साहित्य, संगीत व कला की त्रिवेणी है विध्य क्षेत्र
जागरण संवाददाता मीरजापुर हिदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज व प्रभाश्री ग्रामोदय सेवा आश्रम देवगढ़ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मीरजापुर :
हिदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज व प्रभाश्री ग्रामोदय सेवा आश्रम देवगढ़ की ओर से पथरहिया स्थित आयुक्त सभागार में सोमवार को आचार्य रामचंद्र शुक्ल और मीरजापुर के साहित्यकार विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मंडलायुक्त योगेश्वरराम मिश्र ने विध्य क्षेत्र साहित्य, संगीत एवं कला की त्रिवेणी है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अवदान को भी रेखांकित किया। कहा कि आचार्य शुक्ल की प्रतिभा का प्रस्फुटन मीरजापुर में ही हुआ है। मीरजापुर के लंदन मिशन स्कूल से काशी हिदू विश्वविद्यालय तक की ज्ञान यात्रा में आचार्य रामचंद्र शुक्ल की वाग्विभूति का विकास हुआ। आचार्य शुक्ल ने कविता, कहानी, आलोचना, निबंध, साहित्य शास्त्र, काव्य भाषा, शब्दकोश और साहित्य के इतिहास का मानक रचा है।
डा. अनुज प्रताप सिंह ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। डा. सभापति मिश्र ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के साथ ही मीरजापुर की संपूर्ण साहित्यिक परंपरा का स्मरण किया। बिलासपुर से आए राष्ट्र कवि डा. बृजेश सिंह ने आचार्य शुक्ल के निबंध कार स्वरूप को रेखांकित किया। प्रथम सत्र के सभापति डा. उदय प्रताप सिंह ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा सन 1932 ई. में हिदुस्तानी एकेडमी के सचिव को अंग्रेजी में लिखे पत्र का उल्लेख किया। आज हिदुस्तानी एकेडमी अपने शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है और आचार्य शुक्ल का स्मरण करने उनके द्वार आई है।
प्रथम सत्र का संचालन राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के संयोजक डा. जितेंद्र कुमार सिंह 'संजय' ने किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आचार्य डा. लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने आचार्य शुक्ल के विशाल अध्ययन एवं अनुशीलन पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता ब्रजदेव पांडेय ने कहा कि आचार्य शुक्ल का विकास किन परिस्थितियों में हुआ, उनका भी विश्लेषण किया जाना चाहिए। अध्यक्षता कर रहे डा. बाबूराम त्रिपाठी ने कहा, अब समय आ गया है कि पुन: आचार्य रामचंद्र शुक्ल के साहित्य का गंभीरता से अध्ययन अनुशीलन किया जाए। संगोष्ठी का संचालन डा. भुवनेश्वर दुबे ने किया। संगोष्ठी के तृतीय सत्र में कवि गोष्ठी व काव्यपाठ का आयोजन किया गया।

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