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    BSP Big Decision : बसपा ने 29 साल से हाथी पर सवार रहे पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान को क‍िया निष्कासित

    By Narendra KumarEdited By:
    Updated: Thu, 28 Oct 2021 06:39 AM (IST)

    BSP Big Decision पार्टी हाईकमान के निर्देश पर जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने सरायतरीन निवासी पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां को पार्टी से निष्कासित कर दिया। ऐसे में अब लगभग तय हो चुका है कि वह किसी भी दूसरी पार्टी का जल्द ही दामन थाम सकते हैं।

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    बसपा का निर्णय चुनावी लिहाज से काफी गलत रहा है।

    मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। BSP Big Decision : मुरादाबाद मंडल में वीर सिंह के बाद अगला निशाना सम्भल बसपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां बने। संगठन विरोधी गतिविधि में पार्टी ने 29 साल से बसपा का झंडा ढोने वाले पूर्व मंत्री को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पूर्व मंत्री ने इस निर्णय को स्वीकारा है और कहा कि मैंने विपरीत परिस्थिति में सपा के गढ़ वाले जिले में पार्टी का झंडा बुलंद किया। खुद विधायक रहा जबकि मेरी पत्नी तरन्नुम अकील सम्भल शहर से नगर पालिका चेयरमैन रहीं। बसपा ने मुझे निकालकर सच्चे सिपाही को निकाला है। उधर उर्दू अकादमी की चेयरमैन विभिन्न पदों पर रहीं उनकी पत्नी तरन्नुम अकील ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

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    पार्टी हाईकमान के निर्देश पर जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने सरायतरीन निवासी पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान खां को पार्टी से निष्कासित कर दिया। ऐसे में अब लगभग तय हो चुका है कि वह किसी भी दूसरी पार्टी का जल्द ही दामन थाम सकते हैं। हालांकि उनकी सपा में जाने की ज्यादा संभावना जताई जा रही है। बसपा जिलाध्यक्ष ने बताया कि अनुशासनहीनता व पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने पर उन्हें बसपा सुप्रीमो ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

    यह रहा अभी तक का राजनीतिक सफर : 1992 में बसपा से जुड़े थे। 1993 में मुरादाबाद नगर से बसपा प्रत्याशी बने, चुनाव हारे। 1996 में बहजोई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, हारे। 2002 में फिर बहजोई से लड़े और बसपा को जीत दिलाई। 2002 जीत के इनाम में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, बसपा सरकार में। 2007 में एक बार फिर बहजोई से बसपा के विधायक बने। 2012 में बहजोई से कटकर बनी असमोली सीट से विधायक पद का चुनाव हारे, 2014 में बसपा ने लोकसभा प्रत्याशी बनाया। रिकार्ड पौने तीन लाख वोट हासिल किए। 2017 में बसपा ने फिर असमोली से उतारा। 68 हजार वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे।

    मैंने 29 साल बसपा की सेवा की। जिस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। सभी विधायक सपा के थे। इसमें लोकसभा चुनाव में मैं पौने तीन लाख वोट पाया। बसपा को सम्भल में मैं तथा मेरी पत्नी ने मजबूत किया। दो बार सम्भल में बसपा का नगर पालिका चेयरमैन रहा। जो भी निर्णय बसपा सुप्रीमो ने लिया है वह स्वीकार है। एक बात तो तय है कि सम्भल में बसपा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। जब मेरे जैसे सच्चे सिपाही के साथ पार्टी ने यह किया तो अन्य के साथ कुछ भी हो सकता है। हजारों अनुसूचित जात‍ि और मुस्लिमों साथियों से राय लेेकर मैं अगली रणनीति जल्द ही बनाउंगा।

    अकीलुर्रहमान, पूर्व मंत्री

    जब पति को सम्मान नहीं मिला तो मेरी क्या बिसात : पूर्व मंत्री अकीलुर्रहमान की पत्नी तरन्नुम अकील ने कहा जिस बसपा ने तीन दशक से पार्टी को मजबूत करने वाले उनके पति को सम्मान नहीं दिया तो मुझें क्या देगी। बसपा को दो बार नगर पालिका चेयरमैन, एक बार निकाय अध्यक्ष संघ का प्रदेश उपाध्यक्ष, उर्दू अकादमी की चेयरमैन, 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा के मुकाबले दूसरे स्थान पर रही। बसपा को हर तरफ मजबूत बनाया। ऐसे में मैं अपने पति के साथ हूं। बसपा का निर्णय चुनावी लिहाज से काफी गलत रहा है।

    तरन्नुम अकील पूर्व चेयरमैन उर्दू अकादमी उत्तर प्रदेश