Updated: Fri, 15 Aug 2025 04:21 PM (IST)
मुरादाबाद में अमेरिकी टैरिफ का असर दिखने लगा है जिससे निर्यातकों ने कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया है। लगभग 5500 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है और नए ऑर्डर रुक गए हैं। ईपीसीएच टीम सरकार से ड्यूटी ड्रा-बैक जैसी योजनाओं को लागू करने की बात कर रही है ताकि इस संकट से निपटा जा सके और निर्यातकों को राहत मिल सके।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। ट्रंप के टैरिफ का असर दिखने लगा है। फैक्ट्रियों के आर्डर होल्ड पर होने की वजह से नए आर्डर भी रुक गए हैं। निर्यातकों ने कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया है। अमेरिका का मुरादाबाद से 5500 करोड़ का कारोबार होता है। टैरिफ लगने बाद से काम की मंदी शुरू हो चुकी थी।
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नए आर्डर होल्ड कर दिए, पुराने आर्डर पर बायर मोलभाव कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में निर्यातकों ने कास्ट कटिंग पर काम शुरू कर दिया है। संभल रोड की फर्मों में कर्मचारियों को काम से निकाला जा रहा है। स्थिति यही रही तो कारीगरों के सामने नौकरी जाने का संकट खड़ा होगा।
मुरादाबाद की करीब 1600 निर्यात इकाइयां हैं। अभी कुछ निर्यात फर्मों ने कर्मचारियों को निकालना शुरू किया है। हालात ऐसे ही रहे तो अन्य इकाइयों में भी यही स्थिति शुरू होगी। अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बाद निर्यात इकाइयों के सामने खर्च की टेंशन बढ़ गई है। कर्मचारियों का वेतन, बिजली बिल समेत अन्य तमाम खर्च हैं।
तीन हजार करोड़ के आर्डर भी होल्ड पर हैं। फर्मों में माल तैयार हो चुका है। बायर्स ने माल मंगवाने से फिलहाल मना कर दिया है। नए आर्डर भी होल्ड पर हैं। संभल रोड के मुकेश कुमार, अंकित और अमित करूला स्थित एक्सपोर्ट में काम करते थे।
कुछ दिन पहले इनके साथ करीब आठ लोगों के आइकार्ड लेने के बाद निकाल दिया है। इससे पूर्व भी अन्य फर्मों से कारीगरों को निकाला गया है। कर्मचारियों के अनुसार, हम लोगों को बिना बताए निकाला गया है। हालांकि अभी निर्यातक कर्मचारियों को निकालने की बात बताने को तैयार नहीं हैं।
अब तक 80 के करीब कर्मचारियों को फर्मों से निकाला जा चुका है। यही स्थिति रही तो टैरिफ का असर कारीगरों पर अधिक पड़ेगा। बहरहाल ईपीसीएच टीम टैरिफ के असर को बेअसर करने के लिए सरकार से ड्यूटी ड्रा-बैक समेत अन्य योजनाओं को लागू करने की बात कर रही है।
अमेरिकी 50 टैरिफ से निश्चित निर्यात, कारीगर सबके ऊपर असर पड़ेगा। इससे उबरने के लिए ड्यूटी ड्रा-बैक समेत अन्य योजनाओं के लिए पहले से ही ईपीसीएच की टीम कार्य कर रही है। बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
नवेदुर्रहमान, अध्यक्ष मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट एक्सपोटर्स एसोसिएशन
टैरिफ के समाधान को लेकर ईपीसीएच ने केंद्रीय कपड़ा मंत्री को दी जानकारी
अमेरिकी टैरिफ 50 प्रतिशत लगने के बाद निर्यात इकाईयों की स्थिति खराब होने के आसार हैं। आर्डर रुके हैं और तैयार माल को बायर्स ने होल्ड करा दिया है। नया काम नहीं मिला है। इससे बड़े नुकसान की संभावना बन चुकी है।
बुधवार को हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) एवं वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद एवं उद्याेग संघ प्रतिनिधि मंडलों ने टैरिफ के नुकसान के बारे में बताया। केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि वर्तमान टैरिफ परिदृश्य नकारा नहीं जा सकने वाली चुनौतियां प्रस्तुत करता है, लेकिन यह हमें अपनी रणनीतियों को मजबूत करने और अपने बाजारों में विविधता लाने के लिए भी बाध्य करता है।
सरकार अपने निर्यातकों के लिए अनुकूल शर्तें सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका से बातचीत जारी रखेगी। साथ ही हमें यूरोपीय संघ, मध्य पूर्व, पूर्वी एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते और उच्च-संभावना वाले क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ानी होगी। विविधीकरण न केवल एकल बाजार पर हमारी निर्भरता कम करेगा, बल्कि हमारे निर्यातकों के लिए विकास के नए अवसर भी खोलेगा।
सरकार लक्षित नीतिगत हस्तक्षेपों, प्रोत्साहनों और रणनीतिक व्यापार वार्ताओं के माध्यम से इस क्षेत्र का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय निर्यात वैश्विक स्तर पर फलता-फूलता रहे। इसमें वस्त्र राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा, वस्त्र सचिव नीलम शमी राव, व्यापार सलाहकार शुभ्रा, वस्त्र मंत्रालय संयुक्त सचिव अजय गुप्ता ने भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के बारे में बताया।
ईपीसीएच महानिदेशक एवं मुख्य संरक्षक और आईईएमएल अध्यक्ष डा. राकेश कुमार के साथ ईपीसीएच की प्रशासन समिति सदस्य राजेश जैन, राजेंद्र गुप्ता, ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आरके वर्मा समेत अन्य ने भी टैरिफ के नुकसान के बारे में बताया।
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