बर्खास्त शिक्षक माहिरा अख्तर बोलीं, मैं जन्म से हूं भारतीय, मुझे पाकिस्तानी नागरिक कहना गलत
Pakistani Citizenship Hiding Case पाकिस्तानी नागरिकता छिपाने के आरोप में बर्खास्त शिक्षिका का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी पहुंच गया है। आर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, रामपुर। Pakistani Citizenship Hiding Case : पाकिस्तानी नागरिकता छिपाने के आरोप में बर्खास्त शिक्षिका का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) में भी पहुंच गया है। आरटीआइ कार्यकर्ता दानिश खां द्वारा इस संबंध में दायर याचिका को आयोग ने पंजीकृत कर लिया है। इस याचिका में गृह मंत्रालय (Home Ministry) को विपक्षी बनाते हुए पूछा गया है कि ढाई साल पाकिस्तान (Pakistan) में रहकर आई महिला की भारतीय नागरिकता कैसे समाप्त की जा सकती है?
मैं जन्म से भारतीय हूं पाकिस्तानी नहीं
महिला माहिरा अख्तर (Mahira Akhtar) ने मानवाधिकार आयोग में दिए प्रार्थना पत्र में कहा है कि वह जन्म से भारतीय हैं। उनकी प्राइमरी से लेकर बीटीसी तक की शिक्षा यहां हुई है। उन्हें एक षड्यंत्र के तहत झांसे में लेकर पाकिस्तानी नागरिक द्वारा निकाह कर लिया गया। वह मात्र ढाई साल पाकिस्तान में रहीं।
इस अवधि में पति और ससुराल वालों ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया। वह अपने देश वापस आना चाहती थीं। पति ने उनका भारतीय पासपोर्ट छीनकर नष्ट कर दिया था, ताकि वह कभी भारत न लौट सकें। बाद में पति ने उनकी बिना मर्जी के फरजाना बी के नाम से दूसरा पासपाेर्ट बनवाकर दिया।
पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भारत आईं थी माहिरा
उसके आधार पर वह अपनी बेटियों को लेकर भारत लौट सकीं। चूंकि वह पाकिस्तानी पासपोर्ट के आधार पर जान बचाकर अपने देश आ सकीं, इसलिए विवश होकर पाकिस्तानी होकर रहने के लिए मजबूर हूं। पाकिस्तानी शौहर द्वारा मुझे तलाक दिया जा चुका है। उनकी मृत्यु भी हो चुकी है। भारत आने के बाद मैंने वर्ष 1985 में मुहल्ला घेर मियां खां निवासी सद्दीक हसन खां से निकाह कर लिया था। ऐसे में मुझे पाकिस्तानी नागरिक कहना गलत है। मैं पूरी तरह भारतीय हूं।
जानें क्या है पूरा मामला
यह मामला शहर के मुहल्ला घेर मियां खां की माहिरा अख्तर का है। वह सैदनगर ब्लाक के ग्राम कुम्हरिया कला स्थित प्राथमिक स्कूल में शिक्षिका थी। बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा उन्हें नौ मार्च 2021 को बर्खास्त कर दिया था। उनकी बर्खास्तगी पाकिस्तानी नागरिकता का तथ्य छिपाकर नौकरी हासिल करने के आधार पर की गई।
दरअसल, माहिरा का निकाह वर्ष 1979 में पाकिस्तानी सितवत अली से हुआ था। इसके बाद वह पाकिस्तान चलीं गई थी। करीब ढाई साल बाद उनका पति से तलाक हो गया। वह अपनी दो बेटियों के साथ वापस लौट आईं। वह वीजा अवधि पर यहां आई थीं, जिसके खत्म होने के बाद भी वह पाकिस्तान नहीं लौटीं।
एलआइयू ने दर्ज कराया था मुकदमा
एलआइयू द्वारा उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था, जिसमें उन्हें कोर्ट अवधि में रहने की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद वह बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका बन गईं। साल 2015 में उनके पाकिस्तानी नागरिक होने का मामला तूल पकड़ गया। तब उन्होंने खुद को भारत का मूल निवासी बताते हुए भारत में रहने की अनुमति मांगी।
शासन से यह अनुमति भी मिल गई, लेकिन उन्हें नागरिकता अभी तक नहीं मिल सकी है। उनकी नागरिकता का मामला भारत सरकार में लंबित है। अपनी बर्खास्तगी के बाद वह हाईकोर्ट चली गई थीं। अभी उनका मामला हाईकोर्ट में लंबित चल रहा है। अब सिविल लाइंस क्षेत्र के माडल कालोनी निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता दानिश खां ने महिला की नागरिकता को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की है। आरटीआइ कार्यकर्ता ने बताया कि आयाेग ने बुधवार को उनकी याचिका को पंजीकृत कर लिया है।
बेटी भी बन गई थी शिक्षक
माहिरा अख्तर 31 मार्च 2021 को सेवानिवृत्त होने वाली थी, लेकिन पाकिस्तानी नागरिकता का तथ्य छिपाकर नौकरी हासिल करने के मामले को लेकर विभागीय जांच पूरी होने पर नौ मार्च 2021 को उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। उनकी बेटी शुमायला भी बरेली में शिक्षक बन गई। इसकी जानकारी होने पर एलआइयू ने पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट दी थी। पुलिस अधीक्षक ने बरेली के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद उनकी बेटी को भी निलंबित कर दिया गया।

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