अहंकार व अभिमान का नाश करते हैं भगवान
मुरादाबाद । ईश्वर अपने भक्त के हृदय में कभी भी अहंकार को नहीं आने देते हैं। अहंकार व अभिमान का नाश क
मुरादाबाद । ईश्वर अपने भक्त के हृदय में कभी भी अहंकार को नहीं आने देते हैं। अहंकार व अभिमान का नाश कर भगवान भक्त को पतन की ओर जाने से बचाते हैं। यह विचार जिगर मंच पर श्रीमद्भागवत कथा में देवी चित्रलेखा ने व्यक्ति किये।
श्री परिवार दिव्य महायज्ञ समिति के तत्वावधान में आयोजित कथा के पांचवें दिन उन्होंने कहा कि भक्तों के अहंकार का नाश करने के लिए जब श्रीकृष्ण ने देखा कि ग्रामवासी इंद्र के भय के कारण उनकी पूजा करते हैं। उनके भय को निकालने के लिए व इंद्र में सरल देवत्व के भाव को उत्पन्न करने के लिए उन्होंने इंद्र पूजा की परंपरा को समाप्त कर गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई। इंद्र के भ्रमित होने पर ब्रजवासी की रक्षा की और उनके अहंकार का नाश किया। बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण ने पूतना का वध कर उन्हें मां समान मानकर उनका मोक्ष भी कराया। तृणावर्त, संकटासुर आदि के उद्धार की कथा के साथ ही श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का उन्होंने मनोहारी ढंग से वर्णन किया। माखन चोरी की लीला का दार्शनिक पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार दही को भली भांति मथने पर माखन के रूप में पदार्थ प्राप्त होता है। उसी प्रकार प्रेम एवं भाव रूपी रस्सी से गोपियों के हृदय को मथने पर समर्पण के रूप में भाव मिला, जिसका भोग माखन रूप में कन्हैया ने लगाया। माखन के शब्द से ख हटाए तो मान बनता है और उसी मान को श्रीकृष्ण ने गोपियों के हृदय से चुराया।
गोवर्धन से आये कथा वाचक व ज्योतिषाचार्य राधे रमन कथा का श्रवण किया। इसके पहले सुबह के सत्र में मां लक्ष्मी का यज्ञ हुआ। पंडित कृष्णा स्वामी ने मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के तरीके भक्तों को बताए। लक्ष्मी गणेश के पूजन के महत्व को समझाया। शनिवार की कथा में दक्षिण काली पीठ के पूज कैलाशानंद ब्रह्माचारी कथा में मौजूद रहेंगे। मुख्य यजमान महेश बंसल, नरेश सक्सेना, रामनाथ, गोविंद शर्मा, सम्राट, राहुल, अवनीत, संजय, राजेश माथुर, मूलचंद तोमर, पंकज मेहरोत्रा, मुकेश कौशिक भी मौजूद रहे।
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