अहरौरा के प्राचीन पुराने तालाब का अस्तित्व खतरे में
जागरण संवाददाता, अहरौरा (मीरजापुर): पहले गांव या क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग तालाब की खोदाई करवाते
जागरण संवाददाता, अहरौरा (मीरजापुर): पहले गांव या क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग तालाब की खोदाई करवाते थे और उसके चारो तरफ पक्का घाट बनवाने के साथ ही मंदिर का निर्माण भी कराते थे। जिससे तालाब में लोग स्नान करें और वह भगवान को हाथ भी जोड़ ले लेकिन आज देखरेख के अभाव में पुराने तालाब पटते जा रहे है। नगर पालिका क्षेत्र अहरौरा में स्थित लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराने पोखरे की भी कुछ यही स्थिति है। देखरेख के अभाव में अहरौरा का एक प्राचीन पुराना तालाब अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। तालाब के चारो तरफ स्थित पक्के घाट टूट चुके है जो बचे है वह भी टूट कर खराब हो रहे।
नगर के लोगों के अनुसार इस तालाब का निर्माण काशी नरेश महीप नारायण ¨सह द्वारा 18 सौ के आसपास कराया जाना बताया जाता है। तालाब के चारो तरफ कुल चौदह मंदिरों का निर्माण कराया गया है। जिसमे पूरब तरफ भगवान शंकर का मंदिर स्थित है। दक्षिण तरफ हनुमानजी का प्राचीन मंदिर है। जिसको बड़े हनुमान जी के नाम से जाना जाता है। उत्तर तरफ शीतला माता का मंदिर है। जहां सैकड़ों लोग प्रतिदिन पूजा अर्चना करते है। पश्चिम तरफ जगत जननी मां जगदंबा की विशाल प्रतिमा एव उदासी पंथ का गुरुद्वारा स्थित है। उत्तर पश्चिम के कोने पर भगवान शंकरजी का मंदिर बनाया गया है। इस पोखरे पर कई मंदिर चारो तरफ होने के कारण यहां सुबह-शाम लोगों की भीड़ लगी रहती है। तालाब पर स्थित कुछ मंदिर जीर्ण शीर्ण हो गया था। जिसका मरम्मत स्थानीय लोगों द्वारा कराया गया है। इस ऐतिहासिक तालाब की स्थिति ही सबसे खराब है। चारो तरफ पत्थर से बनाई गई सीढि़या टूट रही है तालाब गंदगी से पटा हुआ है। अगर इस तालाब का सुंदरीकरण कराया दिया जाय तो यह लोगों के आकर्षण का केंद्र होगा और तालाब पर स्थित विभिन्न मंदिरों में पूजन अर्चन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भी काफी सुविधा मिलेगी। नगर में स्थित सभी तालाब निजी है। इसलिए नगर पालिका चाह कर भी उनका सुंदरीकरण अथवा मरम्मत नहीं करा पा रहा है।