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    क्या रूस होगा भारत के हस्तशिल्प निर्यात का नया 'किंग'? पुतिन के दौरे से 20 देशों के FTA ने जगाई उम्मीद

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 04:10 PM (IST)

    रूस, भारत के हस्तशिल्प निर्यात के लिए एक नया 'किंग' साबित हो सकता है। पुतिन की भारत यात्रा और 20 देशों के साथ हुए FTA से निर्यातकों में उत्साह है। रूस ...और पढ़ें

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    न‍िर्यात के इंतजार में पड़ा सामान

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। पीतलनगरी ... जहां से विश्व के 80 देशों में पीतल उत्पाद की चमक बिखरती है। जो अमेरिकी 50 प्रतिशत टैरिफ लगने के बाद कुछ फीकी पड़ी थी। अब फिर से निखरती नजर आ रही है। वहीं निर्यातकों में भी उत्साह है कि टैरिफ लगने के बाद भारत सरकार द्वारा 20 देश अर्जेंटिना, यूके, सऊदी अरब, नार्थ अमेरिका, आस्ट्रेलिया, रशिया, ग्रीस, बैल्जियम आदि देश से एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) हुआ है।

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    इन देशों से एग्रीमेंट होने से निर्यात इंडस्ट्री को पंख लगेंगे। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के भारत दौरे से पीतल की चमक डबल होने की संभावना प्रबल हो गई है। निर्यातकों को रूस का बड़ा नया बाजार मिलने से काफी हद तक कामयाबी मिलेगी। ईपीसीएच अध्यक्ष डा. नीरज खन्ना के अनुसार, रूस से पार्टनरशिप का प्रयास किया जा रहा है। यह काम होने से कई बाजार और मिलेंगे।

    अमेरिका द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद से पीतल कारोबार पर संकट खड़ा हो गया था। ईपीसीएच के प्रतिनिधि मंडल ने नए बाजार की खोज में रूस, यूके, पैरिस, ग्रीस, अमेरिका, आस्ट्रेलिया में रोड शो करके भारतीय उत्पाद की चमक बिखेरी थी। जिसमें काफी हद तक कामयाबी भी मिली। पीतल निर्यातकों को भी आर्डर मिले।

    विश्व के 80 देशों में पीतल के उत्पाद की आपूर्ति होती है। जिसका वार्षिक कुल कारोबार करीब 12 हजार करोड़ रहता है। इसमें अमेरिका का करीब पांच हजार करोड़ रहता था। टैरिफ लगने के बाद आर्डर कैंसिल हुए। तैयार आर्डर अमेरिकी बायर ने रद कर दिए। जिसका नुकसान निर्यातकों को झेलना पड़ा था।

    अमेरिकी बाजार की तर्ज पर ही विश्व के अन्य बड़े बाजार के लिए रोड शो किये गए। ईपीसीएच के अनुसार, अभी अमेरिकी बाजार के बराबर तो नहीं, हां कुछ समय लगेगा और दुनियाभर में भारतीय उत्पाद के लिए वैकल्पिक बाजार तैयार हो जाएगा। रूस से समझौता होने की निर्यातकों को उम्मीद है। रूस से समझौता होता है तो निर्यात कारोबार को पंख लगेंगे।

    फिलहाल रूस से बायर टू बायर आर्डर निर्यातकों को मिलते हैं। जिसमें करीब 600 करोड़ रुपये का प्रतिवर्ष कारोबार होता है। ईपीसीएच संयोजक अवधेश अग्रवाल के अनुसार, ईपीसीएच निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों में रोड शो कर चुका है। रूस राष्ट्रपति के भारत दौरे में व्यापारिक समझौता होता है तो सबके लिए बेहतर होगा।

    नए बाजार से निर्यात कारोबार को संजीवनी

    टैरिफ के बाद से ईपीसीएच ने नए बाजार की खोज शुरू कर दी थी। इसके तहत रोड शो और प्रदर्शनी लगाकर मुरादाबादी डेकोरेटिव, मेटल आर्टवेयर समेत अन्य उत्पाद की चमक बिखेरी थी। यस चेयरमैन जेपी सिंह के अनुसार, निर्यातक रूस को एक संभावित वैकल्पिक बाजार के रूप में देख रहे हैं।

    सुनने में आ रहा है कि रूस सरकार एवं व्यापारी प्रतिनिधियों ने भी संकेत दिए हैं कि वे भारतीय सामान विशेषकर गैर ऊर्जा, ऐसे उत्पादन जैसे हैंडीक्राफ्ट, मैन्युफैक्चरिंग सामान, तकनीकी व कृषि उपकरण आदि पर आयात बढ़ाना चाहते हैं। व्यापारिक समझौता होता है तो बड़े और छोटे निर्यातकों को इसका लाभ आर्डर के रूप में मिलेगा।

    टैरिफ लगने के बाद बंद हो गई कई फैक्ट्रियां

    मुरादाबाद के 80 प्रतिशत निर्यातकों का अमेरिका से कारोबार रहता था। 50 प्रतिशत टैरिफ लगने के बाद करीब तीन हजार करोड़ रुपये के क्रिसमस समेत अन्य आर्डर होल्ड कर दिए गए। साथ ही बायरों ने नए आर्डर नहीं दिए। इससे निर्यातकों के सामने कारोबार का संकट खड़ा हो गया।

    उन निर्यातकों के सामने तो फैक्ट्री संचालित करने की समस्या खड़ी हो गई जिनका टोटल कारोबार ही अमेरिकी बाजार पर टिका था। ईपीसीएच की ओर से प्रयास शुरू हुए तो आर्डर भी मिले। ग्रेटर नोएडा इंडिया एक्सपो मार्ट में प्रदर्शनी के बाद से कुछ स्थिति में सुधार आया। अब निर्यातकों की नजर फरवरी में लगने वाली प्रदर्शनी पर है।