Inspiring Stories: बनना चाहते थे क्रिकेटर और बन गए कलेक्टर, मां की प्रेेरणा ने बदली आइएएस रविंद्र कुमार मांदड़़ के जीवन की राह
कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद घंटों उन्हें सामने बैठकर पढ़ाती। वह उन्हें समझाती कि बड़े अफसर बन जाओगे तो खेल का शौक बाद में भी पूरा कर लोगे। मां की यह बात उनकी समझ में आई और फिर पूरी लगन से पढ़ाई की। इसी की बदौलत कलेक्टर बन गए।

रामपुर, (मुस्लेमीन)। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। वह क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन उनकी मां उन्हें बड़ा अफसर बनते देखना चाहती थीं। वह हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित करती। कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद घंटों उन्हें सामने बैठकर पढ़ाती। वह उन्हें समझाती कि बड़े अफसर बन जाओगे तो खेल का शौक बाद में भी पूरा कर लोगे। मां की यह बात उनकी समझ में आई और फिर पूरी लगन से पढ़ाई की। इसी की बदौलत कलेक्टर बन गए।
रविंद्र कुमार मांदड़ राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट के रहने वाले हैं। कहते हैं कि उनकी दो बहनें भी हैं। मां बिलासी देवी ने उन्हें भी खूब पढ़ाया। अब वे भी दोनों सरकारी सेवा में हैं। मां ने हमेशा ईमानदारी से गांव और गरीब की सेवा करने की नसीहत दी। वह इसका पूरी तरह पालन कर रहे हैं।

मां की प्रेरणा से आइपीएस अशोक कुमार शुक्ला ने हासिल किया मुकाम: पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार शुक्ला कहते हैं कि हमारे जीवन में हमारे इस मुकाम तक पहुंचने में माता जी का बड़ा योगदान हैं। हमारी मां सावित्री पढ़ी लिखी नहीं थी, लेकिन हमें और हमारी दोनों बहनों को उच्च शिक्षा हासिल कराई। वह प्रयागराज के मीठूपुर गांव के मूल निवासी हैं। कहते हैं कि बचपन में मां हमें सुबह सवेरे उठा देती और फिर पढ़ने के लिए प्रेरित करतीं। हमारी दो बहने हैं, वे भी उच्च शिक्षा प्राप्त हैं।

माता जी कहती थीं कि किसी की पीड़ा अपना बनाना योग है, इसलिए दूसरे के दुख दर्द में काम आना। हम उनके बताए रास्ते पर आज भी चल रहे हैं। हमने अपनी मां की याद में गांव में मंदिर बनवाया है और उसमें माता जी की भव्य मूर्ति की स्थापना कराई है। हर साल पुण्य तिथि के अवसर पर पांच सौ गरीबों को कंबल और साड़ी बांटने के साथ ही उन्हे भोजन भी कराते हैं। साथ ही उनके बताए रास्ते पर चलकर मानव सेवा करने का संकल्प दोहराते हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।