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    मृदा में महज 0.5 प्रतिशत जीवांश कार्बन, चेते नहीं तो बंजर हो जाएंगे खेत

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 16 Jun 2022 05:45 PM (IST)

    17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण व सूखा दिवस पर विशेष ...और पढ़ें

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    मृदा में महज 0.5 प्रतिशत जीवांश कार्बन, चेते नहीं तो बंजर हो जाएंगे खेत

    मृदा में महज 0.5 प्रतिशत जीवांश कार्बन, चेते नहीं तो बंजर हो जाएंगे खेत

    जागरण संवाददाता, मीरजापुर : अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल से मृदा में जीवांश कार्बन की मात्रा करीबं 0.5 प्रतिशत तक ही बची है, जबकि मानक के अनुसार मिट्टी में 0.8 प्रतिशत जीवांश कार्बन होना चाहिए। यदि समय रहते किसान नहीं चेते तो खेत बंजर हो जाएंगे। भूमि संरक्षण विभाग की रिपोर्ट से यह उजागर हुआ है। रिपोर्ट से पता चला कि खेतों को स्वस्थ रखने वाला जीवांश कार्बन 0.3 प्रतिशत घटा है। यह संकेत दे रहा है कि खेतों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम करें और जैविक खेती की ओर लौट जाएं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो खेत बंजर हो जाएंगे और लोगों के सामने खाद्यान्न संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

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    जनपद में खरीफ फसल के उत्पादन पर पड़ा प्रभाव

    मीरजापुर में इस समय 9895 हेक्टेयर बंजर भूमि है। यही नहीं, खरीफ फसल की उत्पादन में भी कमी आई है। वर्ष 2016-17 में खरीफ फसल का उत्पादन 111121 हेक्टेयर हुआ था, जबकि 2021-22 में 106160 हेक्टेयर उत्पादन हुआ। मृदा में जीवांश कार्बन की कमी को कृषि विशेषज्ञ शुभ नहीं मानते। वे बताते हैं कि खेत में फसल अवशेष जलाने से भी प्रभाव पड़ रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा विशेषज्ञ बताते हैं कि जीवांश कार्बन की कमी के चलते मृदा धीरे-धीरे ऊसर हो रही है।

    रसायनों के प्रयोग से हालात चिंताजनक

    उप कृषि निदेशक अशोक कुमार उपाध्याय ने बताया कि अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से मिट्टी में मौजूद कार्बन की मात्रा न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। इसमें सुधार के लिए प्राकृतिक और जैविक खेती की ओर लौटना होगा। किसानों को जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

    सनई, ढैंचा, उड़द, मूंग, गोबर की खाद कारगर

    किसान जायद सीजन में हरी खाद सनई व ढैंचा की बुआई करें। इसके अलावा उड़द, मूंग व अन्य दलहन-तिलहन की फसलें खेत में लगाएं। इन फसलों से अनाज निकालकर अवशेष की खेत में जुताई कर दें। ये अवशेष सड़कर कार्बन की मात्रा बढ़ाते हैं। उप कृषि निदेशक ने बताया कि हरी खाद के लिए ढैंचा बीज पर 50 से 90 प्रतिशत तक अनुदान भी दिया जा रहा है।

    क्या है जीवांश कार्बन

    पर्यावरण में मुक्त कार्बन डाईआक्साइड को पौधे कार्बन के जैविक रूप जैसे शर्करा, स्टार्च, सेल्यूलोज आदि को कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित करते हैं। इस प्रकार पौधों की जड़ों एवं अन्य पौधों के अवशेषों से कार्बन अलग होकर मृदा में मिल जाता है। इसे ही जीवांश कार्बन कहते हैं।

    कृषि के लिए बहुत लाभकारी है जीवांश कार्बन

    जैविक, कंपोस्ट व हरी खाद के प्रयोग से ही मिट्टी की सेहत सुधारी जा सकती है। कार्बन पदार्थ कृषि के लिए बहुत लाभकारी है, क्योंकि यह मृदा को सामान्य बनाए रखता है। जीवांश कार्बन मिट्टी को ऊसर, बंजर, अम्लीय या क्षारीय होने से बचाता है। जमीन में इसकी मात्रा अधिक होने से मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक ताकत बढ़ जाती है। इससे मृदा की संरचना भी बेहतर होने के साथ जल को अवशोषित करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

    सामुदायिक भागीदारी से कम होगा मरुस्थलीकरण

    मरुस्थलीकरण से निपटने को व जनजागरूकता के लिए हर साल विश्व मरुस्थलीकरण व सूखा दिवस मनाया जाता है। यह दिन सभी को याद दिलाने के लिए एक अनूठा क्षण है कि समस्या समाधान, मजबूत सामुदायिक भागीदारी और सभी स्तरों पर सहयोग के माध्यम से भूमि क्षरण को कम किया जा सकता है।

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    वर्षवार खरीफ फसलों का आच्छादन

    फसल----वर्ष 2015-16----2016-17----2018-19----2019-20----2020-21----2021-22----2022-23

    मक्का, ज्वार, बाजरा, उरद, मूंग, मूंगफली, तिल-------111121--------103346----112211----101718----104396----106160-----108564

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    वर्षवार रबी फसलों का आच्छादन

    फसल----वर्ष 2015-16----2016-17----2017-18----2018-19----2019-20----2020-21----2021-22 (हेक्टेयर में)

    गेहूं, चना, मटर, मसूर, राई, सरसो, अलसी, जौ-----119448----131935----126545----133128----139622----130577----136310

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    जनपद में बंजर भूमि : 9895 हेक्टेयर

    कृषि उत्पादन के लिए बंजर भूमि का उपचार 2017 से अब तक : 2054.25 हेक्टेयर