योग की आंधी में गायब हो रही पुरानी व्यायाम-पद्धति
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : गांव-गांव में चलने वाले अखाड़े अब देखने को नहीं मिलते। ग्रामीण इल ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : गांव-गांव में चलने वाले अखाड़े अब देखने को नहीं मिलते। ग्रामीण इलाकों में बुजुर्गों-नौजवानों द्वारा किया जाने वाला कसरत भी कम ही दिखता है। अब लोग सिर्फ जिम की बात करते हैं जबकि पुरानी व परंपरागत कसरत प्रणाली इतनी सक्षम है कि इसका सही अभ्यास किया जाए तो शरीर में कई बीमारियां पैदा ही नहीं होंगी। लेकिन आज आधुनिकता व नई तकनीकी के नाम पर पुरानी व कारगर कसरत पद्धति को तिलांजलि दी जा रही है। जिसका असर भी आम जनजीवन पर साफ दिखाई दे रहा है।
योग वास्तव में शरीर का चुस्त-दुरुस्त व फिट रखने के लिए कारगर व आवश्यक पद्धति है। योग के विशेषज्ञ बताते हैं कि योग क्रियाएं इतनी आसान नहीं होती, जितना उन्हें समझा जाता है। योग अभ्यास करने के लिए एक योग शिक्षक का दिशा-निर्देश बहुत आवश्यक होता है। बिना जानकारी व सही तकनीक के योग करने से नुकसान भी हो सकता है, इसलिए यह माना जाता है कि जानकार व प्रशिक्षित विशेषज्ञ की देखरेख में ही योग क्रियाएं करनी चाहिए लेकिन आज ऐसा नहीं हो रहा है। लोग योग को टीवी या इंटरनेट पर देखकर ही करने की कोशिश करते हैं। योग के जानकार अनंत देव पांडेय बताते हैं कि यह पूरी तरह से वैज्ञानिक विधा है, जिस प्रशिक्षित योग शिक्षक की निगरानी में करने से ही फायदा होता है। खत्म हो रहे अखाड़े
कुछ समय पहले तक समृद्ध गांव की निशानी के तौर पर गांव के अखाड़े को देखा जाता था। जिस गांव के अखाड़े में ज्यादा से ज्यादा लोग जुटते, कुश्ती के दांव पेंच सीखते, दंड-बैठक करते, वह गांव उतना ही संभ्रांत व समृद्ध माना जाता था। लेकिन आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में अखाड़े गायब होते जा रहे हैं। मीरजापुर के एक गांव में बचपन से ही पहलवानी के दांव अजमाने वाले और आज 70 साल की उम्र में भी रोजाना कसरत करने वाले पहलवान चंद्रबलि बताते हैं कि पहले सुबह के समय अखाड़े में कम से कम 50 लोग जुटते थे जो आपस में ही एक-दूसरे को कसरत कराते, कुश्ती के दांव पेंच का अभ्यास करते। ऐसे लोग बीमार कम पड़ते थे और खूब मेहनत करते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होता। नये लोग अखाड़े में जोर नहीं आजमाना चाहते बल्कि वे एसी जिम में जाकर मशीनों से मेहनत करते हैं। जबकि दोनों की तुलना की जाए तो अखाड़े की परंपरा कम से कम खर्चीली और ज्यादा फायदेमंद थी, जबकि योग या जिम करना इससे कहीं ज्यादा खर्चीला है। फैशन बन रहा योग
जहां तक योग के प्रचार प्रसार की बात है तो इसकी अंतरराष्ट्रीय ब्रां¨डग हो रही है। यह भारत की प्राचीन पद्धति है लेकिन जिस तरह से इसे अब फैशन बनाया गया है, उससे योग आम लोगों से अभी कोसों दूर है। योग प्रशिक्षकों का मानना है कि आज के समय में योग करना या योग सिखाना रोजगार व पेशा हो गया है। शहरों में बड़े-बड़े योग प्रशिक्षण केंद्र खुलने लगे हैं और लोग हर महीने अच्छी खासी फीस देकर योग की क्लास कर रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ देखा जाए तो परंपरागत कसरत पद्धति आसान होती है। इसे बहुत ही सरल तरीके से दूसरों को समझाया जा सकता है और कोई भी अपनी सुविधानुसार इन कसरतों को कर सकता है। जानकार लोग बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में अभी योग नहीं पहुंच पाया है और जिस तरह से इसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, उससे योग भी कुछ खास लोगों तक सिमट कर रह गया है। इन कसरतों की बात निराली
भारतीय कसरत पद्धति में सबसे आसान व सबसे ज्यादा प्रचलित प्रणाली सूर्य नमस्कार है। ज्योतिषचार्य महेश देव पांडेय बताते हैं कि सूर्य नमस्कार पूजा पद्धति भी है और पूरे शरीर की कसरत का एक बेजोड़ नमूना भी। क्योंकि इससे पूरे शरीर का व्यायाम आसानी से हो जाता है। उन्होंने बताया कि सूर्य नमस्कार के अलावा अखाड़ा परंपरा में दंड-बैठक, सपाट मारना, मल्ल अभ्यास करना ऐसी पद्धातियां हैं, जिसे कोई भी आसानी से सीख सकता है और खुद को स्वस्थ रख सकता है। इसके अलावा वार्म अप करने के लिए तेज गति से चलना और पीछे की तरफ दौड़ना शरीर के लिए सबसे फायदेमंद तरीके हैं, जो भारत में हजारों से प्रचलित हैं। लेकिन योग व जिम की आंधी में यह सब लोग के जेहन से विस्मृत होता जा रहा है।

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