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    Preservation of Ozone Layer : धरती के सुरक्षा कवच ओजोन की परत को नुकसान पहुंचा रहे भौतिकवादी उपकरण

    By Samanvay PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 16 Sep 2021 07:37 AM (IST)

    International Day for Preservation of Ozone Layer ओजाेन की परत को दिन पर दिन नुकसान पहुंच रहा है। यह ओजोन परत धरती का सुरक्षा कवच है। लेकिन भौतिकवादी सुखों ने इस परत को नुकसान पहुचाना शुरू कर दिया है।

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    भौतिकवादी सुखों के आगे ओजोन परत की सुरक्षा को लेकर भूला मानव।

    मुरादाबाद, जेएनएन। International Day for Preservation of Ozone Layer : ओजाेन की परत को दिन पर दिन नुकसान पहुंच रहा है। यह ओजोन परत धरती का सुरक्षा कवच है। लेकिन, भौतिकवादी सुखों ने इस परत को नुकसान पहुचाना शुरू कर दिया है। वायु मंडल में ऐसी गैसे एकत्र हो गई हैं जो इस सुरक्षा कवच का खतरा बढ़ा रही हैं। जिसका परिणाम मानव तो भुगतेगा ही साथ ही धरती पर अन्य जीव-जंतुओं को भी नुकसान पहुंचाएगा। जीवन में उपयोगी आने वाले उपकरणों से उत्सर्जित गैस ओजाेन परत के लिए खतरा साबित हो रही हैं।

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    घरों में रेफ्रीजरेटर और एयर कंडीशनर में उपयोग आने वाली क्लोरो फ्लोरा कार्बन गैस के उत्सर्जन से ओजोन परत को नुकसान होने से वायुमंडल पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। इस भौतिक सुखों के आगे हम पर्यावरण को भूल चुके हैं। जिस तरह वायुमंडल में बदवाल आ रहा है, वह भौतिकवादी सुखों में इस्तेमाल उपकरणों की वजह से आ रहा है। ओजोन परत सूर्य की घातक किरणों से धरती को रक्षा प्रदान करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ओजोन में छेद होने से सूर्य की पराबैगनी किरणें न सिर्फ मानव बल्कि अन्य जीवों और पौधों को नुकसान पहुंचा रही है। हालांकि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पौधारोपण को लेकर जागरूकता भी बड़ी है। लेकिन, हर घर में रेफ्रीजरेटर व एयर कंडीशनर बढ़ने से ओजोन की परत के लिए खतरा और बढ़ रहा है।

    क्या है ओजान परतः ओजाने परत (o3) का एक अणु आक्सीजन के तीन अणुओं के जुड़ने से बनता है। इसका रंग हल्का नीला होता है और इससे एक विशेष प्रकार की तीव्र गंध आती है। भूतल से लगभग 50 किमी की ऊंचाई पर वायुमंडल आक्सीजन, हीलियम, ओजाेन और हाइड्रोजन गैसों की परतें होती हैं।

    ओजोन की सुरक्षा के उपाय

    -वाहनों में धुंआ उत्सर्जन रोकने की जरूरत।

    -रबर व प्लास्टिक के टायर को जलाने पर लगे रोक।

    -अधिक से अधिक पौधों का रोपण।

    -पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने वाले उर्वरक का उपयोग करें।

    क्या कहते हैं विशेषज्ञः हिंदू कालेज की विभागाध्यक्ष डा. अनामिका त्रिपाठी ने बताया कि ओजाेन परत में छेद से पर्यावरण को नुकसान होने के साथ बीमारियां भी बढ़ सकती हैं। सांस, कैंसर, अल्सर, एलर्जी समेत अन्य बीमारियां बढ़ने की आशंका बनी हुई है। जिस तरह से बीमारियां बढ़ रही हैं और चिकित्सकों के यहां भीड़ है तो कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि ओजाेन परत को नुकसान का दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं।

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