
एसपी क्राइम ने बताया कि वह एक दिन पुलिस की ई-चालान वेबसाइट देख रहे थे। इस दौरान कई चालान ऐसे मिले जिनकी धनराशि बहुत हो गयी थी। उन्होंने कोई धनराशि कम नहीं की थी। इस पर उन्हें शक हुआ। साइबर सेल की मदद से वेबसाइट को चेक कराया तो सारी हकीकत सामने आ गयी। वहीं से पता लग गया कि किस आइपी एड्रेस से चालान की धनराशि को कम किया गया। उसी के आधार पर शानेआलम और जावेद पुलिस के हाथ लग गए।