करवा चौथ की 'सरगी' में क्यों जरूरी है जलेबी? महिलाओं ने बताया- दिनभर एनर्जी बनाए रखने का सीक्रेट फॉर्मूला
मुरादाबाद में करवाचौथ से पहले दही-जलेबी की धूम है। सुहागिनें सरगी में इसे खाना शुभ मानती हैं जिससे दिनभर ऊर्जा बनी रहती है। शहर के बाजारों में जलेबी की बिक्री बढ़ गई है खासकर बाबू राम हलवाई और प्रेम स्वीट्स की जलेबियां खूब पसंद की जा रही हैं। करवाचौथ के लिए घरों में भी दही-जलेबी बनाने की तैयारी चल रही है जिससे शहर में उत्सव का माहौल है।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। इस व्रत में सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाने की परंपरा है।
सरगी में तरह-तरह के व्यंजन शामिल होते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली डिश है दही के साथ जलेबी। यही वजह है कि करवा चौथ से पहले ही शहर की मिठाई की दुकानों पर जलेबी की बिक्री में जबरदस्त उछाल देखा गया।
शहर के बुधबाजार, टाउनहाल, गुरहट्टी चौराहा, हरथला, कटघर समेत अन्य प्रमुख बाजारों में सुबह-सुबह से ही जलेबी बनाने और खरीदने का सिलसिला शुरू हो गया। दुकानों पर महिलाओं की भीड़ लगी रही। खासतौर पर बाबू राम हलवाई और प्रेम स्वीट्स की जलेबियां स्वाद और ताजगी के कारण ग्राहकों की पहली पसंद बनी हुई हैं।
दुकानदारों का कहना है कि करवा चौथ पर हर साल दही-जलेबी की मांग बढ़ जाती है। महिलाओं का कहना है कि दही-जलेबी खाने से दिनभर एनर्जी बनी रहती है और इसे शुभ भी माना जाता है। करवा चौथ की सरगी में इसका विशेष महत्व है।
यही कारण है कि घर-घर में इस मिठाई की तैयारी रात से ही शुरू कर दी जाती है। कई परिवारों में तो महिलाएं खुद घर पर जलेबी बनाती हैं, जबकि ज्यादातर लोग बाजार से ताजा गरमा-गरम जलेबी खरीदना पसंद करते हैं। करवा चौथ से पहले ही पूरे शहर में रौनक दिखाई दे रही है।
गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य मार्गों तक मिठाई की दुकानों पर ग्राहकों की आवाजाही बनी हुई है। जगह-जगह ताजी जलेबियां बनते देख माहौल और भी उत्सवमय हो उठा है। सरगी में दही-जलेबी के बिना करवा चौथ अधूरा लगता है और यही वजह है कि इसकी मिठास हर घर तक पहुंचती है।
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