पंचायत चुनाव: चार महीने में सोलह प्रधानों की जांच को खुली फाइल
पिछले चार महीनों से सोलह प्रधानों के खिलाफ जांच जारी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतों के बावजूद, जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के कारण ग्रामीणों में असंतोष है। वे जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। पंचायत चुनाव नजदीक आते ही ग्रामीणों ने प्रधानों के कामकाज पर अंगुली उठानी शुरू कर दी है। पिछले चार महीने में जिले के 16 ग्राम प्रधानों पर गबन के आरोप लगे हैं। जिलाधिकारी अनुज सिंह ने सभी की फाइलें खोलकर जांच के आदेश दिए हैं लेकिन, अधिकारी जांच दबाए बैठे हैं हालांकि ग्राम पंचायत खरगपुर बाजे, विकास खंड मूंढापांडे में सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला आखिर निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।
डीएम ने जांच पूरी करते हुए ग्राम प्रधान प्रेमपाल सिंह को वित्तीय अनियमितताओं का दोषी मानते हुए 5,67,471 की गड़बड़ी पाई है। इस धनराशि की आधी रकम यानी 2,83,735.50 की वसूली ग्राम प्रधान से तथा शेष आधी रकम उतनी ही राशि संबंधित तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिवों के वेतन से ली जाएगी।
वर्ष 2024 में ग्राम पंचायत खरगपुर बाजे में ग्राम निधि से किए गए विकास कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत सामने आई। जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया कि वर्ष 2021-22 के दौरान गंगा किनारे से पप्पू माई के घर तक मिट्टी भराव एवं खड़ंजा निर्माण कार्य के नाम पर 1.20 लाख का आहरण दिखाया गया, जबकि मौके पर कार्य अधूरा और मानक से कम पाया गया।
इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट ने सात जनवरी 2025 को ग्राम प्रधान प्रेमपाल सिंह के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार निलंबित कर दिए थे तथा अंतिम जांच के लिए जिला विकास अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था।प्रधान प्रेमपाल सिंह ने इस कार्रवाई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 12 मई 2025 को जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के प्रभाव को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया, परंतु यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश जांच पूरी करने से जिला प्रशासन को नहीं रोकेगा। जिला पंचायत राज अधिकारी आलोक शर्मा ने बताया कि लंबित जांचों के संबंध में पत्र लिखकर जल्द ही रिपोर्ट मांगी गई है।
अंतिम जांच रिपोर्ट के बाद आदेश
जिला विकास अधिकारी गोविंद वल्लभ पाठक ने 19 मई 2025 को अंतिम जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी। रिपोर्ट में पाया गया कि ग्राम पंचायत निधि से कराए गए कार्यों में तकनीकी माप, लंबाई-चौड़ाई और खर्च के आंकड़ों में भारी अंतर है। उदाहरणस्वरूप, जिस खड़ंजा कार्य को 99.30 मीटर लंबाई और चार मीटर चौड़ाई में पूरा दिखाया गया, उसकी वास्तविक लंबाई केवल 69.30 मीटर पाई गई।
इसी रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी कार्यालय ने 29 जुलाई 2025 को आरोप पत्र जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा था, लेकिन ग्राम प्रधान ने कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया। डीएम ने ग्राम प्रधान प्रेमपाल सिंह द्वारा स्पष्टीकरण न देने और जिला विकास अधिकारी की जांच रिपोर्ट में पाए गए तथ्यों के आधार पर यह निर्णय लिया जाता है कि कुल 5,67,471 की अनियमित व्यय की आधी धनराशि प्रधान एवं आधी धनराशि संबंधित सचिवों के वेतन से वसूल की जाए।
लंबी जांच, दो अदालती दौर
यह मामला वर्ष 2024 से लंबित था। ग्राम पंचायत सदस्य विशेष सिंह चौहान ने भी इस संबंध में न्यायालय में रिट दाखिल की थी, जिस पर अदालत ने प्रशासन को एक माह में जांच पूरी कर दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। उसी के बाद जिला प्रशासन ने जांच को अंतिम रूप देकर अब वसूली का आदेश जारी किया है।
कहां हुई गड़बड़ी?
| वर्ष: | 2021–22 |
| कार्य: | गंगा किनारे से पप्पू माई के घर तक खड़ंजा व मिट्टी भराव |
| खर्च दिखाया गया: | 1,20,000 |
| जांच में पाया गया: | कार्य अधूरा, लंबाई 30 मीटर कम |
| कुल अनियमित व्यय: | 5,67,471 |
| वसूली आदेश: | प्रधान व सचिवों से बराबर भाग में 2.83 लाख–2.83 लाख |

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