Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    UP : मदरसे में चल रहा था गर्ल्स इंटर कॉलेज, जांच टीम के खुलासे उड़ा देंगे आपके होश

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 06:00 AM (IST)

    पाकबड़ा क्षेत्र के मदरसा जामिया एहसान-उल-बनात में गर्ल्स इंटर कॉलेज संचालित होने का मामला सामने आया। शनिवार को प्रशासन ने मदरसे के दस्तावेज जब्त किए। जांच में पता चला कि मदरसे ने चार बार में कक्षा एक से इंटरमीडिएट तक की मान्यता हासिल की थी।  

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। पाकबड़ा क्षेत्र के मदरसा जामिया एहसान-उल-बनात परिसर में इसी नाम से गर्ल्स इंटर कालेज संचालित होने का मामला सामने आया है। छात्रा को भी इसी में संचालित स्कूल की छात्रा बताया जा रहा है। शनिवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने मदरसे में पहुंचकर सभी दस्तावेज कब्जे में ले लिए। जांच में खुलासा हुआ कि इस मदरसे ने कक्षा एक से इंटरमीडिएट तक की मान्यता चार बार में प्राप्त की थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फिलहाल, रिकार्ड की गहन जांच की जा रही है।जांच के दौरान पता लगा कि इंटर कालेज की मान्यता चार चरणों में ली गई थी। जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि कक्षा एक से पांच तक की मान्यता वर्ष 2000 में, कक्षा छह से आठ तक की मान्यता 2008 में ली गई। कक्षा नौ से 12 (इंटरमीडिएट) की मान्यता 2009 में ली गई थी। इस दौरान संस्थान ने एक ही परिसर में मदरसा और स्कूल दोनों संचालित किए, जिसकी अब जांच की जा रही है। शनिवार दोपहर एसडीएम सदर डा. राममोहन मीना, संभल के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी दिलीप कुमार और जिला विद्यालय निरीक्षक देवेंद्र कुमार पांडेय टीम के साथ मौके पर पहुंचे।

    अधिकारियों ने मदरसे के रजिस्टर, बोर्ड मान्यता पत्र, स्टाफ डिटेल और प्रवेश रिकार्ड की जांच की। बताया गया कि प्रधानाचार्य रहनुमा अवकाश पर हैं, जबकि एडमिशन सेल प्रभारी मो. शाहजहां जेल भेजे जा चुके हैं। निरीक्षण के समय अधिकांश शिक्षक अनुपस्थित पाए गए। सामान्य दिनों के मुकाबले आधी से भी कम छात्राएं ही मदरसे में मौजूद थीं। दोपहर दो बजे जब जांच टीम पहुंची, तब परिसर लगभग खाली था।

    इसी कारण अधिकारियों को कई पहलुओं की पुष्टि नहीं हो सकी। एसडीएम सदर डा. राममोहन मीना ने बताया कि शनिवार को मदरसे में दस्तावेजों की जांच की गई है। प्रारंभिक जांच में कई विसंगतियां मिली हैं। टीम सोमवार को दोबारा जांच के लिए जाएगी। फिलहाल, रिकार्ड को सील कर लिया गया है और शिक्षा विभाग ने पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार करनी शुरू कर दी है।

    छात्रा की मौसी के फोन से शुरु हुआ शक

    छात्रा की मौसी के द्वारा जताए गए शक के बाद पूरा मामला बिगड़ गया। पिता बेटी का दाखिला कराने के लिए पहुंचा तो छात्रा की मौसी की बात को सच मानते हुए मदरसा के शिक्षकों ने वर्जिनिटी सर्टिफिकेट मांगा। अब पुलिस छात्रा की मौसी को बुलाकर उनके बयान भी दर्ज करेगी।

    जुलाई माह में छात्रा का पिता बेटी को बुलाने के लिए पाकबड़ा पहुंचा था। गुजरात में रहने वाली छात्रा की मौसी ने तभी मदरसा की प्रधानाचार्य को फोन करके कहा कि बेटी को उसके पिता के साथ मत भेजना। वह गलत काम कर सकता है, लेकिन उस समय छात्रा ने पिता के साथ जाने पर सहमति जता दी तो भेज दिया गया।

    जब पिता बेटी का कक्षा आठ में दाखिला कराने के लिए पहुंचा तो प्रधानाचार्य समेत सभी शिक्षकों को छात्रा की मौसी द्वारा फोन करके बताई गई बात याद आ गई। इसके बाद वर्जिनिटी सर्टिफिकेट बवाल खड़ा हो गया। सीओ राजेश कुमार ने बताया कि जानकारी मिली है कि छात्रा की मौसी ने फोन किया था। उनसे पुलिस ने संपर्क किया है और बयान दर्ज कराने के लिए छात्रा की मौसी को भी बुलाया जा रहा है।

    निश्शुल्क शिक्षा देने का किया था वादा, फिर शुरू कर दी फीस

    मदरसा संचालक ने मदरसा खोलने से गांव के लोगों को निश्शुल्क शिक्षा देने की बात कही थी। साथ ही गांव को गोद लेने की घोषणा की थी। पल्लूपुरा मिलक गांव को 2000 में गोद लिया था। कहा था कि इस गांव के सभी बच्चे फ्री पढ़ेंगे, लेकिन सब इसके उलट है। गांव का कोई भी बच्चा फ्री नहीं पढ़ता है। सभी से फीस ली जाती है। अगर एक दिन फीस लेट हो जाए तो फटकार लगाई जाती है। मदरसे से वापस भेज दिया जाता है। दबंगई कि वजह से मदरसे में हर साल बच्चों की संख्या कम होती जा रही है।

    ग्रामीणों का कहना है कि मदरसा प्रबंधक अख्तर शम्सी ने वर्ष 2000 में गांव में आकर लोगों के साथ बैठक की थी। बैठक में कहा था मैं यहां पर मदरसा बना रहा हूं और पूरे गांव की छात्राओं को निश्शुल्क शिक्षा दूंगा। गांव में विकास के कार्य में भी मदद करुंगा। उस समय गांव की छात्राओं की पढ़ाई का साधन ग्रामीणों को मिला तो उन्होंने भी सहयोग करना शुरू कर दिया। वर्ष 2000 में ही कक्षा पांच तक की मान्यता ले ली।

    शुरु में बिना मान्यता के मदरसा भी शुरू कर दिया। कुछ दिनों तक निश्शुल्क की बात कहकर छात्राओं के दाखिले करने शुरू कर दिए। छात्राओं की संख्या अच्छी खासी हुई तो फीस लेनी शुरू कर दी। गांव के लोगों ने विरोध किया तो दबंगई दिखाई। तभी से मोटी फीस वसूली जा रही है। मदरसे की मान्यता वर्ष 2007 में ली। प्रधानपति मुस्तकीम ने बताया कि मेरी गांव के लोगों से बातचीत हुई। उन्होंने बताया की जब मदरसे की नींव रखी गयी थी। तब गांव को गोद लेने की बात कही थी। मदरसा संचालक ने कहा था कि छात्राओं को निश्शुल्क शिक्षा दी जाएगी, लेकिन शुरुआत से फीस लेनी शुरू कर दी गई।