मीरजापुर में झरना का पानी ही है जीवन रेखा, सरकारी प्रयास नहीं, प्रकृति बनी है संजीवनी
मीरजापुर जिले में कई गांवों के लोगों के लिए झरने का पानी ही जीवन का एकमात्र सहारा है। सरकारी प्रयास उतने सफल नहीं हुए हैं, जितनी प्रकृति ने संजीवनी बनकर उनकी मदद की है। ग्रामीण पीने और अन्य कार्यों के लिए झरने के पानी पर निर्भर हैं, जो उनके लिए प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है।

सरकारी योजनाओं के बावजूद, ग्रामीण झरने के पानी पर निर्भर रहने को मजबूर हैं।
जागरण संवाददाता, पटेहरा (मीरजापुर)। विकास खंड के अमोई पुरवा और गढ़वा में आज भी ग्रामीण झरना का पानी पीने को विवश हैं। अमोई पुरवा के देवरी दुबार खास हिरदहवा कोल बस्ती और गढ़वा के सिंहवान बस्ती के लोग आज भी झरना का पानी पीने को मजबूर हैं।
इन बस्तियों में न तो कोई बोरिंग है और न ही जल जीवन मिशन के तहत हर घर टोटी का जल उपलब्ध है। बस्ती के लोग एक किलोमीटर दूर से पानी लाकर जीवन यापन करते हैं। हलिया ब्लाक के लहुरियादह में चुआड़ और झरना का पानी पीते हुए ग्रामीणों को देखा गया है।
पटेहरा के हिरदहवा कोल बस्ती में मल्लू कोल, कुद्दन कोल, रामगोपाल गोंड, रामलाल कोल, रबिंद्र कोल, राहुल कोल, रामपाल कोल, दया कोल, बेचन कोल, लुट्टन कोल और मेवा कोल के लोग गांव से सिवान में आवंटित जमीन पर बस गए हैं। यदि इस बस्ती में बिजली और पानी की व्यवस्था हो जाए, तो इन परिवारों का घर जगमगाएगा और उन्हें स्वच्छ जल भी प्राप्त होगा।
इस संबंध में जब जल जीवन मिशन की कार्यदाई संस्था के जीवीपीआर इंजीनियर्स प्रा. लि. के मेंटीनेंस मैनेजर से वार्ता की गई, तो उन्होंने बताया कि सुदूर बस्तियों में पाइप लाइन का पहले से सर्वे नहीं किया गया था। उनके लिए रिपोर्टिंग की गई है और सोलर पंप के माध्यम से बोरिंग द्वारा पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा।
ब्लाक के सहायक विकास अधिकारी प. धर्मेंद्र कुमार दूबे ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी। यदि आवश्यकता पड़ी, तो हैंडपंप की तत्काल स्थापना हेतु लिखा-पढ़ी की जाएगी।
हालांकि ग्रामीणों की इस समस्या को लेकर स्थानीय प्रशासन को शीघ्र कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि उन्हें स्वच्छ जल की सुविधा मिल सके। जल जीवन मिशन के तहत सभी बस्तियों में जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हर नागरिक को स्वच्छ जल की उपलब्धता हो, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार हो सके। झरने के पानी पर निर्भरता ग्रामीणों के लिए एक गंभीर समस्या है तो प्रकृति का यही वरदान अब तक यहां के लोगों के लिए जीवन रेखा बनी हुई है।

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