अफसरों की लाइन-हाजिर
सुधीर मिश्रा, मुरादाबाद।
'लाइन हाजिर'। शब्द अंग्रेजों के जमाने का है मगर है बड़ा काम का। खासकर आला अफसरों के लिए। कहीं बड़ी घटना हो जाए और पब्लिक का दबाव बढ़े तो इसका इस्तेमाल सुकून देता है। जिले के कप्तान को और पब्लिक को भी। पब्लिक यह सोचकर सुकून महसूस करती है कि कार्रवाई हो गई और उनके इसी सुकून से अफसर खुश हो जाते हैं।
लोग यही समझते हैं कि संबंधित दरोगा या सिपाही को उसकी करतूत की सजा मिल गई मगर हकीकत इससे परे है। सच यह है कि 'लाइन हाजिर' पुलिस नियमावली में कोई कार्रवाई ही नहीं है। लाइन हाजिर का मतलब है पुलिस लाइन में स्थानांतरण। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं। यह वैसा ही है जैसे एक थाने से दूसरे थाने, एक चौकी से दूसरी चौकी तबादला हो या फिर एक जिम्मेदारी से दूसरी जिम्मेदारी सौंप दी जाए। डाक्टर दंपती की दिल्ली रोड पर पुलिस इंस्पेक्टर व सिपाहियों द्वारा पिटाई में भी यही शब्द अफसरों का एक फिर सहारा बना।
पुलिस नियमावली में निलंबन के पहले कोई कार्रवाई नहीं मानी जाती। निलंबन के बाद ही जांच होती है। जांच की रिपोर्ट पर मुहर लगती है और पुष्टि की जाती है कि निलंबन का आधार क्या था? इसी पर अपील होती है। थानेदार, दरोगा या सिपाही को कप्तान ने निलंबित किया तो अपील सुनने की अथॉरिटी डीआइजी हैं। डीआइजी के बाद आइजी। वहां से खारिज हुई तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाना ही पुलिसकर्मियों का विकल्प है। खास बात यह कि यह कार्रवाई संबंधित पुलिसकर्मी की चरित्र पंजिका में दर्ज होती है। यानी सीआर खराब होने का भी संकट खड़ा होता है।
अब लाइन हाजिर कोई कार्रवाई है ही नहीं तो जांच भी नहीं बैठती। पुलिसकर्मी इसकी अपील भी नहीं कर सकते और न ही इसके खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का कोई रास्ता ही होता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसे पुलिस लाइन में ड्यूटी देना कहते हैं। अगर संबंधित दरोगा सत्ता का करीबी हो, राजधानी तक पहुंच रखता हो या आला अधिकारी का करीबी हो तो उसके खिलाफ लिखित कार्रवाई (निलंबन) करने की जगह लाइन हाजिर बड़े काम का अस्त्र होता है। किसी बड़े मामले में भी घोषणा यह होती है कि अमुक को लाइन हाजिर कर दिया गया और जब प्रकरण ठंडा पड़ जाए तो लाइन से फिर किसी थाने में तबादला कर दिया जाता है।
हालिया मामलों में ये हुए लाइन हाजिर
ø डा. विभा मलिक और उनके पति वाईके पूनिया को घूंसे मारने में मझोला इंस्पेक्टर समेत तीन लाइन हाजिर
ø एक सप्ताह पहले बिशनपुर में डकैती को लेकर सवाल उठा तो देर से पहुंचने को वजह बताते हुए इंस्पेक्टर सिविल लाइन किए गए लाइन हाजिर।
ø बीस दिन पहले हरथला में मोबाइल शॉप में चोरी का विरोध हुआ तो दो सिपाही हुए लाइन हाजिर।
ø बिना वर्दी के मिले आठ सिपाही एक साथ पूर्व कप्तान द्वारा किए गए थे लाइन हाजिर।
ø कटघर थाने में सीओ महेश सिंह की टेस्ट रिपोर्ट लिखने में लापरवाह निकले एक दरोगा, दीवान और सिपाही को कार्रवाई के नाम पर किया गया लाइन हाजिर।
ø अवैध खनन पर अंकुश न लगा पाने और लापरवाही बरतने का दोषी पाया जाना बताकर करनपुर चौकी इंचार्ज, काशीपुर तिराहा चौकी इंचार्ज समेत तीन दरोगा किए गए लाइन हाजिर।
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