Moradabad News: मंडी समिति के लिए प्रशासन ने मंजूर किए करोड़ों रुपये, बनेंगी 38 दुकानें
मुरादाबाद की कृषि उत्पादन मंडी समिति को 5.45 करोड़ रुपये मिले हैं जिससे 38 नई दुकानें बनेंगी। अधिकारियों के अनुसार इससे मंडी में सुधार होगा लेकिन व्यापारियों और किसानों का कहना है कि यह नाकाफी है। 40 साल पुरानी 258 दुकानें जर्जर हैं और बुनियादी सुविधाओं की कमी है। उनका कहना है कि इतनी कम दुकानों से मंडी की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। कृषि उत्पादन मंडी समिति मझोला को लंबे इंतजार के बाद शासन से 5.45 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई है। इस रकम से सब्जी व फल मंडी परिसर में कुल 38 नई दुकानें और कुछ निर्माण कराए जाने हैं। अधिकारियों का मानना है कि इससे मंडी की व्यवस्था में कुछ सुधार होगा, लेकिन आढ़ती और किसान इसे ऊंट के मुंह में जीरा बता रहे हैं।
उनका कहना है कि 40 साल पुरानी 258 दुकानों की हालत जर्जर है, सफाई और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। ऐसे में सिर्फ 38 नई दुकानें और कुछ चबूतरे बन जाने से मंडी का कायाकल्प संभव नहीं है।
मंडी समिति मुरादाबाद की स्थापना लगभग चार दशक पहले हुई थी। तब से अब तक यहां की दुकानों और ढांचागत सुविधाओं का न तो विस्तार हुआ और न ही मरम्मत हुई। वर्तमान में केवल 258 दुकानें हैं जबकि मंडी प्रशासन ने लगभग 550 आढ़तियों को लाइसेंस जारी कर रखा है।
दुकानों की कमी के कारण आए दिन कब्जे और विवाद की शिकायतें सामने आती हैं। बरसात के दिनों में मंडी परिसर में जलभराव की समस्या रहती है। मंडी समिति को मिलने वाली 5.45 करोड़ रुपये की राशि से कुछ नई दुकानें और आधारभूत ढांचे का निर्माण जरूर होगा।
परंतु यह राशि पूरे मंडी परिसर की बदहाली के मुकाबले बहुत कम है। पूरे परिसर की सड़कें टूटी पड़ी हैं, सीवरेज और पानी की व्यवस्था बदहाल है।
इतना ही नहीं, मंडी में सुरक्षा और शौचालय जैसी सुविधाओं का भी अभाव है। ऐसे में केवल 38 दुकानें और कुछ चबूतरे बनवाने से मंडी की दशा में बहुत बड़ा बदलाव संभव नहीं।
कब्जे, वसूली और विवाद का अड्डा है मंडी
मंडी में दुकानों की कमी से कब्जे की समस्या तो है ही, सफाई व्यवस्था भी लचर है। अभी तक मंडी में सफाई के लिए स्थायी ठेकेदार की नियुक्ति नहीं हो सकी है। कैंटीन का ठेका लेने वाले ठेकेदार पर सड़क किनारे अवैध ठेले लगवाकर वसूली करने के आरोप लगते रहते हैं।
किसानों का कहना है कि जब वे अपनी उपज लेकर आते हैं तो जगह के अभाव में अक्सर उन्हें सड़क किनारे बैठकर बोली लगवानी पड़ती है। इससे कई बार जाम और अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाती है।
नई स्वीकृतियां
- राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद लखनऊ से जारी आदेश के अनुसार, 545.43 लाख रुपये की धनराशि की तकनीकी स्वीकृति मुख्य अभियंता (ग्रेड-2) द्वारा दी गई है। इसमें शामिल हैं-
- सब्जी मंडी परिसर में 28 नग ‘ब’ श्रेणी की दुकानों का निर्माण (लागत 2.46 करोड़)
- फल मंडी परिसर में 10 नग ‘ब’ श्रेणी की दुकानें (लागत 88.01 लाख)
- फल मंडी परिसर में 01 नग 12×60 मीटर का छायादार नीलामी चबूतरा (लागत 63.24 लाख)
- फल मंडी परिसर में 10 दुकानों के सामने सीसी रोड व इंटरलॉकिंग (लागत 41.01 लाख)
- छायादार चबूतरे के चारों ओर केसी ड्रेन का निर्माण (लागत 3.79 लाख)
- 5 नग ‘स’ श्रेणी की दुकानें और एपीएफ के बीच सीसी रोड (लागत 12.29 लाख)
- 5 नग ‘स’ श्रेणी दुकानों और एपीएफ के बीच ड्रेन (लागत 3.57 लाख)
- जीएसटी 82.50 लाख और वर्कचार्ज 4.58 लाख
- इस प्रकार कुल 545.43 लाख रुपये की लागत से निर्माण कार्य कराए जाएंगे।
पुरानी योजनाएं अटकी रहीं
मंडी समिति मझोला में सुधार के लिए पहले भी कई योजनाएं बनीं, लेकिन अधिकांश कागजों से आगे नहीं बढ़ पाईं। कभी दुकानों के पुनर्विकास का प्रस्ताव भेजा गया, तो कभी किसानों के लिए विश्राम गृह बनाने की बात कही गई।
वर्षों पहले यहां पर स्थायी गोदाम और शेड बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया था, लेकिन बजट न मिलने और तकनीकी अड़चनों के कारण सब अधर में लटक गया। 2015 में मंडी परिसर में ड्रेनेज और पार्किंग सुधार की योजना बनी थी, मगर उसका कार्य अधूरा ही रह गया।
जल निकासी पर चार करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। थोड़ी सी वर्षा होने पर जलभराव की स्थिति बन जाती है।
किसानों और आढ़तियों की प्रतिक्रिया
फल-सब्जी विक्रेता कल्याण समिति के प्रवक्ता आढ़ती विनोद कुमार शर्मा का कहना है कि सरकार की ओर से मिलने वाली धनराशि मंडी की वास्तविक जरूरतों के मुकाबले बहुत कम है। हमने नगर विधायक रितेश गुप्ता से मिलकर धनराशि और दिलाने की मांग की है।
बुधवार को डीएम से मुलाकात करके उनका धन्यवाद जताएंगे। साथ ही अन्य समस्याओं के समाधान के लिए भी बात करेंगे। धनराशि अन्य कार्यों के लिए जारी कराने का प्रयास करने का अनुरोध करेंगे।
किसान रामवीर सिंह कहते हैं कि हम हर साल मंडी शुल्क भरते हैं। बदले में न पानी मिलता है, न आराम की जगह। नई दुकानें बनाना अच्छी बात है, लेकिन पहले से मौजूद दुकानों की मरम्मत क्यों नहीं हो रही? फल मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष हाजी जिकरान ने मंडी में नयी दुकानें बनने के लिए धनराशि मिलने की शुरूआत का स्वागत किया।
लेकिन, कहा कि 600 से ज्यादा लाइसेंस हैं, दुकानें आधी से भी कम। जब तक हर लाइसेंसी को दुकान नहीं मिलेगी, तब तक कब्जे और विवाद खत्म नहीं होंगे। अभी और दुकानों के लिए धनराशि मिलनी चाहिए।
मंडी में कार्य कराने के लिए 545.43 लाख रुपये की स्वीकृति मिली है। इस धनराशि से 38 दुकानों का निर्माण होगा। नीलामी चबूतरा और कुछ अन्य कार्य भी होने हैं। पहले निविदा की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद कार्य शुरू करा दिए जाएंगे। -अशोक कुमार, उप निदेशक (निर्माण) मंडी परिषद, मुरादाबाद।
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