यूपी के इस जिले में बाढ़ पीड़ित 4500 किसानों को मिलेगा ढाई करोड़ का मुआवजा, सर्वे हुआ पूरा
मुरादाबाद में रामगंगा और कोसी नदी की बाढ़ से प्रभावित किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है। प्रशासन ने 4500 किसानों का सर्वे कर सरकार को 2.5 करोड़ रुपये का मुआवजा प्रस्ताव भेजा है। मुआवजा राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी। किसानों का कहना है कि मुआवजा उनकी लागत भी पूरी नहीं करेगा। वे सरकार से सस्ती दरों पर बीज उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। रामगंगा और कोसी नदी की बाढ़ से तबाह किसानों को आखिरकार कुछ राहत की उम्मीद जगी है। प्रशासन ने जिले के 4500 बाढ़ प्रभावित किसानों का सर्वे और आनलाइन फीडिंग का काम चल रहा है।
शासन को ढाई करोड़ रुपये का मुआवजा प्रस्ताव भेजा गया है। जैसे ही स्वीकृति मिलने के बाद धनराशि मिलेगी, किसानों के बैंक खातों में सीधा भुगतान शुरू हो जाएगा।
बाढ़ से करीब 80 गांव प्रभावित हुए। इनमें से 28 गांव ऐसे हैं जहां खेतों की फसलें 20 से लेकर 70 प्रतिशत तक नष्ट हो गईं। गागन और ढेला नदियों का पानी भी रामगंगा और कोसी के साथ मिलकर गांवों में घुसा, जिससे धान, मक्का और सब्जियों की फसलें डूब गईं।
सर्वे टीमों ने खेत-खेत जाकर नुकसान का आकलन किया और आनलाइन फीडिंग कराकर रिपोर्ट शासन को भेज दी। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) ममता मालवीय ने मुआवजा वितरण के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है।
किसानों के नाम और नुकसान का पूरा डाटा आनलाइन फीड हो रहा है। 4500 किसानों के नाम और डाटा फीड हाे गया है। जिन किसानों के नाम अभी छूट गए हैं, उनकी एंट्री तेजी से की जा रही है। भुगतान की प्रक्रिया पूरी तरह आनलाइन होगी, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो।
किसानों का कहना है कि बाढ़ से उनकी मेहनत चौपट हो गई और अगले सीजन के लिए बीज व खाद का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है। छोटे और सीमांत किसानों पर तो कर्ज का बोझ और बढ़ गया है। उनका कहना है कि अगर सरकार सस्ती दरों पर बीज और खाद उपलब्ध कराए और सिंचाई साधनों को दुरुस्त करे तो राहत ज्यादा मिल सकती है।
यह राहत तत्कालीन मदद है, जबकि किसान स्थायी समाधान और दीर्घकालिक योजना की मांग कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि शासन कब तक धन जारी करता है और किसानों के खाते में यह राहत राशि पहुंचती है।
जिला आपदा विशेषज्ञ प्रदीप कुमार सिंह के अनुसार, मुआवजा वितरण का काम इसी महीने शुरू कर दिया जाएगा। किसानों को उनके आधार लिंक खातों में ही धनराशि भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन लगातार प्रभावित गांवों पर नजर बनाए हुए है और किसानों की अन्य समस्याओं के समाधान पर भी काम किया जा रहा है।
ऊंट के मुंह में जीरा
भारतीय किसान यूनियन के नेता डा. नौ सिंह का कहना है कि 4500 किसानों को ढाई करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा, यानी प्रति किसान औसतन 5,500 रुपये से भी कम की राशि मिलेगी। किसान इसे ऊंट के मुंह में जीरा बता रहे हैं।
उनका कहना है कि बाढ़ ने उनकी पूरी मेहनत मिट्टी में मिला दी और मुआवजा उनकी लागत भी पूरी नहीं करेगा, लेकिन प्रशासन का तर्क है कि आपदा राहत कोष से मिलने वाली यह धनराशि केवल प्राथमिक मदद है।
इस आधार पर मिलेगा मुआवजा
असिंचित फसल: इस फसल के बाढ़ से खराब होने पर किसानों को 8500 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिए जाना है। एक किसान को न्यूनतम एक हजार रुपये मिलेगा।
सिंचित फसल: इस फसल के बाढ़ से बर्बाद होने पर 17 हजार रुपये प्रति हेक्ट़ेयर मुआवजा मिलेगा, ऐसे किसानों को न्यूनतम दो हजार रुपये तक सरकारी मदद मिलेगी।
बागबानी व बारामासी फसल: इन फसलों के खराब होने पर 22500 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा मिलना है। ऐसे किसानों को 2500 रुपये न्यूनतम मुआवजा दिया जाएगा।
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