अस्पताल खुद है बीमार तो कैसे हो मरीजों का इलाज
अस्पताल खुद है बीमार तो कैसे हो मरीजों का इलाज

अस्पताल खुद है बीमार तो कैसे हो मरीजों का इलाज
जागरण संवाददाता, भावां (मीरजापुर) : स्वच्छता किसी भी बीमारी की पहली दवा है गंदगी से बीमारियों को जन्म देने वाले कीटाणुओं का जन्म होता है और जब मरीज बीमार हो जाता है तो अपना इलाज कराने के लिए अस्पतालों में जाता है तो पता चलता है कि इलाज करने वाला अस्पताल खुद बीमार है तो कैसे मरीजों का इलाज होगा ऐसा ही हाल है राजगढ़ ब्लाक के नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पचोखरा का है जहां के स्वास्थ्य केंद्र का चहारदीवारी लगभग 2 सालों से गिरा हुआ है जबकि यह अभी 10 साल पहले ही नया स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है चहारदीवारी गिरने से उसके परिसर में आवारा पशु घुसकर पूरे परिसर को गंदा कर दे रहे हैं।
परिसर में चारों तरफ घास फूस और कूड़ा करकट का अंबार है। इस केंद्र पर कोई चौकीदार एवं स्वीपर नहीं होने से अस्पताल के वार्डों में भी गंदगी बिखरी हुई है। सबसे अधिक परेशानी प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को हो रही है। कोई महिला आया नहीं होने के कारण मरीज के साथ आने वाले लोगों को ही अस्पताल की गंदगी साफ करनी पड़ रही है। गंदगी के कारण कभी-कभी प्रसूताओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। इस केंद्र पर तैनात फार्मासिस्ट राम कुमार ने बताया कि स्वीपर न रहने के कारण गंदगी का व्याप्त है। इस केंद्र पर िमले लोगों में मरीज मीरा देवी, जगजीवन बहादुर कामता प्रसाद रमापति विवेक आदि ने बताया कि सरकार ने भले ही अस्पताल खोल दिया है पर गरीबों को इसका लाभ सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है।
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी अमरजीत कुशवाहा ने इस संबंध में बताया कि अस्पताल पर बिजली, पानी व सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके लिए कई बार मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अवगत कराया गया पर कोई सुधार नहीं हुआ। चिकित्सकों के अभाव में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाएं : कहने को तो राजगढ़ ब्लाक के अंतर्गत पचोखरा बघौड़ा शक्तेशगढ़ रामपुर ढबही में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और राजगढ़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुला है लेकिन लोगों को सही ढंग से इलाज नहीं मिल पा रहा है। जब अस्पताल पर अपेक्षानुकूल चिकित्सकों की तैनाती ही नहीं रहेगी तो मरीजों का इलाज कैसे होगा, यह एक विचारणीय प्रश्न है। इन स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा धौहा और खटखरिया में दो नए स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। कुल मिलाकर छह अस्पतालों पर केवल एक चिकित्सक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बघौड़ा में हैं। बाकी स्वास्थ्य केंद्र फार्मासिस्ट के सहारे चल रहे हैं। इसी प्रकार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजगढ़ में चिकित्सकों के कुल आठ पद सृजित हैं परंतु वर्तमान में केवल 2 चिकित्सक डा. संतलाल और डा. रवि प्रकाश ही सेवाएं दे रहे हैं। चिकित्सकों के 6 पद खाली पड़े हुए हैं। वर्तमान में अभी बाल रोग विशेषज्ञ डा. डीके सिंह का अन्यत्र ट्रांसफर हो जाने से यहां आने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस अस्पताल पर हड्डी रोग बाल रोग आयुष और स्त्री रोग का कोई चिकित्सक न होने से गरीब महिलाओं को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि स्त्री रोग से संबंधित बीमारियों से ग्रसित महिलाएं पुरुष चिकित्सकों से न तो अपनी बात कह पाती हैं न तो उन्हें अपना मर्ज दिखा पाती हैं। 175 382 आबादी वाले इस क्षेत्र में 62985 गरीब तबके के लोग रहते हैं चिकित्सकों के न रहने से इनके सेहत पर बुरी असर पड़ रही है। ब्लाक मुख्यालय से 30 35 किलोमीटर दूर शक्तेशगढ़ रामपुरढबही धौहा मे डॉक्टरों की तैनाती अति आवश्यक है क्योंकि यह स्थान जंगली इलाके में हैं यदि अस्पतालों पर डॉक्टरों की तैनाती नहीं हुई तो यहां के मरीजों को इलाज कराने के लिए या तो चुनार जाना पड़ेगा या तो झोलाछाप डॉक्टरों के हाथों शोषण का शिकार होना पड़ता है। क्षेत्रीय नागरिक संजय सिंह पटेल प्रमोद कुमार पटेल गोविंद सिंह नित्यानंद सिंह कैलाश नाथ सिंह राधा रमण सिंह राम कुमार सोनी इंद्रजीत सिंह नईम खान आदि क्षेत्रीय नागरिकों ने बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों की भर्ती के साथ जब तक राजगढ़ में सभी पदों पर चिकित्सकों की नियुक्ति न हो जाए, तब तक राजगढ़ मुख्यालय से किसी चिकित्सक का स्थानांतरण किया जाए। साथ में एक महिला चिकित्सक की व्यवस्था तत्काल की जाए, नहीं तो इस पिछड़े क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाएंगी और सभी स्वास्थ्य केंद्र शोपीस बनकर रह जाएंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।