सपा को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, मुलायम सिंह यादव के नाम से आवंटित कार्यालय नहीं होगा खाली
मुरादाबाद की कोठी नंबर-4 को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के कोठी खाली कराने के आदेश पर रोक लगा दी है। यह कोठी, जो कभी मुलायम सिंह यादव के नाम पर आवंटित थी, सपा की गतिविधियों का केंद्र रही है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन की कार्रवाई उचित नहीं थी, जिससे सपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है और कोठी सपा के पास ही रहेगी।
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जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। सिविल लाइंस स्थित कोठी नंबर-4 को लेकर तीन दशक पुराना सियासी विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसके तहत समाजवादी पार्टी (सपा) से यह कोठी खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। अब फिलहाल यह ऐतिहासिक कोठी सपा के पास ही बनी रहेगी।
28 अक्टूबर को जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस सत्यवीर सिंह की डबल बेंच ने सुनवाई के बाद यह महत्वपूर्ण आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मुरादाबाद प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई को वैध नहीं ठहराया जा सकता। इसके साथ ही कोठी खाली करने से संबंधित सभी नोटिसों को भी रद्द कर दिया गया है।
तीन दशक पुरानी है सियासी कोठी
सिविल लाइंस क्षेत्र में स्थित यह कोठी नंबर-4 समाजवादी पार्टी की गतिविधियों का केंद्र मानी जाती रही है। लगभग 31 वर्ष पहले यह कोठी मुलायम सिंह यादव के नाम पर आवंटित की गई थी। तब से लेकर अब तक यह सपा का जिला कार्यालय रही है।
इसी कोठी से कई विधानसभा और लोकसभा चुनावों की रणनीति तैयार की गई और कई बार यहां से बड़े नेताओं के दौरे आयोजित हुए। इस कोठी की बाउंड्री हरे रंग में रंगी है, जो सपा के पारंपरिक रंगों को दर्शाती है। यह पुलिस ट्रेनिंग कालेज और कई प्रशासनिक अधिकारियों के आवासों के बीच स्थित है, जिससे यह पूरा इलाका शहर का सबसे सुरक्षित और प्रतिष्ठित इलाका माना जाता है।
प्रशासन की कार्रवाई और उसका विरोध
कुछ महीने पहले मुरादाबाद के Oजिलाधिकारी अनुज सिंह ने इस कोठी का आवंटन रद्द कर दिया था, यह कहते हुए कि कोठी को राजनीतिक गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा रहा है, जबकि यह नजूल भूमि पर स्थित सरकारी संपत्ति है। साथ ही 30 दिन के अंदर कोठी खाली करने का नोटिस भी जारी किया गया था। स्थानीय प्रशासन ने कोठी पर कब्जा लेने के लिए पुलिस बल के साथ प्रयास भी किया, लेकिन सपा कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए 10 अक्टूबर तक मोहलत मांगी थी।
इसके बाद मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया और पार्टी ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया। सपा के अधिवक्ता वीर विक्रम सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि कोठी का आवंटन विधिसम्मत था और पार्टी लंबे समय से यहां से संगठनात्मक कार्य करती आ रही है। ऐसे में अचानक आवंटन रद्द करना द्वेषपूर्ण और प्रक्रिया-विरुद्ध है।
कोर्ट ने माना, प्रशासनिक कार्रवाई वैध नहीं
सुनवाई के दौरान प्रशासन की ओर से यह तर्क दिया गया कि कोठी का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है और इसलिए आवंटन निरस्त किया गया। परंतु अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया। अदालत ने कहा कि प्रशासन ने बिना उचित प्रक्रिया और बिना ठोस आधार के जल्दबाजी में कार्रवाई की है। इसलिए ऐसी कार्रवाई को वैध नहीं कहा जा सकता।
डबल बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई आवंटन 31 वर्षों से नियमित रूप से चला आ रहा है और उस पर कोई पूर्व विवाद नहीं था तो अचानक कार्रवाई का औचित्य साबित करना प्रशासन का दायित्व है, जो इस मामले में पूरा नहीं हुआ।
नजूल भूमि पर बनी कोठी, सपा का दावा ‘लीगल अलॉटमेंट’
कोठी नंबर-4 नजूल भूमि पर स्थित है, यानी कानूनी रूप से इसका मालिकाना हक राज्य सरकार का है। राजस्व अभिलेखों में यह संपत्ति सरकारी भूमि के रूप में दर्ज है। हालांकि, नगर निगम इसकी देखरेख करता है। सपा की दलील है कि 1990 के दशक में यह कोठी मुलायम सिंह यादव के नाम पर नियमपूर्वक आवंटित की गई थी, और तब से पार्टी यहां से वैध रूप से संगठनात्मक कामकाज करती आ रही है।
कोठी लगभग 953.71 वर्गमीटर क्षेत्रफल में फैली है। इसमें चार कमरे, एक बड़ा लान, पार्किंग और ओपन स्पेस है। कोठी के बाहर लगे सपा कार्यालय के बोर्ड और झंडे यह बताते हैं कि यह सिर्फ एक आवास नहीं बल्कि संगठन का पहचान-स्थल बन चुका है।
सपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर
हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुरादाबाद सपा कार्यालय में मंगलवार शाम जश्न का माहौल देखा गया। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह न्याय की जीत है और प्रशासन की जल्दबाजी पर कोर्ट की सख्ती से सच्चाई सामने आई है।
सपा जिलाध्यक्ष जयवीर यादव ने कहा कि पार्टी इस फैसले का स्वागत करती है और कोठी नंबर-4 मुरादाबाद की राजनीतिक विरासत का हिस्सा बनी रहेगी।

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