बरेली-मुरादाबाद शिक्षक चुनाव: बसपा भी तैयारी में... छोटे दल और निर्दलीय बिगाड़ेंगे समीकरण!
बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन के लिए बसपा भी तैयार है। छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है। बसपा मतदाताओं तक पहुंचने के लिए बैठकें और जनसंपर्क कर रही है, जिसका लक्ष्य शिक्षकों का समर्थन हासिल करना है। अन्य दल भी सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं।

प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
मोहसिन पाशा, मुरादाबाद। बरेली–मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की राजनीति में इस बार कुछ अलग नजारा देखने को मिल रहा है। भाजपा जहां अपने मौजूदा एमएलसी हरिसिंह ढिल्लो के भरोसे चुनाव मैदान में उतरने की संभावना जता रही है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपनी तैयारियों को गति दे दी है। सपा-कांग्रेस भी इस चुनाव में अभी तक अलग-अलग प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। सबसे दिलचस्प यह है कि कई निर्दलीय प्रत्याशियों के नाम भी सामने आने लगे हैं। छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवारों की बढ़ती सक्रियता इस चुनाव के समीकरण को पूरी तरह बदल सकती है।
वोट बनवाने के लिए सभी दलों के नेता सक्रिय
बसपा के जिलाध्यक्ष निर्मल सागर ने बताया कि चुनाव को लेकर पार्टी पूरी तरह रणनीति पर काम कर रही है। उन्होंने सभी विधानसभा अध्यक्ष और प्रभारी को अलग-अलग वोट बनवाने के लिए फार्म दिए गए हैं। इसके साथ ही वोट बनवाने की प्रक्रिया में आवश्यक दो पहचान पत्र आधार और पैन कार्ड जमा करने का निर्देश भी दिया है। जिलाध्यक्ष का कहना है कि 16 अक्टूबर को लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती की बैठक होगी, जिसमें आगामी रणनीति और चुनावी तैयारियों का अंतिम रूप तय किया जाएगा। बसपा की सक्रियता यह संकेत दे रही है कि वे इस सीट पर भाजपा को चुनौती देने के लिए कमर कस चुकी हैं।
निर्दलीय प्रत्याशियों के नाम आने लगे हैं सामने
पार्टी का फोकस न केवल अपने वोट बैंक को मजबूत करने पर है, बल्कि शिक्षकों के बीच अपनी पकड़ बनाने और नई संख्या जुटाने पर भी है। छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। पिछले चुनाव में भाजपा और सपा को छोड़कर अन्य सभी प्रत्याशियों को मिले मत काफी महत्वपूर्ण रहे थे। छोटे दल और निर्दलीय इस बार भी ऐसे ही समीकरण बदल सकते हैं। राजनीति विशेषज्ञ का कहना है कि यह चुनाव केवल मुख्य पार्टियों की लड़ाई नहीं रह जाएगा, बल्कि इन छोटे उम्मीदवारों की रणनीति और वोट खींचने की क्षमता ही अंततः निर्णायक साबित होगी।
आजाद समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष सुमित कुमार ने बताया कि उनकी पार्टी ने अभी तक अपनी पूरी रणनीति तय नहीं की है। वोट बनवाने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद चंद्रशेखर के निर्देशानुसार ही आगे की कार्रवाई होगी। ऐसे में बरेली–मुरादाबाद शिक्षक सीट की राजनीति इस बार केवल प्रमुख दलों के बीच नहीं, बल्कि छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रभाव और रणनीति के इर्द-गिर्द घूमेगी। भाजपा की स्थिति मजबूत दिखती है, लेकिन अगर बसपा और छोटे दल अपने वोट खींचने की रणनीति में कामयाब रहे, तो यह सीट पिछले चुनावों से कहीं अधिक रोमांचक और अनिश्चित बनेगी। यही हाल रहा तो बरेली–मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में इस बार की सियासत में बसपा की सक्रियता, छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका चुनावी समीकरणों को पूरी तरह बदल सकती है।
पिछले चुनाव में छोटे दलों और निर्दलीयों को मिले थे 7,769 मत
छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। चुनाव आयोग जानकारी के मुताबिक पिछले चुनाव में भाजपा और सपा के अलावा अन्य 15 उम्मीदवार मैदान में थे, जिन्हें कुल 7,769 मत मिले थे। इन छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों की सक्रियता ने साबित कर दिया था कि यह वोट खींचकर मुख्य दलों के लिए चुनौती बन सकते हैं। पिछले चुनाव का डेटा देखें तो भाजपा के हरिसिंह ढिल्लो ने 12,827 मतों से जीत हासिल की थी, जबकि सपा के संजय कुमार मिश्र 4,864 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। अन्य सभी उम्मीदवारों को ढिल्लो और सपा के अलावा मिले मत कुल मिलाकर छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के थे।
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