केंद्रीय GST चोरी: मुरादाबाद में पीतल, स्क्रैप कारोबारियों के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे, फर्जी बिलिंग रैकेट पर शिकंजा
मुरादाबाद मंडल में केंद्रीय जीएसटी विभाग ने 370 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा किया है। पीतल और स्क्रैप फर्मों के रिकॉर्ड और गोदामों की सघन जाँच जारी है। यह कार्रवाई फर्जी बिलिंग से ITC लेने वाले संगठित नेटवर्क पर शिकंजा कसने के लिए की जा रही है। टोल प्लाजा डेटा से परिवहन हेरा-फेरी का खुलासा होने की संभावना है।
-1764067292453.webp)
प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। दो हजार करोड़ रुपये के टर्नओवर पर करीब 370 करोड़ की जीएसटी चोरी सामने आने के बाद विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) ने जांच का दायरा और बढ़ा दिया। मंडल के मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, अमरोहा और संभल में केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) में पंजीकृत फर्मों का रिकार्ड खंगाल रहे हैं।
पीतल, स्क्रैप, जस्ता और रांग कारोबारी नेटवर्क पर नजर है, क्योंकि प्राथमिक जांच में सबसे अधिक फर्जी बिलिंग इन्हीं क्षेत्रों से सामने आइ है। एसआइबी की टीमों को दिल्ली और आगरा की स्क्रैप मंडियों से जुड़े व्यापारियों के लगातार संपर्क और संदिग्ध लेन-देन की जानकारी मिली थी।
इसके बाद विभाग ने कच्चा माल खरीदने आने वाले व्यापारियों, उनके ई-वेबिल, ट्रांसपोर्ट रूट और बिलिंग पैटर्न का डाटा जुटाना शुरू किया। जांच से यह संकेत मिला कि कई फर्मों ने वास्तविक माल के बिना ही करोड़ों रुपये के बिल जारी किए, ताकि अन्य फर्म को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का फायदा दिलाया जा सके।
अपर आयुक्त ग्रेड टू एसआइबी आरए सेठ के अनुसार, अब यह भी पता लगाया जा रहा हैं कि पीतल उद्योग से जुड़े कितने व्यापारी बिना बिल के कच्चा माल खरीद रहे हैं। कितनों ने ई-वेबिल जारी किए बिना माल का आवागमन कराया। विभाग ने मंडल स्तर पर गोदामों का भी सत्यापन शुरू कर दिया है। कई जगह टीमों को गोदामों में दर्ज स्टाक और बिलों में दिखाए गए स्टाक में बड़ा अंतर मिला।
कारोबार कागजों में कुछ और जमीन पर कुछ और हो रहा है। दिल्ली और आगरा मंडी से आने वाले स्क्रैप में फर्जी बिलों का बड़ा खेल सामने आया है। कई फर्मों ने उन्हीं वाहनों के नंबर डालकर ई-वेबिल तैयार किए जो किसी अन्य प्रदेश में दर्ज थे या उस तारीख को किसी और रूट पर दिखाई दे रहे थे।
परिवहन संबंधी गड़बड़ी पकड़ने के लिए अब विभाग ट्रांसपोर्ट यूनियन, टोल प्लाजा के डाटा का भी मिलान करेगा। कई व्यापारी, जिन्होंने अब तक स्वयं को पीतल उद्योग का सामान्य कारोबारी बताया था, वास्तव में स्क्रैप और जस्ता के जरिए फर्जी बिलों की चैन चलाते रहे। कई फर्म ऐसी हैं जिनका न तो कोई वास्तविक दफ्तर है और न गोदाम, पर उनके बिलिंग टर्नओवर करोड़ों रुपये में दर्ज हैं।
मंडल के जिला कार्यालयों को फर्मों की पुराने तीन वर्षों की खरीद-बिक्री, बैंक स्टेटमेंट, जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3-बी की तुलना करने के निर्देश दिए हैं। जहां भी संदेह है, वहां सर्वे, तलाशी और गोदाम निरीक्षण कर रहे हैं। सरकार की मंशा स्पष्ट है। फर्जी बिलिंग के खेल को खत्म करना और असली कारोबारियों को पारदर्शी माहौल देना। जांच में अब तक जो परतें सामने आइ हैं, उससे संकेत है कि फर्जी बिलिंग का नेटवर्क काफी संगठित है। आने वाले दिनों में कई और फर्मों पर शिकंजा कसने की तैयारी है।
- अशोक कुमार सिंह, अपर आयुक्त ग्रेड-वन राज्यकर
यह भी पढ़ें- करोड़ों का स्क्रैप व्यापार: बोगस फर्म बनाकर GST चोरी का बड़ा खुलासा, जांच में मौके पर नहीं मिली 'शिव ट्रेडिंग कंपनी'

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।