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अब जापानी तकनीक से घने जंगल तैयार करेगा एमडीए, जानिए क्‍या है योजना

MDA नया मुरादाबाद में जमीन का चयन करने के साथ ही कांठ और बिलारी तहसील में जमीन के लिए प्रशासन को प्रस्ताव भेजा है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 10:40 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 10:40 PM (IST)
अब जापानी तकनीक से घने जंगल तैयार करेगा एमडीए, जानिए क्‍या है योजना

मुरादाबाद (रितेश द्विवेदी)। बढ़ती हुई आबादी के कारण पौधे लगाने के लिए जगह नहीं है। छोटी जगहों पर प्राकृतिक सुंदरता को बिखेरने के लिए जापानी तकनीक मियावाकी का सहारा लेकर कम जमीन में अधिक पौधे लगाने का काम एडीएम के अधिकारी करेंगे। मियावाकी तकनीक से मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ने नया मुरादाबाद के साथ ही बिलारी और कांठ तहसील में जंगल तैयार करने का फैसला किया है। एमडीए ने इन दोनों तहसीलों के उपजिलाधिकारी से जमीन देने के लिए कहा है। एमडीए सचिव प्रेरणा सिंह ने बताया कि मियावाकी पद्धति से पौधे लगाने की जानकारी उन्हें भारत दर्शन के दौरान चेन्नई में मिली थी। मुरादाबाद में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए पौधे लगाना जरूरी है। ताकि मुरादाबाद के बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सके। बैठक में बजट की स्वीकृति के बाद शुरू होगा काम नया मुरादाबाद में मियावाकी पद्धति से वन तैयार करने के लिए सेक्टर दो में छह हजार वर्ग मीटर जमीन चिह्न्ति कर ली गई है। इस जमीन में पांच हजार पौधे लगाने का निर्णय लिया गया है। प्राधिकरण अफसरों ने बताया कि इस पद्धति से वन तैयार करने में लगभग बीस लाख रुपये का बजट खर्च का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

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बोर्ड बैठक में बजट की स्वीकृति के साथ ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। जबकि बिलारी और कांठ तहसील में जमीन का प्रस्ताव मांगा गया है। लाख का बजट खर्च किया जाएगा वन क्षेत्र विकसित करने में हजार पौधे लगाए जाएंगे नया मुरादाबाद में चिह्न्ति की गई जमीन में हजार वर्ग मीटर जमीन में मियावाकी तकनीक से लगाए जाएंगे पौधे वन क्षेत्र विकसित करने को मियावाकी पद्धति में ऐसे लगाए जाते हैं पौधे मियावाकी पद्धति से कम समय में बेहतरीन प्राकृतिक वन क्षेत्र विकसित किया जा सकता है। इसके लिए चयनित क्षेत्र की खरपतवार को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। पौधारोपण के लिए एक फुट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें एक निर्धारित मात्र में भूसा और कंपोस्ट खाद का मिश्रण बनाया जाता है। पौधों के रोपण के लिए दो फुट की दूरी निर्धारित की जाती है। सबसे बड़े वृक्ष के पौधे रोपित किए जाते हैं,उसके कुछ दूरी पर जो वृक्ष सीधे और लंबे होते हैं,उनके पौधे रोपित किए जाते है। इन दोनों पौधों के बीच में झाड़ीनुमा प्रजाति के पौधों का रोपण किया जा जाता है।

मियावाकी पद्धति जापान के डॉ. अकीरा मियावाकी द्वारा तैयार की गई है। इस पद्धति से विश्व के अलग-अलग देश में 40 लाख से भी अधिक पौधों का प्राकृतिक रूप से उत्पादन किया गया है। मियावाकी पद्धति से वन क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया है। कम समय और छोटे स्थानों में जापानी पद्धति से पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए वन क्षेत्र को विकसित किया जा सकता है। इसके लिए मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ने कवायद तेज कर दी है। प्रेरणा सिंह, सचिव, एमडीए।


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