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    माहवारी में हो गड़बड़ी तो न बरतें लापरवाही

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 07 Jun 2018 06:28 AM (IST)

    मुरादाबाद: अगर माहवारी नियमित नहीं है तो जरा भी लापरवाही न बरतें, तत्काल चिकित्सक की सलाह ले

    माहवारी में हो गड़बड़ी तो न बरतें लापरवाही

    मुरादाबाद: अगर माहवारी नियमित नहीं है तो जरा भी लापरवाही न बरतें, तत्काल चिकित्सक की सलाह लें, अन्यथा गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल बुधवार को मुरादाबाद आब्सट्रेटिक्स एंड गायनोक्लोनोजिकल सोसायटी की कार्यशाला में ऐसे तमाम पहलुओं पर महिला रोग विशेषज्ञों ने खुलकर चर्चा की। महिला रोग विशेषज्ञों ने बताया कि बाझपन की समस्या सबसे ज्यादा मोटी महिलाओं या फिर जिनकी माहवारी गड़बड़ हो जाती है, उनमें आती है।

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    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक समस्या है। इस पर ध्यान देने से ही समाधान होगा। इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड प्रजनन संगठन की दिल्ली महासचिव डॉ. शिवानी गौर ने कहा कि पीसीओएस की उत्पत्ति एएमएच और गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के संपर्क में वृद्धि हुई है। इस बारे में महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत है। एक अध्ययन में पुरुषों में पीसीओएस का भी निदान किया गया है। इसमें सोसायटी अध्यक्ष डॉ. रिचा गंगल ने कहा कि पीसीओएस महामारी की स्थिति में पहुंच गया है। ओपीडी में आने वाली पाच महिलाओं में एक में ये लक्षण देखने को मिलते हैं। सोसायटी सचिव डॉ. निधि ठाकुर ने बताया कि ये सबसे ज्यादा उन महिलाओं में देखने को मिलता है तो अनियमित या देर से माहवारी की समस्या से ग्रस्त रहती है या इससे जुड़ी अन्य कोई परेशानी होती है। डायटीशियन अर्चना श्रीवास्तव

    ने बताया कि खानपान में फैटी चीजों का इस्तेमाल बंद कर दें। सब्जियों का सेवन अधिक करें।

    इस अवसर पर डॉ. निधि ठाकुर, डॉ. संगीता मदान, डॉ. नीना मेहरोत्रा, डॉ. मधुलिका बत्रा, डॉ. सारिका सिरोही, डॉ. प्रगति गुप्ता, डॉ. मनीषा जैन, डॉ. श्रुति खन्ना, डॉ. रूचि बंसल, डॉ. श्वेता शर्मा, डॉ. प्रीति गुप्ता, डॉ. अर्चना अग्रवाल मौजूद रहीं। पीसीओएस प्रजनन से संबंधित एक हार्मोनल असंतुलन: डॉ. गौर

    इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेंट प्रजनन की दिल्ली की महासचिव डॉ. शिवानी गौर ने दैनिक जागरण को बताया कि पॉलीस्टिक पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)

    महिलाओं में प्रजनन से संबंधित एक हार्मोनल असंतुलन की समस्या है। हार्मोन में जरा सा भी बदलाव मासिक धर्म चक्त्र पर फौरन असर डालता है। इसकी वजह से ओवरी में छोटा अल्सर बन जाता है। यह स्थिति घातक हो सकती है। यह आगे चलकर कैंसर का रूप भी ले लेती है। यह सिस्ट छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होती है, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है। अंडाशय (ओवरी) में यह सिस्ट जमा हो जाता है और उनका आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता जाता है, यह स्थिति पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कहलाती है। इनपर दें ध्यान

    असामान्य या लंबे समय तक मासिक धर्म, चेहरे और शरीर पर अत्यधिक बाल, वजन बढऩा, मुंहासे वाली त्वचा दर्द आदि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं।