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    रामपुर के नवाब ने मिर्जा गालिब को बनाया था उस्ताद, उनसे सीखते थे शायरी, पढ़ें गालिब ने नवाब के लिए क्या कहा था

    By Samanvay PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 27 Dec 2021 10:41 AM (IST)

    Mirza Ghalib birth anniversary शायरी की दुनिया के शहंशाह मिर्जा गालिब के नवाबों से बहुत ही करीबी संबंध रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा खास रामपुर के नवाब रहे हैं। रामपुर के नवाब ने उन्हेंं रामपुर बुलाने के लिए कई बार खत लिखे थे। गालिब दो बार रामपुर आए थे।

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    रामपुर नवाब की शान में उन्होंने कसीदे भी पढ़े थे।

    मुरादाबाद, जेएनएन। Mirza Ghalib birth anniversary : शायरी की दुनिया के शहंशाह मिर्जा गालिब के नवाबों से बहुत ही करीबी संबंध रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा खास रामपुर के नवाब रहे हैं। रामपुर के नवाब ने उन्हेंं रामपुर बुलाने के लिए कई बार खत लिखे थे। जिस पर मिर्जा गालिब अपने जीवन में दो बार रामपुर आए थे।वह यहां पर लंबे समय तक रहे। रामपुर के नवाब के शाही महल खासबाग के मेहमान भी बने।उनके रामपुर आने पर नवाब यूसुफ अली खान उनसे शायरी सीखते थे।

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    रामपुर नवाब की शान में उन्होंने कसीदे भी पढ़े थे। उन्होंने नवाब यूसुफ अली खान के लिए शेर कहा था कि तुम सलामत रहो हजार बरस, हर बरस के हों दिन पचास हजार। इसी से मिलता हुआ गाना तुम जियो हजारों साल और साल के दिन हों पचास हजार, तमाम बर्थ डे पार्टियों में गुनगुनाया जाता है। रामपुर के नवाब यूसुफ अली खान ने 1859 में गालिब को रामपुर आने के लिए कई बार खत लिखे। इसके बाद जनवरी 1860 में वह रामपुर आए। नवाब कल्बे अली खान ने 1865 में अपने राज्याभिषेक के लिए गालिब को रामपुर में आमंत्रित किया था।

    रामपुर रजा लाइब्रेरी के निदेशक एवं जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह बताते हैं कि लाइब्रेरी में मिर्जा गालिब पर लिखी गई कई किताबें हैं। उनके खतों को भी रजा लाइब्रेरी में सहेज कर रखा गया है। रामपुर का इतिहास लिखने वाले शौकत अली खान बताते हैं कि मिर्जा गालिब दो बार रामपुर आए और नवाब यूसुफ अली खां के उस्ताद रहे। इसके बदले रियासत की ओर से उन्हें वजीफा दिया गया। उन्हें राजद्वार में एक मकान भी रहने को दिया गया था। कुछ दिन किले के पास कोठी में भी वह ठहरे। वह शाही महल खासबाग के मेहमान भी बने। बाद में दिल्ली चले गए।

    दिल्ली जाने के बाद भी वे रामपुर के नवाबों से लगातार खतों के जरिए बातचीत करते रहे। उनके करीब 150 खत आज भी विरासत के रूप में उपलब्ध हैं। रामपुर के खाने की तारीफ असद उल्लाह खान मिर्जा गालिब ने रामपुर के बारे में लिखा है, नजर में वो शहर, के जहां हश्त बहश्त आके हुए हैं बाहम। रामपुर एक बड़ा बाग है अज रोये मिसाल, दिलकश व ताजा व शादाब व वसी व खुर्रम। जिस तरह बाग में सावन की घटाएं बरसें, है उसी तौर पे यां दजला फिशां दस्ते करम। उन्होंने कोसी नदी के पानी और रामपुर के शानदार खाने की तारीफ की थी। यहां के कच्चे मकानों के बारे में भी लिखा। उन्होंने अपने कई लेखों में रामपुर के रिश्ते का जिक्र किया।