हो जाएं सावधान! यूपी में इस इंस्टीट्यूट ने 1000 छात्रों को बांटी फर्जी मार्कशीट; पुलिस कर रही तलाश
मुरादाबाद में अटल बिहार पैरामेडिकल हेल्थ साइंस से संबद्ध एक नर्सिंग इंस्टीट्यूट बिना मान्यता के चल रहा था। इसने करीब एक हजार फर्जी मार्कशीट जारी की। शिकायत मिलने पर पुलिस जांच में बोर्ड ने इंस्टीट्यूट को मान्यता देने से इनकार किया। डायरेक्टर चंद्रमोहन सक्सेना ने छात्रों से लाखों रुपये वसूले और अब फरार है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और छात्रों के बयान दर्ज किए जाएंगे।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। वर्ष 2016 से अटल बिहार पैरामेडिकल हेल्थ साइंस से कुसुमा देवी नर्सिंग इंस्टीट्यूट बिना मान्यता के चल रहा है। अब तक करीब एक हजार छात्र-छात्राओं को इस इंस्टीट्यूट से मार्कशीट मिली है। जो अधिकांश फर्जी बताई जा रही है।
पुलिस ने बोर्ड से जानकारी मांगी है। बोर्ड ने पुलिस को लिखकर दिया है कि इस इंस्टीट्यूट को हमारे यहां से मान्यता प्राप्त नहीं है। पूरे प्रदेश में इस इंस्टीट्यूट की 21 फ्रेंचाइजी चल रही है।
हरदोई के 20 छात्र-छात्राओं ने वर्ष 2018 में 21 ने 2022 में दाखिला लिया था। 2022 में अमरेंद्र शर्मा को फर्जी मार्कशीट होने की जानकारी हो गई थी। तभी से वह छात्र-छात्राओं द्वारा दिए गए फीस के रुपये वापस मांग रहा था। रुपये मिलने के बाद पीड़ित ने प्राथमिकी दर्ज कराई।
हरदोई जिले के गांव हथियाई बम्हनाखेड़ा निवासी अमरेंद्र शर्मा ने कटघर थाने में 22 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी दर्ज कराते हुए उन्होंने बताया कि अटल बिहार पैरामेडिकल हेल्थ साइंस से कुसुमा देवी नर्सिंग इंस्टीट्यूट की मान्यता ली थी।
अटल बिहार पैरामेडिकल हेल्थ साइंस संस्था का डायरेक्टर कटघर बीच निवासी चंद्रमोहन सक्सेना है। चंद्रमोहन सक्सेना ने मान्यता के लिए सात लाख रुपये लिए थे। मान्यता देने के बाद उनकी संस्था में सीएमएसइडी के 41 और एनएम के 25 छात्र-छात्राओं से 25 हजार रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से फीस ली थी।
करीब एक साल पहले ली गई फीस के बाद डायरेक्टर पिछले माह सभी छात्र-छात्राओं को मार्कशीट दी। छात्र-छात्राओं ने मार्कशीट इस्तेमाल की तो वह फर्जी होने की बात सामने आई। जिसके बाद छात्र-छात्राओं ने रुपये वापस मांगने शुरू कर दिए।
शिकायत पर चंद्रमोहन सक्सेना ने पांच लाख रुपये वापस किए। शेष रकम देने से इन्कार कर दिया। आरोपित ने डी-फार्मा के आठ स्टूडेंटस से प्रति छात्र 1.50 लाख रुपये के हिसाब से की फीस ली और एमजीआर यूनिवर्सिटी चेन्नई से मार्कशीट थमा दी।
इसके अलावा बीएमएस के एक स्टूडेंट्स से भी छह लाख रुपये लेकर फर्जी मार्कशीट दे दी थी। आरोपित फर्जी तरीके से 21 से अधिक इंस्टीट्यूट प्रदेश के अलग-अलग जिलों में चलाता है। इसी तरह फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी कर छात्रों और कोचिंग संचालकों से पैसे ऐंठता है।
उधर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी। इंस्टीट्यूट के बारे में जानकारी करने के लिए पुलिस ने लखनऊ स्थित इंस्टीट्यूट बोर्ड से मान्यता की जानकारी मांगी तो पता चला कि बोर्ड से इंस्टीट्यूट के पास कोई मान्यता नहीं है।
उधर पुलिस को जांच में पता चला है कि यह इंस्टीट्यूट वर्ष 2016 से चल रहा है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में रुपये लेकर चंद्रमोहन सक्सेना ने 21 फ्रेंचाइजी दे रखी है। पुलिस की जांच में अब तक सामने आया है कि 800 से अधिक छात्र-छात्राओं को मार्कशीट दी गई है जिसमें अधिकांश फर्जी है। अब पुलिस जल्द ही छात्र-छात्राओं को बुलाकर बयान दर्ज करेगी।
मुरादाबाद के इंस्टीट्यूट अब करीब 50 छात्र
पुलिस के अनुसार इंस्टीट्यूट अब भी करीब 50 छात्र-छात्राओं के दाखिले है। जब से डायरेक्टर चंद्रमोहन सक्सेना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई तब से लेकर उनका मोबाइल नंबर बंद है। कुछ छात्र-छात्राओं ने चंद्रमोहन सक्सेना का फोन नंबर मिलाया तो बंद आ रहा है। वही अब इंस्टीट्यूट भी बंद है। पुलिस को भी आरोपित की तलाश है। मंगलवार को पीड़ित अमरेंद्र शर्मा को पुलिस ने बुलाया है।
शिकायती पत्र मिलने के बाद इंस्टीट्यूट के बोर्ड से मान्यता के बारे में जानकारी मांगी थी। लखनऊ से जानकारी मिली है कि इंस्टीट्यूट पर कोई मान्यता नहीं है। पूरे मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
वीरेंद्र सिंह, विवेचक/एसएसआई
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