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मोबाइल में गुम हो रही युवा पीढ़ी, होना पड़ेगा सचेत

मोबाइल के आविष्कार से लोगों के जीवन में अमूलचूल परिवर्तन आया तो विकास की गति को भी पंख लगे। लेकिन आज हमारे जीवन में मोबाइल का दखल इतना बढ़ गया है कि अब इससे बचने का रास्ता खोजा जाने लगा है। मोबाइल ने लोगो को पास लाने की बजाए अब एकाकी बनाना शुरु कर दिया है। बुढ़े जवान क्या छोटे-छोटे बच्चे भी आज एंड्रायड मोबाइल में खो गए है। इन मासूम बच्चों का बचपन भी आज मोबाइल में कहीं खो कर रह गया है। लोगों खासकर युवा पीढ़ी के जीवन में मोबाइल के बढ़ते दखल को देखकर सरकार व बुद्धजीवी वर्ग भी खासा चितित है। इसको लेकर उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा महाविद्यालयों को दिशा निर्देश तक जारी कर दिया है इसके बाद से अब जनपद के कालेजों में भी मोबाइल के साथ प्रवेश पर रोक लगाने की तैयारी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 07:12 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 11:25 PM (IST)
मोबाइल में गुम हो रही युवा पीढ़ी, होना पड़ेगा सचेत
मोबाइल में गुम हो रही युवा पीढ़ी, होना पड़ेगा सचेत

हाईलाटर

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मोबाइल के हाथ में आने के बाद लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आया तो विकास की गति को भी पंख लगे, लेकिन आज हमारे जीवन में मोबाइल का दखल इतना बढ़ गया है कि अब इससे बचने का रास्ता खोजा जाने लगा है। मोबाइल ने लोगों को पास लाने की बजाय अब एकाकी बनाना शुरू कर दिया है। युवा-युवतियां, महिलाएं व बुजुर्ग ही नहीं, अब छोटे-छोटे बच्चे भी एंड्रायड मोबाइल में खोने लगे हैं। इतना ही नहीं, मासूमों का बचपन भी खिलौने के बीच न होकर आज मोबाइलमय हो गया है। अब बच्चे परंपरागत खिलौने से हटकर मोबाइल के खेलों में ही ज्यादा समय गुजार रहे हैं। खासकर युवा पीढ़ी के जीवन में मोबाइल के बढ़ते दखल को देख सरकार व बुद्धजीवी वर्ग भी खासा चितित हैं। इसको लेकर उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा महाविद्यालयों को दिशा निर्देश तक जारी किया गया है। इसके बाद से अब कालेजों में भी मोबाइल के साथ प्रवेश पर रोक लगाने की तैयारी है। हालांकि कालेजों में मोबाइल पर रोक लगा पाना आसान नहीं रह गया है। इसके लिए युवाओं को अपने भविष्य के मद्देनजर खुद-ब-खुद आगे आना होगा, तभी हालात सुधरेंगे और युवा पीढ़ी का भविष्य संवरेगा। अब इसके लिए दैनिक जागरण भी आज से अभियान शुरू कर रहा है जिससे मोबाइल की जरूरत व खामियों को युवा पीढ़ी समझें और इसके दुरूपयोग पर लगाम लगाया जा सके।

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प्वाइंटर

- मोबाइल में डूबता जा रहा युवाओं का भविष्य

- खिलौनों के बजाय मोबाइल से खेल रहा बचपन

- मोबाइल के दखल ने लोगों को बनाया एकाकी

- एक साथ होकर भी अलग-अलग होने लगे हैं लोग

- सामूहिक परिवार परंपरा से दूर होने लगा एकाकी जीवन

- एकाकी जीवन ने लोगों को दी मोबाइल की लत

- युवाओं को एकाकी होने से बचाने की कवायद शुरू

- फायदा उठाने के साथ सभी को बचना होगा खामियों से

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जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मोबाइल पहले लोगों की जरूरत थी और अब आदत बन गई है। मोबाइल आने के बाद आम जनमानस की दिनचर्या में भी काफी बदलाव आया है। घर बैठे ही दूरदराज से व्यावसायिक लेन-देन के साथ ही सगे-संबंधियों का सुख-दुख हर पल साझा किया जाना भी आसान हो गया है। यही नहीं, मोबाइल से ही सभी लोग देश-विदेश में हर पल होने वाली क्रियाकलापों से भी तत्काल अवगत हो जाता हैं। छात्रों को भी पठन-पाठन से जरूरी ज्ञान-विज्ञान से संबंधित जानकारी में ही मोबाइल सहयोगी साबित हो रहा है, लेकिन इन फायदों के साथ ही हर पल मोबाइल में डूबे लोगों के लिए यह उतना ही हानिकर हो गया है। सुबह उठते ही लोग मोबाइल पर फेसबुक व ह्वाट्सएप पर लग जाते हैं और यह रवैया रात सोने तक चलता रहता है। यहां तक कि घर में एकसाथ बैठे युवा समेत सभी लोग आपस में बातचीत करने के बजाय मोबाइल में मशगूल देखे जाते हैं। इससे लोगों के बीच तनाव के साथ ही दूरियां बढ़ती जा रही हैं और लोगों का जीवन एकाकीपन होता जा रहा है। खासकर युवाओं और छात्राओं को मोबाइल की लत लग गई है। कालेज हो या घर हर जगह लोग अपने मोबाइल पर चिपके हुए रहते हैं। युवाओं की इस लत को छुड़ाना नितांत जरूरी है। शासन के साथ ही उच्च शिक्षा विभाग ने भी इसको लेकर गंभीरता दिखाई गई है, जो सराहनीय प्रयास है। कमला आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्या नीलम कुमारी ने कहा कि शिक्षिकाओं द्वारा बालिकाओं को प्रवेश के समय और कक्षाओं के दौरान भी मोबाइल का कम उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके चलते परिसर में छात्राओं द्वारा मोबाइल का कम उपयोग किया जाता है। कमला आर्य कन्या महाविद्यालय परिसर में पहले से ही बालिकाओं को मोबाइल का कम प्रयोग करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं। प्रयास किया जाएगा कि बालिकाएं कालेज में मोबाइल लेकर ही न आएं।

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आज युवा मोबाइल पर अपना अधिक समय नष्ट कर रहे हैं, देश व युवाओं के लिए उचित नहीं है। कालेज परिसर में मोबाइल के प्रयोग पर रोक का निर्णय न्यायोचित है। उच्च शिक्षा निदेशक के दिशा निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जाएगा। छात्रसंघ चुनाव के बाद कालेज परिसर में मोबाइल पर रोक लगाया जाएगा। इसके लिए प्राक्टोरियल बोर्ड कालेज में आने वाले छात्रों की नियमित जांच करेगा। प्राक्टोरियल बोर्ड में डा. करनैल सिंह, डा. राजेश यादव, डा. अंबुज पांडेय, डा. धनंजय सिंह, डा. आशीष श्रीवास्तव, डा. केएम दुबे व डा. ऋचा शुक्ला को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

- डा. भवभूति मिश्रा, प्राचार्य, केबी कालेज, मीरजापुर।

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वर्तमान समय में युवाओं में मोबाइल का क्रेज बढ़ा है या यू कहें तो आदत लग गई है। इससे युवाओं सहित आम जनमानस का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। लोग घंटों मोबाइल पर अपना जीवन व्यर्थ नष्ट कर दे रहे हैं। भावी पीढ़ी को मोबाइल से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाएगा। कालेज परिसर में मोबाइल के साथ प्रवेश पर रोक लगाया जाएगा साथ ही मोबाइल के कम से कम प्रयोग करने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा। मोबाइल मुक्त कालेज परिसर बनाने की कवायद भी की जाएगी। इसके लिए प्राक्टोरियल बोर्ड समेत अन्य शिक्षकों की भी मदद ली जाएगी। जिससे छात्र-छात्राएं कक्षा के दौरान मोबाइल का कदापि प्रयोग न करें।

- डा. राजीव अग्रवाल, प्राचार्य, जीडी बिनानी कालेज। -------

एकाकी जीवन से बढ़ा मोबाइल की तरफ झुकाव

बदलते सामाजिक व पारिवारिक परिवेश के कारण बच्चों में एकाकीपन बढ़ रहा है। मानव स्वभाव में अपनत्व या लगाव के भावना की आवश्यकता बनी रहती है। एकाकीपन के कारण भावी पीढ़ी मोबाइल की तरफ झुक रही है। माता-पिता और परिवार आपस में एक साथ समय बिताएं। बच्चों को रचनात्मक कार्यो की तरफ प्रेरित किया जाए। सामाजिक परिवेश के योगदान से इसको दूर किया जा सकता है।

- डा. रीता सिंह, मनोवैज्ञानिक, केबीपीजी कालेज, मीरजापुर।

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वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या - 24,96,970

मीरजापुर संसदीय क्षेत्र में कुल बालिग मतदाता - 1805889

मीरजापुर संसदीय क्षेत्र में कुल पुरुष - 953362

मीरजापुर संसदीय क्षेत्र में कुल महिला - 852527


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