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    अब संस्कृत भाषा भी समझेगा आपका कंप्‍यूटर, आइआइटी मुंबई ने छात्रा को शोध के ल‍िए बुलाया

    By Narendra KumarEdited By:
    Updated: Sat, 25 Dec 2021 05:50 PM (IST)

    अनु हिंदी अंग्रेजी व संस्कृत तीनों विषयों में पारंगत हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पीएचडी की तैयारी के साथ ही गुरुकुल में रहकर पढ़ा भी रहीं हैं। उन्होंने दो माह पूर्व आइआइटी मुंबई से मैथमेटिकल फंक्शन इन संधि टापिक पर शोध के लिए साक्षात्कार दिया था।

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    इनकी इस उपलब्धि पर गुरुकुल परिवार गदगद है।

    मुरादाबाद [अनिल अवस्थी]। संस्कृत के साथ अंग्रेजी और वेदों संग विज्ञान की मर्मज्ञ गुरुकुल की छात्रा अब कंप्‍यूटर को संस्कृत में दक्ष करेंगी। इस विषय पर शोध के लिए आइआइटी मुंबई से उन्हें बुलावा आया है। इनकी इस उपलब्धि पर गुरुकुल परिवार गदगद है।

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    गांव भेरा, जिला भिवानी, हरियाणा की रहने वाली अनु आर्या ने अमरोहा ज‍िले के चोटीपुरा स्थित श्रीमद् दयानन्द कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में कक्षा छह में प्रवेश लिया था। यहां से बीए करने के बाद इन्होंने एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय से संस्कृत में एमए (2018) किया। वर्ष 2020 में इसी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एमए पूरा किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से वह संस्कृत से नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) व जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) उत्तीर्ण हैं। अनु हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत तीनों विषयों में पारंगत हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पीएचडी की तैयारी के साथ ही गुरुकुल में रहकर पढ़ा भी रहीं हैं। उन्होंने दो माह पूर्व आइआइटी मुंबई से मैथमेटिकल फंक्शन इन संधि टापिक पर शोध के लिए साक्षात्कार दिया था। सेल फार इंडियन साइंस एंड टेक्नोलाजी इन संस्कृत के विषय विशेषज्ञों के साथ गहन प्रश्नोत्तर में बेहतर प्रदर्शन के बाद आइआइटी ने उन्हें शोध के लिए हरी झंडी दे दी है। उनकी सफलता पर गुरुकुल की प्राचार्य सुमेधा कहती हैं कि अनु का हर कक्षा में प्रदर्शन प्रभावशाली रहा है। आइआइटी मुंबई से शोध के लिए उनके आमंत्रण से पूरा गुरुकुल गौरवान्वित है।

    पाणिनीय व्याकरण को गणितीय सूत्रों में पिरोएंगी : अनु बताती हैं कि कंप्यूटर जिस तरह मशीनी भाषा को समझता है, उस तरह किसी अन्य प्राकृतिक भाषा व विषय को नहीं समझ पाता। बताया कि उनका शोध पाणिनीय व्याकरण को गणितीय सूत्रों में प्रस्तुत करने से संबंधित होगा, जो कि पाणिनीय व्याकरण की कम्प्यूटर कोडिंग का आधार बनेगा। अर्थात् मनुष्यों द्वारा समझी जाने वाली संस्कृत भाषा को कम्प्यूटर भी आसानी से समझ सके, इसकी आधारशिला के रूप में उनका शोध महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा।

     

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