अमृत तुल्य है गाय का दूध
कांठ : भैंस का दूध, दूध है जबकि बकरी का दूध पानी है और गाय का दूध अमृत के समान है। जितने गुण गाय में हैं अन्य किसी पशु में नहीं हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक गाय अवश्य पालनी चाहिए।
उक्त विचार विश्नोई समाज के अग्रणी गुरु तथा हरिद्वार स्थित विश्नोई मठाधीश के स्वामी राजेन्द्रानन्द जी महाराज ने ग्राम खलीलपुर कद्दीम में चल रही श्री जाम्भणी हरि कथा में व्यक्त किए। श्री राजेन्द्रानन्द जी ने कहा कि गाय की महिमा का जितना बखान किया जाए वह कम है क्योंकि गाय एक पशु का नाम नहीं अपितु माता का नाम है। उन्होंने कहा कि भैंस का दूध वास्तव में दूध होता है परंतु बकरी का दूध उसकी अपेक्षा पानी होता है। गाय का दूध सभी पौष्टिक तत्वों से भरपूर होकर अमृत कहलाता है।
मंदिर में जाकर अगर गाय की सेवा कर उसके चारों ओर चक्कर लगाकर उपासना की जाए तो उसे मुंहमांगी मुराद मिल जाती है क्योंकि गाय को कामधेनु भी कहा जाता है। गाय के अंदर सब कुछ समाया है। मनवांछित फल अगर प्राप्त करना है तो गाय की सेवा करना जरूरी है।
श्री राजेन्द्रानंद जी ने कहा कि गाय ही एक ऐसा जीव है जो वैतरणी पार करा कर स्वर्ग में प्रवेश दिलाती है। जो व्यक्ति गाय की सेवा आदि नहीं करता वह नरक में ही जाता है। उन्होंने एकादशी व्रत की महत्ता बताते हुए कहा कि एकादशी का व्रत रखने से ईश्वर मनुष्य के पापों का अंत कर देते हैं। संतों के बारे में प्रवचन करते हुए स्वामी जी ने कहा कि वास्तव में संत वही है जो दूसरों का दोष अपने ऊपर ले लेता है और दोषी को मुक्त कर देता है।
इस अवसर पर अजय कुमार विश्नोई, सुरेन्द्र सिंह विश्नोई, मा. दिग्विजय सिंह, प्रदीप कुमार, भगवानदास, संजय विश्नोई, मुन्नू सिंह सहित ग्राम नवादा, हिरनपुर, पेली, सलावा, पानूवाला, लालापुर, रैनी, मौहल्ला पट्टीवाला से हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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