Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Subhash Chandra Bose: नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयंती आज, 1939 में जलाई थी आजादी की अलख; बग्घी पर बैठ पहुंचे थे लालगंज

    Updated: Tue, 23 Jan 2024 01:54 PM (IST)

    Subhash Chandra Bose Jayanti तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जनपद मीरजापुर से गहरा नाता रहा। नेताजी ने जनसभा करके जंग-ए-आजादी के दिवानों में जोश पैदा किया था। लालगंज स्थित बापू उपरौध इंटर कालेज के सामने मिलिट्री ग्राउंड में सुभाष बाबू ने सन 1939 में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था।

    Hero Image
    नेताजी सुभाषचंद्र बोस 1939 में बग्घी पर बैठ पहुंचे लालगंज

    जागरण संवाददाता, मीरजापुर। Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti: नेताजी सुभाषचंद्र बोस अगस्त 1939 में बग्घी पर बैठकर लालगंज पहुंचे। मिलिट्री ग्राउंड पर में जनसभा करके आजादी की अलख जगाई थी। नेताजी कोलकता से ट्रेन से मीरजापुर पहुंचे। जनसभा करके स्वतंत्रता आंदोलन को धार दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जनपद मीरजापुर से गहरा नाता रहा। नेताजी ने जनसभा करके जंग-ए-आजादी के दिवानों में जोश पैदा किया था। लालगंज स्थित बापू उपरौध इंटर कालेज के सामने मिलिट्री ग्राउंड में सुभाष बाबू ने सन 1939 में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था। उस समय उपरौध क्षेत्र के शिवमूर्ति दुबे के नेतृत्व में यहां स्वतंत्रता आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था।

    स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जिले के आजादी के दीवानों की सक्रियता ने देश के नायक नेताजी को कलकत्ता से आने को मजबूर कर दिया था। जनसभा में ग्रामीणों की बड़ी हिस्सेदारी देख नेताजी ने उस समय आयोजक शिवमूर्ति दुबे से पूछा था कि गांवों में स्वतंत्रता की इतनी तेज आंधी क्यों है, तो उन्होंने कहा था कि अब देश जाग चुका है और अंग्रेजों को भारत छोड़ना ही होगा। आजादी के आंदोलन में जनपद के उपरौध क्षेत्र के ग्रामीणों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

    सेनानी शिवमूर्ति दुबे के बुलावे पर लालगंज आए थे बोस

    वर्ष 1938 में त्रिपुरा में कांग्रेस के अधिवेशन में क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी शिवमूर्ति दुबे शामिल हुए थे। इस दौरान उनकी मुलाकात नेताजी सुभाषचंद्र बोस से हुई। सेनानी शिवमूर्ति दुबे ने नेताजी को लालगंज में सभा करने के लिए आमंत्रित किया। नेताजी ने आग्रह को स्वीकार करते हुए लालगंज आए।

    लालगंज थाने का किया था घेराव

    वर्ष 1941 में जब अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो के नारे के साथ आंदोलन शुरू हो चुका था। पूरे देश में नौजवान अंग्रेजों के विरोध में संगठित हो रहे थे। उसी दौरान लालगंज के पतुलखी गांव के पं शिवमूर्ति दुबे, कठवार गांव के रविनंदन दुबे, पं. केदारनाथ तिवारी, पं. केदारनाथ मालवीय, पं. राजमणि दुबे, सैठोले कोल ने हजारों लोगों के साथ लालगंज थाने को घेर लिया था। इनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

    लालगंज थाने के मुख्य द्वार के पास अशोक स्तंभ लाट में अंकित विवरण

    स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं शिवमूर्ति दुबे, पं रविनंदन दुबे जमींदार परिवार से जुड़े थे लेकिन देश की आजादी के लिए सभी सुखों का त्याग दिया और जेल में यातनाएं सही। लालगंज थाने के मुख्य द्वार के पास अशोक स्तंभ लाट है। इस शिलालेख पर पं. शिवमूर्ति दुबे, पं. रविनंदन दुबे, पं. राजमणि दुबे, पं. केदारनाथ तिवारी, पं. केदारनाथ मालवीय, सैठोले कोल का नाम अंकित है।

    यह भी पढ़ें:

    Subhash Chandra Bose Jayanti Wishes: इन संदेशों के साथ दें नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती की शुभकामनाएं

    Subhash Chandra Bose Jayanti 2024: पराक्रम दिवस के रूप में क्यों मनाई जाती है नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती, पढ़ें रोचक तथ्य