स्टील के जबड़े से कैंसर को शिकस्त
मेहंदी अशरफी, मुरादाबाद : कटघर थाने के पास पुराने ट्रासपोर्टनगर में नवाब (32) ट्रक की बॉडी बना
मेहंदी अशरफी, मुरादाबाद :
कटघर थाने के पास पुराने ट्रासपोर्टनगर में नवाब (32) ट्रक की बॉडी बनाने का काम करता है। काम के दौरान किसी से बातचीत न करनी पड़े उससे बचने के लिए वह पान मसाला खाता था। 24 घंटे में 18 घंटे पान-मसाला खाना उसकी आदत में शामिल हो चुका था। मई 2013 में उसके जबड़े में तेज दर्द हुआ तो उसने दर्द खत्म करने के लिए दवा खा ली। जबड़े का दर्द दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। उसने कोठीवाल डेंटल कालेज के ओरल डिपार्टमेंट में परीक्षण कराया। मुंह बहुत कम खुल रहा था। 18 नवंबर 2013 को जांच में कैंसर की पुष्टि हो गई। मुंह में कैंसर की पुष्टि की जानकारी से परिवार के लोग सदमें आ गए। डॉक्टरों ने उसे समझाया कि इलाज कराने से उसका पूरा इलाज संभव है। इसे खत्म किया जा सकता है, लेकिन तंबाकू को पूरी तरह छोड़ना पड़ेगा। इसके बाद डॉ. मुहम्मद जीशान और टीम के सदस्यों ने ऑपरेशन करके कैंसर ग्रसित जबड़े को निकाल दिया। उसके स्थान पर स्टील का जबड़ा लगा दिया। ऑपरेशन के बाद दो माह में वह ठीक हो गया। अब खाने-पीने में उसे कोई दिक्कत नहीं होती। बस छह माह में परीक्षण कराना पड़ता है।
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गाल में पड़ गई गांठे
न रपुर के करीब गोपालगंज की रहने वाली शकूरन (75)को तंबाकू खाने की आदत थी। उनके गाल में जख्म हो गया और सफेद रंग के गाल में धब्बे बन गए। वे धब्बे बहुत सख्त हो चुके थे। उनके गाल में दर्द होने लगा था। डेंटल कालेज में दिखाया तो दायें गाल में कैंसर की पुष्टि हो गई। चिकित्सकों ने उनका हौसला बढ़ाया। ऑपरेशन के बाद आठ माह के इलाज में ओरल कैंसर को खत्म कर दिया गया।
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केस तीन
मुंह में जख्म के रूप में फैला कैंसर
शहर के कटघर पछपेड़ा के रहने वाले मुन्ना लाल (55) पिछले 20 साल से तंबाकू का सेवन कर रहे थे। वे कटघर थाने से कुछ ही फासले पर स्थित नए रोडवेज बस अड्डे के पास शिकंजी का ठेला लगाते हैं। पत्नी का देहांत हो गया और बेटी रेनू की शादी कर दी। उनके मुंह में दर्द उठना शुरू हो गया था। बेटी रेनू ने परीक्षण कराया तो कैंसर की पुष्टि हो गई। बेटी कैंसर की बात सुनकर रोने लगी। चार माह के इलाज के बाद उनके मुंह का कैंसर ठीक हो गया। अब वे पूरी तरह काम कर रहे हैं।
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केस चार
जसपुर के कासमपुर के रहने वाले सुरेंद्र कुमार (39) के दिन की शुरुआत बीड़ी-सिगरेट के सेवन से होती थी। लोगों के लाख मना करने के बाद भी वे धूमपान करने से बाज नहीं आते थे। 15 साल से लगातार धूमपान का सेवन करने की वजह से उनके फेफड़ों की भी दिक्कत हो गई। इससे उनका मुंह खुश्क रहने लगा था। उन्होंने चिकित्सक को दिखाया तो मुंह में जख्म काफी बढ़ा हुआ था। चिकित्सकों ने उनका हौसला बढ़ाया और ऑपरेशन कर दिया। अब वह छह माह में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण कराने आते हैं।
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सबसे पहले तंबाकू का सेवन बंद कर दें। मुंह में किसी तरह का धब्बा, जख्म या फिर बंद नहीं खुल रहा है तो उसे फौरन ही चिकित्सक को दिखाएं। समय से बीमारी की पुष्टि होने से उसे जड़ से खत्म किया जा सकता है। कैंसर का इलाज है, बस जरूरत है तो सिर्फ जागरूक होने की। धूमपान को बाय-बाय कर दें।
डॉ. मुहम्मद जीशान, ओरल कैंसर स्पेशलिस्ट
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धूमपान से दांत तो खराब होते ही हैं। साथ ही कैंसर के चांस 90 फीसद हो जाते हैं। मुंह कम बंद होना और मुंह के अंदर सफेद धब्बे-गांठ होना ओरल कैंसर के लक्षणों में से एक हैं। गंभीर बीमारी है, लेकिन लाइलाज नहीं है। मुंह के अंदर बदलाव महसूस होने पर डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। जागरूकता से कैंसर को मात दे सकते हैं।
डॉ. अमित तीर्थ, दंत रोग विशेषज्ञ
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