अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष के प्रतीक हैं चारों भाई
स्थानीय बाजार के यूनियन बैंक के प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय श्रीरामचरितमानस कथा के आठवें दिन स्वामी तुलसी किकर महराज ने कहा कि राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चारों अर्थ धर्म काम व मोक्ष के प्रतीक है।
जागरण संवाददाता, अदलहाट (मीरजापुर) : स्थानीय बाजार के यूनियन बैंक के प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय श्रीरामचरितमानस कथा के आठवें दिन स्वामी तुलसी किकर महराज ने कहा कि राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न चारों अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष के प्रतीक है। धर्म की क्रिया स्वीकृति है अर्थ की क्रिया व्यापूर्ति है काम की क्रिया रति तथा मोक्ष की क्रिया भक्ति है। उन्होंने कहा कि दशमुख व दशरथ दोनों में दश है। जो पांच कामेंद्रियों पाँच इंद्रियों को वश में कर मोक्ष प्राप्ति में लगावे वे दशरथ जो दशो इंद्रियों को भोग-विलास में लगावे वह दशमुख। इसका वृहद विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा विभीषण में घबराहट थी की भगवान राम रावण को कैसे मारेंगें क्योंकि रावण रथी, विरथ रघुवीरा। रावण के पास रथ है राम बिना रथ के है। राम के पास बल है। प्रभु ने ताड़का को मारकर बल दिखाया, जयंत भी प्रभु का बल देखना चाहता था। जयंत ने बल देखा सूर्पणखा ने भी प्रभु का बल देखा। कथा के अंत में भगवान श्रीरामजी के आरती के बाद आयोजक छेदी लाल गुप्ता ने प्रसाद वितरण किया। इस अवसर पर भृगुनाथ प्रसाद, सुनील गुप्ता, राधे पाल, अरुण सिंह, गुलाब सिंह, मारकण्डे मिश्र, महेंद्र चंद्र पांडेय, सुखराम, हरिदास आदि उपस्थित रहे।