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    महात्मा गांधी की एक आवाज पर घर से निकल पड़ा था मुरादाबाद का बच्चा, बूढ़ा और जवान, पढ़ें 1920 की कहानी

    By Mehandi HasanEdited By: Samanvay Pandey
    Updated: Sun, 02 Oct 2022 09:47 AM (IST)

    Gandhi Jayanti 2022 महात्मा गांधी के आगमन की खबर से शहर के लोगों का उत्साह डबल हो गया था। नौ अक्टूबर 1920 की सुबह असहयोग आंदोलन की योजना पर पुनर्विचार और उसे मूर्त रूप देने के लिए महात्मा गांधी मुरादाबाद पहुंचे थे।

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    Gandhi Jayanti 2022 : कांग्रेस का संयुक्त प्रांतीय सम्मेलन नौ से 11 अक्टूबर 1920 को हुआ था

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। Gandhi Jayanti 2022 : महात्मा गांधी के आगमन की खबर से शहर के लोगों का उत्साह डबल हो गया था। नौ अक्टूबर 1920 की सुबह असहयोग आंदोलन की योजना पर पुनर्विचार और उसे मूर्त रूप देने के लिए महात्मा गांधी मुरादाबाद पहुंचे थे।

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    तीन दिवसीय दौरे पर आए थे गांधी

    तीन दिवसीय दौरे में उन्होंने कांग्रेस के संयुक्त प्रांतीय सम्मेलन को संबाेधित किया था। शहर के अति व्यस्ततम अमरोहा गेट के बाजार में उन्होंने बृज रतन हिंदू पुस्तकालय के नवीन भवन का शुभारंभ भी किया था। महात्मा गांधी मुरादाबाद में दो बार आए थे। यहां के कांग्रेसियों में उन्होंने आंदाेलन की अलख जगाई।

    महात्मा गांधी दो बार आए मुरादाबाद

    नौ से 11 अक्टूबर 1921 में प्रांतीय सम्मेलन हुआ था। वह उस वक्त 11 अक्टूबर तक मुरादाबाद में रहे। इसके बाद उनका दूसरी बार छह अगस्त 1921 में आना हुआ। उन्होंने यहां तीन सभाओं को संबोधित किया था। उनका प्रवास 11-12 अक्टूबर 1921 को भी रहा।

    असहयोग आंदोलन को दिया था अंतिम रूप

    वह मुरादाबाद से नौ अक्टूबर की रात नौ बजे शाहजहांपुर से मुरादाबाद पहुंचने के बाद 12 अक्टूबर को यहां से धामपुर के लिए रवाना हो गए थे। मुरादाबाद में ही असहयोग आंदोलन को अंतिम रूप दिया गया था। वह जब भी मुरादाबाद आते उनकी एक आवाज पर उन्हें सुनने और उनका दीदार करने के लिए हुजूम उमड़ पड़ता था।

    जानें क्या कहते हैं इतिहासकार

    इतिहासकार डॉ. अजय अनुपम का कहना है कि आज से एक शताब्दी पहले 1920 ईसवी में भारत की स्वाधीनता का एक महत्वपूर्ण आंदोलन मुरादाबाद से आरम्भ हुआ था। अक्टूबर की नौ, 10 और 11 तारीख को मुरादाबाद में नार्थ ईस्ट वेस्ट फ्रंटियर प्राविन्स एंड अवध प्रांत की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का प्रांतीय अधिवेशन मुरादाबाद के वर्तमान सरोज सिनेमा परिसर में हुआ था। जिसमें डा. राजेन्द्र प्रसाद, सरोजिनी नायडू, एनी बेसेंट और महात्मा गांधी जैसी हस्तियां मौजूद थीं।

    साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी की बात

    साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने बताया कि महात्मा गांधी का जुलूस मुरादाबाद आगमन पर शहर के प्रमुख मार्गों पर घुमाया गया था। उस दौर में हर तरफ महात्मा गांधी की जय की ही गूंज थी। दोपहर बाद नगर के महाराजा थियेटर (सरोज टाकीज) में सम्मेलन हुआ था। जिसमें महात्मा गांधी द्वारा कलकत्ता (अब कोलकाता) में प्रस्तुत असहयोग आंदोलन की योजना पर चर्चा हुई थी। सम्मेलन के अंतिम दिन 11 अक्टूबर को समापन सत्र में महात्मा गांधी ने कहा था, बहुत गंभीर चिंतन के बाद भी मैं यही मानता हूं कि देश की स्वतंत्रता का एकमात्र मार्ग असहयोग ही है।

    साहित्यकार मयंक शर्मा की बात

    साहित्यकार मयंक शर्मा ने बताया कि प्रेम, अहिंसा और त्याग की प्रतिमूर्ति के रूप में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमेशा हमारे भीतर जीवित रहेंगे। उनके विचारों की आधारशिला पर ही भारत जैसे दुनिया के सबसे मज़बूत लोकतंत्र की इमारत खड़ी है। व्यक्ति इस दुनिया से चला जाता है लेकिन, विचार हमेशा जीवित रहते हैं। गांधी जी का कहना था कि ''निशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होती है। जयंती पर बापू के शब्द-शब्द को अपने जीवन मे उतारना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।