कठिन परिश्रम हर चीज को बनाता है आसान
जागरण संवाददाता, जमालपुर (मीरजापुर) : कड़ी मेहनत का कोई मोल नहीं है। हर इंसान यह चाहता है कि वह अपने
जागरण संवाददाता, जमालपुर (मीरजापुर) : कड़ी मेहनत का कोई मोल नहीं है। हर इंसान यह चाहता है कि वह अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त करे। इसके लिए वह प्रयास करता है लेकिन बहुत से लोग बिना प्रयास के ही सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। यह सिर्फ एक दिवास्वप्न है जो कि पूरा नहीं हो सकता। आदमी को अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम करना ही होगा। चाहे वह विद्यार्थी हो अथवा उद्योगपति हो। यह मंत्र सभी के लिए समान रूप से लागू होता है। इसका कोई शार्टकट नहीं है। हो सकता है कि शुरूआत में किसी प्रकार की आरंभिक सफलता किसी को मिल जाए लेकिन यदि सतत सफलता चाहिए तो उसके लिए प्रयास करना ही होगा। इससे बचा नहीं जा सकता। इसलिए यदि हमें लक्ष्य प्राप्त करना है तो उसके लिए परिश्रम करना ही होगा। सफलता का यही मूलमंत्र है।
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असफलता से ही मिलती है सफलता
सफलता एवं असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। असफलता से सबक लेकर कठिन परिश्रम से सफलता को पाया जा सकता है। खेलकूद हो या पढ़ाई-लिखाई दोनों में कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। कड़ी मेहनत सफलता की पहली सीढ़ी है। कठिन परिश्रम द्वारा सफलता के पथ पर मनुष्य दूर तक सफर तय कर सकता है। असफलता से निराश न होकर बल्कि उससे सीख लेकर अपनी गलतियों को को ढूंढ कर एवं कठिन परिश्रम से अपनी गलतियों को दूर कर अगली बार मनुष्य गलतियां करने से आसानी से बच जाता है। कड़ी मेहनत से सफलता के करीब पहुंच जाता है। जो व्यक्ति अपनी कमजोरियों को पहचान कर समय रहते अपनी लगन एवं कठिन परिश्रम से अपनी कमजोरियों को दूर कर लेता है, तो वह विजेता बनकर आगे आता है। अभिभावकों को अपने बच्चों में भी शुरू से ही कठिन परिश्रम एवं अनुशासन की नींव डालनी चाहिए क्योंकि कड़ी मेहनत एवं परिश्रम से ही सफलता के मंजिल को पाया जा सकता है।
- गीता देवी, प्रधानाध्यापिका
बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ओडी, जमालपुर।
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सकारात्मक सोच जरूरी
सफलता अपने आप झोली में नहीं आतीं है। सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत एवं परिश्रम करना पड़ता है। सफल होने के लिए सोच का सकारात्मक होना नितांत आवश्यक है। सकारात्मक सोच असफलता को सफलता मे बदल देती है। बच्चों की असफलता पर अभिभावकों को गुस्सा नहीं करना चाहिए बल्कि उनकी कमियों को इंगित कर उन्हें दूर कर उनकी असफलता को सफलता मे बदलने का प्रयास करना चाहिए। जो अपनी कमियों को जान गया तो उसकी सफलता सुनिश्चित है क्योंकि ऐसे लोग अपने कठिन परिश्रम से अपनी असफलता को सफलता मे बदल देते हैं। ¨जदगी में सफल होने का मुख्य हथियार कठिन परिश्रम हैं। अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर मनुष्य मेहनत से सफलता को आसानी से हासिल कर सकता है। खेलकूद हो या शिक्षा दोनों में बिना कठिन परिश्रम से सफलता हासिल नहीं होती। खेल की दुनिया में ही मध्यम वर्गीय परिवार में छोटे से शहर रांची में जन्में महेंद्र ¨सह धोनी ने अपनी कठिन परिश्रम एवं लगन से क्रिकेट की दुनिया में अपना मुकाम बनाया।
- अंजू ¨सह, प्रधानाचार्य परशुराम माडल स्कूल गोगहरा, जमालपुर।
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सफलता का कोई शार्टकट नहीं
असफलता एवं सफलता मानव जीवन में निरंतर लगे रहते हैं। जो व्यक्ति असफलता को भुलाकर कड़ा परिश्रम करता है, वह अपनी असफलता को सफलता मे आसानी से परिवर्तित कर देता है। मनुष्य को अपने जीवन में सफलता तभी मिलती है, जब वह सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करता है। सफलता पाने का कोई शार्टकट नहीं है, वही व्यक्ति सफलता की बुलंदियों को छूता है, जो अपने जीवन में कठिन परिश्रम करता है। किसी भी नए काम को करने में शुरुआत में असफलता का मुंह देखना पड़ता है, लेकिन यह सही मायनों में असफलता नहीं होती बल्कि यह एक सीख होती है, जो हमें यह बताती है कि हमने कहां पर गलती की है। उस गलती से नसीहत लेकर हम कड़ी मेहनत से धीरे-धीरे सफलता के पथ पर आगे बढ़ते हैं और अपनी कामयाबी की नई इबारत लिखते हैं। इसलिए मनुष्य को अपनी असफलता से विचलित नहीं होना चाहिए क्योंकि असफलता में सफलता छिपी होती है। अपने कठिन परिश्रम एवं मेहनत से हम अपनी असफलता को सफलता मे बदल देते हैं। सफलता प्राप्त करने का एक मात्र रास्ता परिश्रम ही है।
- सत्य प्रकाश ¨सह, प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय हरदी-सहिजनी, जमालपुर।
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कठिन परिश्रम की सफलता की कुंजी
कठोर परिश्रम ही सफलता प्राप्ति की वास्तविक कुंजी समाज के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। विद्यार्थियों के लिए शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही तमाम द्वार खुले रहते हैं। केवल किताबी सफलता ही वास्तविक सफलता नहीं है। छात्र की अभिरुचियों का सूक्ष्म निरीक्षण करके उसके भविष्य को संवारा जा सकता है। अध्यापक एवं अभिभावक को विशेष प्रयास कर प्रतिभाओं को तराशना चाहिए। छात्रों को यह बात सही ढंग से समझानी चाहिए कि कठोर परिश्रम ही सफलता प्राप्ति की वास्तविक कुंजी है। कोई भी व्यक्ति एक दिन परिश्रम करके सचिन तेंदुलकर या अब्दुल कलाम नहीं बनता। परिश्रम में निरंतरता का होना ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। पुरानी कहावत है कि ठहरा हुआ जल सड़ जाता है लेकिन प्रवाहमान जल शुद्ध बना रहता है इसलिए यदि सफलता प्राप्त करनी है तो प्रयत्न में निरंतरता बनाए रखनी चाहिए।
- विद्याभूषण दुबे, प्रधानाचार्य ज्ञानानंद इंटर कालेज, पड़री, मीरजापुर।
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