आजम खां का डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र खारिज, कोर्ट अब यातिमखाना प्रकरण में नौ मार्च को तय करेगी आरोप
Azam Khan News सांसद आजम खां के खिलाफ यतीमखाना प्रकरण के दो मुकदमों में अदालत नौ मार्च को आरोप तय करेगी। अदालत ने सांसद के डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। आजम खां पर वर्ष 2019 में शहर कोतवाली में 12 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
रामपुर, जेएनएन। Azam Khan News : सांसद आजम खां के खिलाफ यतीमखाना प्रकरण के दो मुकदमों में अदालत नौ मार्च को आरोप तय करेगी। अदालत ने सांसद की ओर से दाखिल डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। आजम खां पर वर्ष 2019 में शहर कोतवाली में 12 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें आरोप है कि सांसद के इशारे पर यतीमखाना बस्ती में रह रहे लोगों के साथ मारपीट, लूटपाट की गई थी। बुलडोजर चलाकर उनके घरों को ध्वस्त कर दिया गया था।
इन्ही मामलों में सांसद पर भैंस चोरी, बकरी चोरी जैसे आरोप भी लगाए गए थे। सभी मामलों में उनकी जमानत अर्जी मंजूर हो चुकी है। मुकदमे की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट (सेशन ट्रायल) में चल रही है। इनमें आरोप तय होने हैं। दो मुकदमों में सांसद ने अपने अधिवक्ता की ओर से पुलिस के आरोप पत्र के खिलाफ डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर अभियोजन ने आपत्ति दाखिल की थी। सोमवार को आपत्ति पर सुनवाई हुई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि सांसद पर आरोप नहीं बनते हैं। उन्हें राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाया गया है।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कमल कुमार गुप्ता ने आरोपों का समर्थन किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने बचाव पक्ष का डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है। अब अदालत इन दोनों मुकदमों में नौ मार्च को आरोप तय करेगी। उधर, यतीमखाना प्रकरण के तीन अन्य मामलों में डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र पर अभियोजन की आपत्ति पर बचाव पक्ष द्वारा प्रति आपत्ति दाखिल की है। इस पर अदालत 11 मार्च को सुनवाई करेगी।
लोक अदालत में निस्तारित होंगे 23 हजार से अधिक मुकदमे : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से 12 मार्च को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। इसमें एक दिन में 23 हजार से अधिक मुकदमों का निस्तारण किया जाएगा। लोक अदालत के संबंध में सोमवार को प्रभारी जिला जज नीलू मोघा ने मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि लोक अदालत में निस्तारण के लिए विभिन्न प्रकार के 23968 वाद नियत किए गए हैं।
इनमें आपराधिक शमनीय वाद, धारा 138 पराक्रम्य लिखित अधिनियम, बैंक वसूली वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर याचिकाएं, श्रम वाद, विद्युत एवं जल बिल विवाद (चोरी से संबंधित विवादों सहित), पारिवारिक वाद, भूमि अधिग्रहण वाद, सर्विस में वेतन संबंधित विवाद एवं सेवानिवृतिक लाभों से संबंधित विवाद, राजस्व वाद (जिला न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय में लंबित वाद) एवं अन्य सिविल वादों (किराया, सुखाधिकार, व्यवादेश, विशिष्टि अनुतोष वाद) का निस्तारण किया जाएगा।
उन्होंने लोक अदालत की विशेषताओं के बारे में बताया कि यहां आपसी सुलह समझौते के आधार पर विवादों का निस्तारण कराया जाता है। इसके लिए पक्षकार व्यक्तिगत स्तर पर स्वयं पहल कर सकता है। लोक अदालत में वादों के निस्तारण के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना पड़ता है साथ ही लंबित मामलों के लोक अदालत में निस्तारण पर न्याय शुल्क की वापसी की भी व्यवस्था है। कानूनी जटिलताओं के स्थान पर लोक अदालत की प्रक्रिया सहज और आपसी समझौते पर आधारित है तथा लोक अदालत द्वारा पारित निर्णय के विरुद्ध किसी न्यायालय में कोई अपील नहीं होती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।